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झारखंड को-ऑपरेटिव फेडरेशन को नहीं मिल रही लेवी

रांची: झारखंड को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड को लेवी की राशि नहीं मिल रही है. राज्य की सभी को-ऑपरेटिव समितियों से फेडरेशन को 2.5 प्रतिशत की लेवी सालाना देने का कानूनी प्रावधान है. अलग राज्य बनने के बाद से फेडरेशन को पांच करोड़ से अधिक की लेवी नहीं मिली है. सहयोग समितियों के निबंधक कमल किशोर सोन […]

रांची: झारखंड को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड को लेवी की राशि नहीं मिल रही है. राज्य की सभी को-ऑपरेटिव समितियों से फेडरेशन को 2.5 प्रतिशत की लेवी सालाना देने का कानूनी प्रावधान है.

अलग राज्य बनने के बाद से फेडरेशन को पांच करोड़ से अधिक की लेवी नहीं मिली है. सहयोग समितियों के निबंधक कमल किशोर सोन ने इस संबंध में सभी संयुक्त निबंधक (अंकेक्षण सहित), सहयोग समितियों, जिला सहकारिता पदाधिकारी, सभी सहायक निबंधक, केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और जिला अंकेक्षण पदाधिकारियों को लेवी राशि वसूलने का निर्देश भी दिया है.

डेढ़ वर्ष पहले निबंधक ने इस बाबत कई आदेश भी जारी किये, पर अब तक फेडरेशन से न तो सहयोग समितियां संबद्ध हो रही हैं और न ही लेवी की राशि का भुगतान कर रही हैं.

2.5 प्रतिशत लेवी
सहकारी समितियों को अपने लाभ की 2.5 प्रतिशत लेवी फेडरेशन को देना अनिवार्य है. इसका भुगतान प्रत्येक महीने के पहले सप्ताह में किया जाना है. बिहार में सहकारिता विभाग की ओर से इस संबंध में कार्रवाई भी हो रही है.

कार्रवाई शुरू
झारखंड को-ऑपरेटिव फेडरेशन की ओर से सिर्फ जमशेदपुर अंचल की समितियों से 16 लाख रुपये से अधिक की लेवी राशि का भुगतान कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. फेडरेशन के संयोजक वासुदेव चक्रवर्ती ने इस संबंध में महासंघ के प्रबंध निदेशक को सूचना भी दी है. संयोजक श्री चक्रवर्ती के अनुसार, वर्ष 2011-12 में जमशेदपुर अंचल की 12 समितियों से यह राशि महासंघ को नहीं मिली है. इनमें टीएमएच इंप्लाइज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, टिस्को इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड, द टिस्को एकाउंट्स ऑफिस को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी, द आयरन स्लैग पिकर्स लेबर्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, द टिन प्लेट फ्रेंड्स को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अन्य शामिल हैं.

हजारों समितियां
राज्य भर में पांच हजार से अधिक सहयोग समितियां हैं. इनमें से 70 से कुछ अधिक समितियों ने ही फेडरेशन से अपनी संबद्धता ग्रहण की है. बावजूद इसके संबद्ध समितियों द्वारा भी लेवी का भुगतान नहीं किया जा रहा है.

क्या हो रही है परेशानी
लेवी की वसूली नहीं होने से राज्य भर में सहकारी समितियों को योजनाओं की जानकारी, सहकारिता के प्रति जागरूकता कार्यक्रम फैलाने, ग्रामीणों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने का काम, सेमिनार, सम्मेलन, कृषक गोष्ठी का आयोजन और प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं हो पा रहा है. यह सारे कार्यक्रम लेवी वसूली होने पर ही बेहतर तरीके से संचालित हो पायेंगे.

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