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बाहर था बच्चे का दिल, ऑपरेशन से डॉक्टरों ने किया अंदर

जमशेदपुर: पटमदा निवासी रवींद्र नाथ प्रमाणिक और कान्हू प्रमाणिक के बच्चे को ब्रह्नानंद नारायण अस्पताल के डॉक्टर परवेज आलम व उनकी टीम ने नयी जिंदगी दे दी. आम लोगों की दुआओं ने भी असर दिखाया. एक सप्ताह के बच्चे बजरंगी का दिल जन्म से ही बाहर था. बुधवार को डॉ परवेज आलम के नेतृत्व में […]

जमशेदपुर: पटमदा निवासी रवींद्र नाथ प्रमाणिक और कान्हू प्रमाणिक के बच्चे को ब्रह्नानंद नारायण अस्पताल के डॉक्टर परवेज आलम व उनकी टीम ने नयी जिंदगी दे दी. आम लोगों की दुआओं ने भी असर दिखाया. एक सप्ताह के बच्चे बजरंगी का दिल जन्म से ही बाहर था. बुधवार को डॉ परवेज आलम के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने करीब चार घंटे का ऑपरेशन कर उसका दिल उसके सीने के भीतर रख दिया.

यह सामान्य ऑपरेशन नहीं था. सबसे पहले बच्चे के दिल को सीने के भीतर रखने के लिए जगह बनानी पड़ी. फिर दिल जिस तरह बाहर धड़क रहा था, उसी तरह उसे अंदर रखा गया. यह सारी प्रक्रिया अपनाते समय यह भी ख्याल रखना था कि बच्चे के दिल की धड़कन और धमनियों में रक्त का प्रवाह सामान्य रहे. पूरे भारत में इस तरह के अब तक सात से आठ ऑपरेशन ही हुए हैं. पूर्वोत्तर भारत (बिहार, बंगाल, ओड़िशा, झारखंड) में इस तरह का पहला ऑपरेशन किया गया. अब बच्चे को होश भी आ गया है.

उसे 24 घंटे तक मॉनिटरिंग में रखा जायेगा.
कल से मां के साथ रहेगा बजरंगी ऑपरेशन करनेवाले ब्रह्नानंद नारायण अस्पताल के डॉक्टर परवेज आलम ने बताया : बच्चे के शरीर के सारे अंग ठीक तरीके से काम कर रहे हैं. ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन सामान्य है. बच्चे को होश आ चुका है. बच्चे का इलाज तीन चरणों में करना है. पहले चरण में यह ऑपरेशन हुआ, जो सबसे ज्यादा जटिल था. बाद में दो और ऑपरेशन किये जायेंगे. बच्च बेहतर तरीके से रिकवरी कर रहा है. गुरुवार से वह सामान्य तौर पर मां के साथ रह सकेगा.

ब्रह्नानंद अस्पताल देगा इलाज में छूट
बजरंगी के पिता रवींद्र नाथ प्रमाणिक खेती कर अपना गुजर बसर करते हैं. बजरंगी उनका तीसरा बेटा है. उसने अपने बेटे के इलाज के लिए किसी तरह सवा लाख रुपये का इंतजाम किया. कितना खर्च आयेगा, इसका अनुमान नहीं लग पाया है. उसने बताया : आगे इलाज जारी रखने के लिए लोगों की मदद की दरकार है. ब्रह्नानंद अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया : प्रबंधन अपनी ओर से बच्चे के इलाज में छूट देगा. खर्च के लिए कुछ सामाजिक लोगों या संस्थाओं से भी मदद की जरूरत पड़ सकती है. हालांकि, इलाज के खर्च का पूरा ब्योरा अब तक तैयार नहीं हो पाया है.

सामान्य दिल का ऑपरेशन से कैसे है भिन्न

– बच्चों के दिल में छेद होना सामान्य तौर पर पाया जाता है, लेकिन इससे यह ऑपरेशन भिन्न है

– देश में 970 सजर्न हैं, पर ऐसे ऑपरेशन सात से आठ ही हो पाये हैं

– अगर दिल बाहर रह जाता है, तो बच्चे का बचना मुश्किल है. ऑपरेशन के बाद बचने के चांस 40 फीसदी बढ़ जाते हैं. बजरंगी का ऑपरेशन सफल रहा और डॉक्टरों ने उसे बचा लिया.

मेरे लिए तो डॉ आलम भगवान के समान हैं. बच्च बच गया, इससे बढ़ कर और क्या चाहिए. विश्वास नहीं हो रहा है कि ऐसा कैसे हुआ है. डॉ आलम ने चमत्कार कर दिया. – पिता रवींद्र नाथ प्रमाणिक और मां कान्हू प्रमाणिक

पैदा हुआ, तो बाहर था दिल
पटमदा निवासी किसान रवींद्र नाथ प्रमाणिक की पत्नी ने जब बजरंगी को जन्म दिया, उस समय उसका दिल शरीर से बाहर था. उसे बेहतर इलाज के लिए ब्रह्नानंद नारायण अस्पताल लाया गया, जहां उसका इलाज कार्डियेक सजर्न डॉक्टर परवेज आलम और उनकी टीम ने किया.

ऐसे हुआ बजरंगी का ऑपरेशन

सीने में दिल को सुरक्षित रख कर अंदर करने

के लिए पहले जगह बनायी गयी

कैडबरिक पेरी कार्डियम लगाया गया, जो

झिल्लीकी तरह होता है.

ऑपरेशन के बाद दिल की ङिाल्ली के ऊपर एक कृत्रिम सिंथेटिक पैच दिया गया. यह रखे गये दिल को सामान्य तरीके से शरीर से जोड़ देगा

फिर बायोलॉजिकल स्किन सीने में लगाया गया

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