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जदयू सांसद जगदीश शर्मा की जमानत याचिका खारिज

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद चार वर्ष कैद की सजा काट रहे जनता दल यू के सांसद जगदीश शर्मा की जमानत याचिका आज यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके खिलाफ बहुत गंभीर आरोप हैं और जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए उन्होंने जानबूझकर गड़बड़ियां […]

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद चार वर्ष कैद की सजा काट रहे जनता दल यू के सांसद जगदीश शर्मा की जमानत याचिका आज यह कहते हुए खारिज कर दी कि उनके खिलाफ बहुत गंभीर आरोप हैं और जिम्मेदारी के पद पर रहते हुए उन्होंने जानबूझकर गड़बड़ियां कीं. अदालत ने इस मामले में 29 नवंबर को बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था जो आज सुनाया गया.

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आरआर प्रसाद ने जगदीश शर्मा की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ चारा घोटाले के आर सी 20ए-96 मामले में अनेक गंभीर आरोप हैं. इसके अलावा उनके उपर लोकलेखा समिति का अध्यक्ष रहते हुए न सिर्फ चारा घोटाले के घोटालेबाजों को लाभ पहुंचाने के आरोप हैं, बल्कि स्वयं भी लाभ लेने के आरोप हैं.अदालत ने कहा कि इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल चारा घोटाले के इस मामले में जगदीश शर्मा को जमानत दिये जाने के पक्ष में वह नहीं है.इससे पहले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर आर प्रसाद की एकल पीठ में 29 नवंबर को जगदीश शर्मा की जमानत याचिका पर बहस पूरी हो गयी थी.

शर्मा के वकील ने न्यायालय से न्याय के हित में उन्हें जमानत पर रिहा करने की अपील की थी और कहा था कि उन्हें अपील में अपनी बात रखने और वहां फैसला आने तक जमानत दी जानी चाहिए.सीबीआई ने शर्मा को जमानत दिये जाने का विरोध किया था और तर्क दिया था कि इस तरह के भ्रष्टाचार के मामलों में विशेष अदालत द्वारा चार वर्ष की कैद और पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा पाने के बाद शर्मा को फिलहाल जमानत नहीं दी जानी चाहिए.इसके पहले उच्च न्यायालय इस मामले में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका खारिज कर चुका है जिसके खिलाफ उनकी याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है.

रांची की विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने जगदीश शर्मा, लालू प्रसाद यादव समेत 37 लोगों को तीन अक्तूबर को सजा सुनायी थी। अदालत ने इस मामले में शामिल अन्य आठ को 30 सितंबर को तीन-तीन वर्ष कैद की सजा सुनायी थी. अदालत ने लालू प्रसाद और बिहार के एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 409, 467, 468, 471, 477ए और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) एवं 13 (1) डी के तहत दोषी ठहराया था.लालू पर अदालत ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) के तहत 15 लाख रुपये का जुर्माना और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत दस लाख का जुर्माना लगाया था.

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