रांची: स्थानीयता के मुद्दे पर झाजमं, आदिवासी-मूलवासी सहित कई संगठनों ने शनिवार को झारखंड बंद का आह्वान किया था. यह बंद सामान्य नहीं था. राजधानी में बंद के दिनों झाविमो के हजारों कार्यकर्ताओं को जुटना था. सुबह से ही बंद समर्थक सड़क पर उत्पात मचा रहे थे. सड़कों पर तोड़-फोड़ चल रही थी. दिन ऐसा था, जब बंद समर्थक और झाविमो कार्यकर्ता आमने-सामने थे. झाविमो का कार्यक्रम पूर्व घोषित था. 17 सितंबर को युवा मोरचा केंद्रीय समिति की बैठक में ही बंद आयोजित करने का फैसला लिया गया था. झाविमो के नेता बंद के बीच कार्यक्रम को लेकर तनाव में थे. राज्य भर से लोगों को जुटना था. बंद समर्थक पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थे.
झाविमो नेताओं-कार्यकर्ताओं की गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया. ओरमांझी, बूटी मोड़ पर गिरिडीह, धनबाद, हजारीबाग से आनेवाली गाड़ियों को निशाना बनाया गया. कार्यकर्ता किसी तरह रांची पहुंचे. बंद समर्थकों से उलझने के बजाय सहूलियत से काम लिया. बंद समर्थकों को नेताओं ने जगह-जगह समझाया. इधर पलामू से आने वाली गाड़ियां भी बंद समर्थकों के निशाने बनाया. यहां झाविमो कार्यकर्ता आपा खोते, तो बात बढ़ सकती थी. झाविमो कार्यकर्ता संयम में रहे. रैली के दौरान भी धैर्य नहीं खोया. झाविमो कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक सूझ-बूझ से काम लिया. बाबूलाल की राजनीतिक साख बचायी. हजारों की संख्या में झाविमो कार्यकर्ता रांची पहुंचे थे.
झाविमो कार्यकर्ता अनियंत्रित होते, तो प्रशासन के लिए मुश्किल होती. शहर की शांति भंग हो सकती थी. अपने भाषण के क्रम में बाबूलाल मरांडी ने भी पार्टी कार्यकर्ताओं को संयमित रहने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि पार्टी का यह संस्कार आगे भी रहना चाहिए. हम कार्यक्रम करें, लेकिन दूसरों को कष्ट ना पहुंचाये. बंद समर्थकों ने राजनीतिक शिष्टाचार नहीं दिखाया, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक धर्म निभाया है.
इधर सभा और उधर..
मोरहाबादी में झाविमो की सभा चल रही थी. उधर सैकड़ों बंद समर्थक रांची कॉलेज के पास खड़े थे. झाविमो का मार्च निकाला, तब तक बंद समर्थक वहां डटे रहे. झाविमो की मार्च को लेकर प्रशासन टेंशन में था. मार्च शुरू हुआ, तो प्रशासन ने मोरचा संभाला. पुलिस की गाड़ी और जवान मार्च में आगे-आगे चल रहे थे. झाविमो कार्यकर्ताओं के मार्च का रूट बदल कर डीसी आवास की ओर ले जाया गया. झाविमो कार्यकर्ता भी आसानी से प्रशासन के बताये रास्ते की ओर चल पड़े.