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नम आंखों ने दी फादर सी डिब्रावर को विदाई

फादर सी डिब्रावर के निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर है. विदेश में जन्मे डिब्रावर महज 29 साल की उम्र में भारत आये. रांची को कार्यस्थल के रूप में चुना और फिर यही के होकर रह गये. समय के पाबंद, अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ, दयालु व्यक्तित्व से भरे-पूरे डिब्रावर सर 60 साल तक विद्यार्थियों के […]

फादर सी डिब्रावर के निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर है. विदेश में जन्मे डिब्रावर महज 29 साल की उम्र में भारत आये. रांची को कार्यस्थल के रूप में चुना और फिर यही के होकर रह गये. समय के पाबंद, अनुशासित, कर्तव्यनिष्ठ, दयालु व्यक्तित्व से भरे-पूरे डिब्रावर सर 60 साल तक विद्यार्थियों के बीच प्रिय रहे. हिंदी भाषा पर पकड़ ऐसी थी कि हिंदी के विद्वान भी इनका लोहा मानते थे. मेमोरी पावर ऐसी कि दशकों पुरानी बातें उनके मानस पटल पर रहती थीं. गरीब प्रतिभावान छात्रों की पढ़ाई में वह हमेशा मदद करते थे.

रांची: शिक्षाविद् फादर सी डिब्रावर (क्रिश्चियन डिब्रावर) को शुक्रवार को अश्रुपूर्ण नेत्रों से अंतिम विदाई दी गयी. श्रद्धांजलि देने वालों में एसएसपी भीमसेन टूटी, रांची विवि के वीसी डॉ एलएन भगत, बीआइटी के वीसी पीके बरहई, युवा कार्य एवं खेलकूद विभाग की सचिव वंदना दादेल, डॉ एए खान, डॉ शीन अख्तर, उच्च शिक्षा के पूर्व निदेशक अंजनी श्रीवास्तव, विधायक बंधु तिर्की, रजिस्ट्रार एपी कृष्णा, डिप्टी रजिस्ट्रार एसएस अख्तर, फैकल्टी ऑफ साइंस के डीन रमेश पांडेय, अजयनाथ शाहदेव, डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी, मदर जेनरल सिस्टर लिंडा मेरी वॉन, सुरेंद्र सिंह समेत कई शिक्षाविद, विद्यार्थी, नेता और आम लोग शामिल थे.

शुक्रवार सुबह आठ बजे उनका पार्थिव शरीर ऑर्किड अस्पताल से लाकर संत जेवियर्स कॉलेज के चैपल में दर्शन के लिए रखा गया. दोपहर एक बजे संत मरिया महागिरजाघर में उनके लिए अंतिम मिस्सा चढ़ायी गयी. इसमें बिशप चाल्र्स सोरेंग ने उनके पुनर्जीवित होकर अनंत जीवन प्राप्त करने और स्वर्गदूतों के साथ अनंत आनंद में प्रवेश करने के लिए प्रार्थना की. इसके बाद कांटाटोली चौक स्थित आरसी कब्रिस्तान में उनका दफन संस्कार संपन्न कराया गया. इस अवसर पर फादर जेवियर सोरेंग, फादर मार्क डिब्रावर, फादर निकोलस टेटे, फादर विनोद बिलुंग, रतन तिर्की व अन्य उपस्थित थे.

फादर निकोलस टेटे ने बताया कि फादर डिब्रावर थाइराइड (89) कैंसर से पीड़ित थे. उन्हें 26 नवंबर को ऑर्किड अस्पताल में भरती कराया गया था, जहां उन्होंने 28 नवंबर की शाम अंतिम सांस ली. उन्हें लीवर का कैंसर भी था. हृदय में पेसमेकर लगा था.

संक्षिप्त परिचय

जन्म 21 जनवरी 1924 को पेरिस के निकट अंब्लेन गांव में.

पुरोहिताभिषेक 24 मार्च 1955 को पुणो में.

अंतिम मन्नत दो फरवरी 1959 को रांची में.

शिक्षा दीक्षा

उच्च विद्यालय – ब्रगेस बेल्जियम 1935- 1941

नोविशिएट ड्रांजेन बेल्जियम 1942-44

जूनियरेट ड्रांजेन बेल्जियम 1944-46

फिलॉसफी शेंबागनूर 1946- 1949 विशेष अध्ययन चरापल्ली, मद्रास विवि 1949- 1952

थियोलॉजी डिनोब्ली कॉलेज पुणो 1952-1956 हिंदी अध्ययन मनरेसा हाउस रांची 1956 (एक महीना)

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