-सतीश कुमार/ उत्तम महतो-
रांचीः राज्य में हाइकोर्ट के आदेश का खुलेआम मखौल उड़ रहा है. हाइकोर्ट की फटकार का भी सरकार और अफसरों पर असर नहीं पड़ रहा है. आदेश के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं है. कोर्ट में अवमानना के लगभग तीन हजार मामले लंबित हैं, जिनमें आदेश का अनुपालन नहीं हुआ है. बिजली, पानी, सड़क, ट्रैफिक, विधि व्यवस्था, कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कोर्ट को बार-बार सरकार को निर्देश देना पड़ रहा है.
सुविधाएं नहीं मिलने पर लोगों को अपनी बुनियादी आवश्यकताओं के समाधान के लिए हाइकोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है. पिछले 13 वर्षो में आम जनता का विश्वास न्यायपालिका के प्रति बढ़ा है. हाइकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले से आम जीवन को जहां सहज बनाया है, वहीं समस्याओं के निदान भी किये हैं.
यही वजह है कि किसी न किसी बुनियादी समस्या को लेकर हर दूसरे दिन एक जनहित याचिका दाखिल की जा रही है, लेकिन इन अदालती आदेशों के बावजूद इन मुद्दों पर सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. पिछले 13 वर्षो में त्वरित न्याय और मामलों के शीघ्र निष्पादन के लिए हाइकोर्ट ने सरकार के कामकाज पर दर्जनों गंभीर टिप्पणियां की है. जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अफसरों को जनहित में काम करने के लिए फटकारा है. प्रभात खबर ने जनहित के मुद्दों पर हाइकोर्ट की ओर से पारित आदेश और उसकी स्थिति का जायजा लिया.