-शकील अख्तर-
रांची : कृषि मंत्री योगेंद्र साव पंचायतों को दी गयी शक्तियां वापस लेना चाहते हैं. वह भूमि संरक्षण योजना के तहत जिला परिषदों को दिये गये 33 करोड़ रुपये वापस विभाग में लाने पर अड़े हैं. इसके लिए उन्होंने कानूनी राय मांगी है. यह मामला पंचायती राज विभाग के पास विचाराधीन है.
पहले विभाग ही कराता था काम : पंचायती राज संस्थाओं को दी गयी शक्तियों पर अमल करने के लिए कृषि विभाग ने राष्ट्रपति शासन के दौरान ही भूमि संरक्षण योजना के तहत 33 करोड़ रुपये की राशि जिला परिषदों को दी थी. इस पैसे से ग्रामीण क्षेत्रों में तालाबों का जीर्णोद्धार करना है. काम मशीनों से किया जाना है. पहले यह काम विभाग की ओर से कराया जाता था. विभाग के पास इंजीनियरिंग सेल नहीं होने के कारण काम के लिए एजेंसी का चयन किया जाता था.
जिला परिषद की कार्यशैली पर सवाल उठाये : कृषि मंत्री का पद संभालने के कुछ ही दिन बाद योगेंद्र साव ने जिला परिषद से पैसे व काम वापस लेने की पहल शुरू कर दी. उन्होंने जिला परिषदों की कार्यशैली पर सवाल उठाये. किसी भी तरह की लिखित शिकायत नहीं होने के बावजूद उन्होंने फाइल पर लिखा कि जिला परिषद के काम में काफी शिकायतें मिल रही हैं. इस कारण योजना के बेहतर चयन, क्रियान्वयन और मॉनिटरिंग के लिए इसे जिला परिषद से विभाग में वापस लाया जाये.
प्रखंड स्तर पर कामकाज पर ध्यान नहीं दिया जाता है. कमीशन भी बहुत लेते हैं. इससे विभागीय कामकाज ठीक से नहीं हो पाता है. इस कारण हम चाहते हैं कि पंचायतों को दिया गया विकास का काम विभागीय स्तर से कराया जाये.
योगेंद्र साव, कृषि मंत्री
अफसरों ने कहा, संभव नहीं
कृषि मंत्री की मांग पर विभागीय अधिकारियों ने योजना को जिला परिषद से वापस लेने में असमर्थता जतायी. तर्क दिया कि संविधान की धारा 243(जी) के अनुरूप विभाग ने पंचायती राज संस्थाओं को काम और वित्तीय शक्तियां दी है. परिषद से काम वापस लेने का मतलब पंचायती राज संस्थाओं को दी गयी शक्तियां वापस लेना है. इसलिए जिला परिषद से काम और पैसे वापस लेना संभव नहीं है.
अधिकारियों के तर्क से मंत्री असंतुष्ट
कृषि मंत्री विभागीय अधिकारियों के तर्क से असंतुष्ट हैं. जिला परिषद से योजना वापस लेने के मुद्दे पर अधिकारियों को कानूनी राय मांगने का निर्देश दिया है. कानूनी राय के लिए पंचायती राज विभाग को फाइल भेज दी गयी है.