हजारीबागः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को यहां झारखंड की पहली ओपन जेल सह पुनर्वास केंद्र का उदघाटन किया. कहा कि यह सरकार की महत्वपूर्ण पहल है. यह वैसे कैदियों के लिए खोली गयी है, जो समाज की मुख्यधारा से भटक कर गुमनामी का जीवन जी रहे हैं. राज्य की विभिन्न जिलों से चयनित 25 बंदी यहां लाये गये हैं. इनमें 18 वैसे नक्सली कैदी हैं, जिन्होंने सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.
इसमें नौ नक्सली कैदी परिवार सहित लाये गये हैं. यहां के कैदियों को प्रशिक्षण देकर सुनिश्चित रोजगार से जोड़ा जायेगा. इनके बच्चों के रहने, खाने व पढ़ने-लिखने की सारी सुविधाएं सरकार मुहैया करेगी. इनके बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण दिलाया जायेगा. कैदी यहां परिवार सहित स्वतंत्र रूप से रहेंगे. यहां डेयरी फॉर्म और खादी ग्रामोद्योग लगाने की सरकार की योजना है.
कैदियों से मिले : मुख्यमंत्री ओपन जेल में लाये गये कैदियों और उनके परिवारवालों से मिले. उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार की ओर से उन्हें हर संभव मदद की जायेगी. जिससे समाज में उनका सम्मान बढ़ेगा. मौके पर मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राजेंद्र सिंह, योगेंद्र साव, जयप्रकाश भाई पटेल सहित कई विधायक मौजूद थे.
व्यावसायिक प्रशिक्षण की भी सुविधा : 19.5 एकड़ क्षेत्रफल में बनी ओपन जेल की क्षमता 100 बंदी कॉटेज की है. इसमें स्वास्थ्य केंद्र, चिकित्सक कक्ष, संगीत व मनोरंजन कक्ष, विद्यालय, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, वीडियो कांफ्रेंसिंग कक्ष, पुस्तकालय, साधना कक्ष बनाये गये है. खेल का मैदान है. प्रत्येक कैदी के लिए एक बेडरूम, किचन, बरामदा, बाथरूम व शौचालय बनाये गये हैं. वर्तमान में यहां व्यावसायिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है. सिल्क रिलिंग, पौधरोपण, कंप्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण, हर्बल पौधरोपण, कृषि एवं बागवानी, फूल की खेती, शैक्षणिक कार्यक्रम व योग कार्यक्रम चलाये जायेंगे.
क्या कहते हैं कैदी
पढ़ेंगे, कमायेंगे, मुख्यधारा से जुड़ेंगे
ओपन जेल में लाये गये उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ के चरकू पाहन ने कहा : सरकार मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कमाने-खाने,पढ़ाने-लिखाने का मौका दे रही है. सरकार की इस नीति से मुख्यधारा से भटके नक्सली संगठनों के लोग प्रभावित होंगे. आत्मसमर्पण कर सामान्य जीवन जीने की ओर मुड़ेंगे.