-मनोज सिंह-
रांचीः पिछले एक माह में चिकित्सा क्षेत्र के चार बड़े कॉन्फ्रेंस हुए. शिशु रोग विशेषज्ञों का सम्मेलन आइआइसीएम में 26 व 27 अक्तूबर को हुआ. इसी दिन दंत चिकित्सकों का सम्मेलन भी रिनपास परिसर में हुआ. मनोचिकित्सकों का सम्मेलन सेल के सभागार में दो दिनों तक (26 व 27 अक्तूबर) चला. रविवार को न्यूरो साइंस के चिकित्सकों का सम्मेलन रिम्स परिसर में संपन्न हुआ. इन सभी सम्मेलनों में दवा कंपनियां हावी रही. दवा कंपनियों ने सम्मेलन परिसर के आसपास बड़े-बड़े होर्डिग्स और बैनर लगाये. अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए स्टॉल भी लगाया. चिकित्सकों ने ही बताया कि स्टॉल और बैनर होर्डिग्स के लिए इनसे सहयोग राशि ली गयी है.
कांफ्रेंस के लिए डॉक्टरों को स्पांसर कराने का आग्रह
24 सितंबर को मुंबई के होटल हयात रिजेंसी में मेडिकल पेशा से जुड़े लोग, फार्मा कंपनी और एमसीआइ के अधिकारियों का एक पैनल डिस्कशन हुआ था. इसमें चिकित्सकों ने आग्रह किया था कि एमसीआइ कॉन्फ्रें स में हिस्सा लेनेवाले चिकित्सकों का खर्च वहन करने की अनुमति दवा कंपनियों को दे. इसमें एमसीआइ के एथिक्स समिति के अध्यक्ष डॉ अरुण बल ने कहा कि ऐसी भी सूचना है कि एक कॉन्फ्रेंस के नाम पर 5000 चिकित्सक विदेश चले जाते हैं, जहां बैठने की क्षमता 500 से अधिक नहीं होती है. स्वास्थ्य मंत्रलय और एमसीआइ को इससे संबंधित कई शिकायतें मिलती रही हैं. डॉक्टरों को स्पांसर वाले मुद्दे पर डॉ बल ने कोई टिप्पणी करने से इनकार किया.
क्या कहना है आइएमए का
रांची जिला आइएमए के अध्यक्ष डॉ आरसी दास ने कहा कि पहले प्रतिबंध था. हाल में सरकार ने कुछ छूट दी है. इस कारण दवा कंपनियों के स्टॉल कांफ्रेंस के आसपास लगाये जा रहे हैं.