पटना: बिहार से झारखंड को अलग हुए 13 साल हो चुके हैं, लेकिन दोनों राज्यों के बीच चल रहे विवादों का अब तक निबटारा नहीं हुआ है. न तो बोर्ड, निगम के आस्तियों व दायित्वों का बंटवारा हुआ है और न ही अब तक कर्मचारियों के बंटवारे का मामला सुलझा है.
संयुक्त बिहार के कर्मचारी जो झारखंड में थे, उनकी सेवानिवृत्ति के बाद बिहार से जिस पेंशन का भुगतान किया गया है उस मद के 2584 करोड़ रुपये की देनदारी है. यह रकम बढ़ कर 4181.55 करोड़ हो गयी है. (इसमें 9.5 प्रतिशत की दर से सूद की रकम 1597.46 करोड़ रुपये है) 13 वर्ष में बिहार को अब तक मात्र 150 करोड़ रुपये मिले हैं, शेष राशि को लेकर विवाद चल रहा है. झारखंड सरकार ने अपने बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. बिहार सरकार का कहना है कि अब बहुत हो गया, केंद्र उसके हिस्से की राशि काट कर बिहार को भुगतान करे. आखिर हम बाजार से कर्ज लेकर पेंशनरों को कब तक पेंशन का भुगतान करेंगे.
यें हैं पेंच
तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड- रजिस्ट्रेशन बिहार में, पर इसकी संपत्ति और कार्यालय पर झारखंड का नियंत्रण, मामला कोर्ट में.
बिहार राज्य विद्युत बोर्ड-झारखंड बिहार को 258.43 करोड़ रुपये देगा. स्थिति- अब तक नहीं मिली है.
बोर्ड निगम कर्मियों का पेंशन-2005 तक की अवधि के लिए 74.77 करोड़ रुपया झारखंड से बिहार को मिलना है. अभी नहीं मिला.
संयुक्त बिहार में कोल इंडिया द्वारा 187.49 करोड़ रुपये की कोयला की आपूर्ति, बिहार स्टेट पावर जेनरेशन का दावा.
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी-पेंशन मद का 74.44 करोड़ रुपये का भुगतान बिहार को करना है.
कोल इंडिया के पास बिहार राज्य विद्युत बोर्ड का 373.69 करोड़ रुपया जमा है, झारखंड ने अभी तक नहीं दिया.
संयुक्त बिहार को मिले उरमा पहाड़ी ब्लॉक में अब तक खनन नहीं शुरू.
ये हैं विवाद
बिहार राज्य आवास बोर्ड-परिसंपत्तियों के बंटवारे में झारखंड बिहार को 2.57 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा. अब तक नहीं हुआ.
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम- झारखंड से बिहार को 2.14 करोड़ रुपये का भुगतान होना है. अब तक नहीं हुआ.
कर्मचारियों का बकाया भुगतान-2001-05 की अवधि में कर्मचारियों को 87 करोड़ रुपया भुगतान करना है. बिहार ने 57 करोड़ दे दिया, झारखंड ने शेष 30 करोड़ रुपया नहीं दिया है.
बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम- 381 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति पर विवाद. 2011 में दोनों राज्य निगम के तहत कार्यरत सातों इकाइयों के पुनर्गठन पर सहमत. पर अब भी विवाद कायम.
बिहार राज्य वित्तीय निगम-बिहार सरकार की गारंटी पर विभिन्न लोक उपक्रमों को 94.82 करोड रुपया बांड जारी की गयी. झारखंड से बिहार को 30.24 करोड़ रुपया मिलना है. अब तक नहीं मिला.
बिहार राज्य पर्यटन निगम- बंटवारा हुआ, पर अभी कागजी कार्रवाई शेष.
बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम- 30.23 करोड़ रुपया बिहार को मिलना है.
कृषि विपणन पर्षद- झारखंड से बिहार को 24 करोड़ रुपया मिलना है
बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड-बिहार का झारखंड पर 1.54 करोड़ रुपया बकाया है.
बिहार राज्य लघु उद्योग निगम-21.82 करोड़ की परिसंपत्ति बंटवारे पर सहमति नहीं.
बिहार राज्य चर्मोद्योग विकास निगम लिमिटेड- 11 इकाइयां बंद. संपत्तियों की सुरक्षा पर बिहार सरकार ने जताया अंदेशा.
कैडस्ट्रल मैप यानी नजरी नक्शा उपलब्ध कराने का विवाद- विभाजन के पूर्व सरकारी कागजों की छपाई के लिए गुलजारबाग में प्रिंटिंग मशीन थी. विभाजन के बाद झारखंड के 82119 राजस्व गांवों के कैडस्ट्रल मैप यानी नजरी नक्शा झारखंड को हस्तांतरित किया जाना था. एडवोकेट जेनरल ने राय दी कि राशि लेकर नक्शा उपलब्ध कराया जा सकता है, लेकिन झारखंड सरकार ने असहमति व्यक्त की है.
संयुक्त बिहार के कर्मियों का बंटवारा
संयुक्त बिहार में कुल कर्मचारियों की संख्या पांच लाख थी. बंटवारे के बाद बिहार के हिस्से साढ़े तीन लाख कर्मचारी आये और शेष डेढ़ लाख कर्मी झारखंड में रहे. बाद में कैडर विभाजन के खिलाफ कुछेक कर्मचारी हाइकोर्ट व गृह मंत्रलय में अपील की, जिसका समाधान कर दिया गया है. लगभग पांच हजार कर्मियों का बंटवारा आपसी सहमति के आधार पर हुआ है. 31 अक्तूबर 2013 तक कर्मियों से अंतिम रुप से अभ्यावेदन मांगे गये थे, जिसमें लगभग 50 मामले आये हैं, जिसका निष्पादन शीघ्र होना है.
बोर्ड निगम पर किच-किच
कोई ऐसा बोर्ड निगम नहीं है जिसके बंटवारे को लेकर विवाद नहीं है. बिहार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह कहते हैं कि झारखंड ने नियम के विरुद्ध तेनुघाट विद्युत निगम पर कब्जा कर लिया है. इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है.
परिसंपत्तियों का बंटवारा
दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा भी महत्वपूर्ण है. बिहार राज्य आवास बोर्ड, बिहार राज्य परिवहन निगम, बिहार राज्य औद्योगिक निगम, बिहार राज्य वित्तीय निगम, बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम आदि की परिसंपत्तियों को लेकर विवाद है.
जलाशय योजना पर असहमति
बिहार-झारखंड के बीच उत्तर कोयल जलाशय योजना, बटेश्वर स्थान गंगा पंप नहर योजना एवं बटाने जलाशय योजना को लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर हुए हैं. लेकिन अन्य योजनाओं यथा तिलैया ढांढर अपसरण योजना एवं अपर सकरी जलाशय योजना पर झारखंड सरकार असहमति जता रही है. बिहार ने योजना के कार्यान्वयन पर खर्च होनेवाली राशि वहन करने का प्रस्ताव दिया था. इन योजनाओं से होनेवाले लाभ यथा विद्युत उत्पादन, पेयजल आदि भी झारखंड को देने का प्रस्ताव दिया गया था, परंतु वहां से अब तक कोई पहल नहीं हुई है.