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बालू घाट की नीलामी में बड़ी डील

रांची: झाविमो अध्यक्ष व सांसद बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य में बालू घाटों की नीलामी में बड़ी डील हुई है. पहले आयरन-कोयला और दूसरे खनिजों के लिए बाहर से कंपनियां आतीं थीं. अब बालू लेने भी मुंबई-दिल्ली से कंपनियां आ रहीं हैं. मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री […]

रांची: झाविमो अध्यक्ष व सांसद बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य में बालू घाटों की नीलामी में बड़ी डील हुई है. पहले आयरन-कोयला और दूसरे खनिजों के लिए बाहर से कंपनियां आतीं थीं. अब बालू लेने भी मुंबई-दिल्ली से कंपनियां आ रहीं हैं. मंगलवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री मरांडी ने कहा कि बालू घाटों की नीलामी में सरकार ने कोई न्यूनतम दर भी निर्धारित नहीं की. सरकार बालू घाटों की नीलामी कर संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ काम कर रही है. लघु वनोपज और लघु खनिज पर पंचायतों व स्थानीय निकायों का अधिकार होता है. सरकार पंचायतों का अधिकार छीन कर कंपनियों से सौदा कर रही है.

झाविमो अध्यक्ष ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 10 नवंबर तक यदि सरकार नीलामी रद्द कर, स्थानीय निकाय को अधिकार नहीं सौंपा, तो झाविमो सड़क पर उतरेगा. 11-12 नवंबर को लीज धारियों को बालू उठाने नहीं दिया जायेगा. गांव-गांव में लोग एकजुट हो कर इसका विरोध करेंगे. झाविमो नेता ने कहा कि रांची, खूंटी सहित कई इलाके में बालू की गाड़ियां पकड़ी जा रहीं हैं. सरकार तत्काल इन गाड़ियों को छोड़े. राष्ट्रपति शासन के दौरान 29 जून 2012 को एक अधिसूचना जारी कर ग्राम सभा के माध्यम से बालू घाट का संचालन करने का निर्णय लिया गया था.

इस सरकार ने 29 अप्रैल 2013 को बालू घाटों की बंदोबस्ती रद्द कर नीलामी करने का फैसला कर लिया. श्री मरांडी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए बालू घाटों और हाट बाजार को मुक्त करते हुए स्थानीय लोगों के हाथों में सौंप दिया था. इससे युवकों को रोजगार भी मिला था.

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