रांचीः सहकारिता विभाग से संबद्ध को-ऑपरेटिव वेजिटेबल मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (वेजफेड) के प्रबंध निदेशक रमोद नारायण झा अभी निलंबित हैं. कई आरोपों से घिरे इस शख्स ने वर्ष 1997 में ही अशोक नगर में एक मकान खरीदा था. कविता श्रीवास्तव के नाम से यह प्लॉट व मकान खरीदने के बाद श्री झा ने वर्ष 1998 में इसे अपनी पत्नी अनिता के नाम ट्रांसफर कर दिया.
रोड नंबर छह स्थित इस मकान अनिता भवन (प्लॉट नंबर-424 बी) की वर्तमान लागत करोड़ों रुपये होगी. बी प्लॉटवाले इस मकान का रकबा 10400 (80×130) वर्ग फीट है. फ्लैटनुमा इस मकान से हर माह 50 हजार रुपये से अधिक किराया मिलता है. मध्यम दरजे के एक सरकारी अधिकारी श्री झा का राजधानी के इस पॉश इलाके में दशक भर पहले ही मकान लेना कई सवाल खड़े करता है. आरोपों से घिरा रमोद नारायण झा का पूरा सेवा इतिहास इन सवालों को पुख्ता करता है. वेजफेड में पांच करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितता के आरोप में फंसे इस अधिकारी पर विभागीय कार्यवाही भी चलनी है. वहीं धनबाद सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में करीब 2.16 करोड़ के ऋण घोटाला मामले में भी सीएम ने विभागीय कार्यवाही की मंजूरी दे दी है. कुछ अन्य गंभीर आरोप भी श्री झा पर हैं.
विभिन्न आरोपों में कार्रवाई की स्थिति
-वेजफेड के एमडी रहते मनमाने तरीके से एजेंसियों को काम देने व बगैर काम किये भुगतान (रकम पांच करोड़) : मामले में निलंबित. विभागीय कार्यवाही भी चलेगी.
-धनबाद सेंट्रल को-ऑपरोटिव बैंक का प्रबंध निदेशक रहते फरजी ऋण देने सहित अन्य आरोप (रकम 2.16 करोड़) : मुख्यमंत्री ने विभागीय कार्यवाही का आदेश दिया.
-पलामू सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में रहते गलत भुगतान (रकम लगभग छह करोड़) : अभी कार्रवाई नहीं
-धनबाद में नाबार्ड द्वारा देय किसानों की ऋण माफी में फरजीवाड़ा (रकम लगभग 17 करोड़) : अभी कार्रवाई नहीं.
श्री झा से संपर्क नहीं
रमोद नारयण झा से मामले पर प्रतिक्रिया के लिए संपर्क की हर कोशिश बेकार गयी. उनका मोबाइल लगातार बंद है. वहीं अशोक नगर स्थित उनके मकान पर भी जाने से उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. उनके परिवार की महिला सदस्यों ने बताया कि वह बीमार हैं और शहर से बाहर हैं. कहां? यह उन्होंने नहीं बताया. कोई संपर्क नंबर देने में भी असमर्थता जतायी.