रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य के निबंधन कार्यालयों में जमीन की रजिस्ट्री बगैर घूस दिये नहीं होती. इन कार्यालयों में दलाल हमेशा सक्रिय रहते हैं.
वक्त के साथ हम नहीं बदले हैं. जमीन की रसीद और दाखिल-खारिज कराने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं. इस पूरी व्यवस्था में बदलाव लाने की जरूरत है, क्योंकि झारखंड में 80 फीसदी समस्याएं सिर्फ जमीन से जुड़ी हैं. मुख्यमंत्री शनिवार को होटल बीएनआर में आधुनिक सर्वेक्षण तकनीक विषयक कार्यशाला के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे. उन्होंने इटकी और नामकुम अंचल में ऑनलाइन दाखिल-खारिज योजना की शुरुआत भी की. वरदान कुजूर और मार्था तिग्गा को नामांतरण परचा भी दिया.
गोंइठा में घी सुखा रहे हैं हम
मुख्यमंत्री ने कहा : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारी फटे-पुराने खतियान दिखा कर लोगों को टहलाते हैं. गरीबों का अधिकतर समय दफ्तरों के चक्कर काटने में ही बीत जाता है. उन्होंने कहा : झारखंड का बजट छह हजार करोड़ से बढ़ कर 17 हजार करोड़ तक पहुंच गया है, पर कुछ दिखता नहीं है. कहीं कोई एसेट खड़ा नहीं हुआ है. सभी विभाग एक ही प्रखंड और पंचायत के लिए योजना बनाते हैं, पर आंकड़ा कहीं नहीं है. भूमि दस्तावेज रहने से योजना के ब्लू प्रिंट बनाने में मदद मिलती है. अब तक तो लगता है कि हम लोग गोंइठा में घी सुखा रहे हैं.
मिशन मोड के तहत करना होगा काम
मुख्यमंत्री ने कहा : अब तक सभी चीजों को हम नजरअंदाज करते आये हैं. जब तक हम किसी चीज की बाउंड्री नहीं बनायेंगे, अनियमितताएं होती रहेंगी. अब नयी तकनीक अपनानी होगी. गलत दिशा में जाने से हमारा ही नुकसान होगा. हमारे पास कई चुनौतियां हैं, लंबी दूरी तय करनी है. भूमि दस्तावेजों का आधुनिकीकरण करने के लिए मिशन मोड के तहत काम करना होगा.
उपायुक्तों की सीआर अब लिखी जायेगी : मुख्य सचिव
कार्यक्रम में मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने कहा : अब उपायुक्तों की चारित्रिक रिपोर्ट (सीआर) में लैंड रिकॉर्डस का अपडेशन जरूरी किया गया है. कर्मचारियों के बस्ते में जमीन के सभी दस्तावेज बंद रहते हैं. एक ही जमीन कई बार बेचे जाने की घटनाएं हो रही हैं. इसे ठीक करने की जरूरत है. इसके लिए डाटा कैप्चर और बगैर टार्गेटेड डिलिवरी सुनिश्चित करना जरूरी है. भू-दस्तावेजों की कस्टोडियन सरकार होती है. म्यूटेशन में समय अधिक लगता है, इसे दुरुस्त करना जरूरी है. उत्तर प्रदेश में तहसील और जिला मुख्यालय में सभी दस्तावेज कंप्यूटरों के जरिये ही मिल जाते हैं. झारखंड में कुछ उपायुक्त ऐसे प्रश्न पूछते हैं, जो राजस्व से जुड़े होते हैं, यह शर्मनाक है.
निबंधन का आंकड़ा भेजना जरूरी : बीबी श्रीवास्तव
केंद्रीय भूमि संसाधन विभाग के सचिव बीबी श्रीवास्तव ने कहा : राज्य सरकारों को चाहिए कि वे ऐसी व्यवस्था बनायें, जिससे निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक आधार पर उपायुक्त, अपर समाहर्ता और अंचल अधिकारियों तक पहुंचाये जा सकें . सिर्फ अंचल कार्यालयों को ऑनलाइन करना ही पर्याप्त नहीं है. राजस्व कर्मियों का प्रशिक्षण और भूमि प्रबंधन भी जरूरी है. यह 12वीं पंचवर्षीय योजना का कार्यक्रम है. अब तीन वर्षो में राज्यों को सभी कार्य पूरे कर लेने हैं. इसमें नक्शों का ऑनलाइन इंटीग्रेशन, निबंधन की प्रणाली का कंप्यूटरीकरण, और कैडेस्टल मैप का डिजिटाइजेशन जरूरी है. बिहार ने भूमि विवाद के निबटारे के लिए नया कानून बनाया है. झारखंड में उस कानून को अंगीकृत करते हुए बदलाव किये जायें. कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव जेबी तुबिद ने किया. संचालन संयुक्त सचिव परमजीत कौर और धन्यवाद ज्ञापन एके रस्तोगी ने किया.
मंत्री के हस्ताक्षर के बाद भी लटकती है फाइल
रांची: शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा : विभाग में मंत्री के हस्ताक्षर के बाद भी फाइलों को कई हफ्ते लटकाया जाता है. वेतन भुगतान के लिए अगस्त महीने में चेक बन गया, पर बोकारो में शिक्षकों को अब तक भुगतान नहीं हुआ है. शिक्षकों को संवैधानिक हक नहीं देना उनकी प्रताड़ना है. मंत्री
शिक्षा मंत्री शनिवार को झारखंड अल्पसंख्यक व सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षक – शिक्षकेतर कर्मचारी संयुक्त समिति की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में बोल रही थी. कार्यक्रम का आयोजन संत अलोइस स्कूल परिसर में किया गया था.
पदाधिकारियों को सचेत किया गया है
उन्होंने कहा : व्यवस्था को दुरुस्त करने की कोशिश शुरू कर दी है. पदाधिकारियों को सचेत किया गया है. कार्रवाई भी की गयी है. शिक्षक यदि व्यथित हैं, तो यह व्यवस्था के लिए खेदजनक है. हमने विभाग में शिक्षकों की उपेक्षा और उनके प्रति असंवेदनशीलता महसूस की है. विभाग में जितनी सजगता दिखनी चाहिए, उतनी निष्क्रियता नजर आती है.
जल्द ही हर महीने वेतन मिलेगा
शिक्षा मंत्री ने कहा : शिक्षकों को जल्द ही हर महीने वेतन मिलेगा. अंशदायी पेंशन योजना व तीन सौ दिनों के अजिर्त अवकाश की मांग पर निर्णय लिया जायेगा. जायज हक मिलेंगे. इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष बिशप चाल्र्स सोरेंगे ने उन्हें झारखंड अल्पसंख्यक शिक्षण संस्था प्रस्तावित नियमावली 2013 की प्रति सौंप कर उनकी स्वीकृति की मांग की.