झारखंड के एक ईमानदार अफसर को एक विधायक अपने पद और विशेषाधिकार के बल पर लगातार परेशान करने में लगे हैं. विधायक की बात नहीं मानने पर आरोप लगा कर पहले विशेषाधिकार हनन का मामला लाया. फिर इस अफसर को जब प्रोन्नति देकर आइएएस बनाने का समय आया तो विधायक ने इसे रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी.
शकील अख्तर/आनंद मोहन
रांची: दिलीप झा राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अफसर हैं. उनकी पहचान राज्य के ईमानदार अफसरों में है. खबर है कि आइएएस में इनकी प्रोन्नति नहीं हो, इसके लिए गोड्डा के विधायक संजय प्रसाद यादव लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने विशेषाधिकार हनन का भी सहारा लिया है. दिलीप झा वही अफसर हैं, जिन्होंने विधायक के खिलाफ आरोपों की जांच की थी. इस जांच से विधायक के करोड़ों रुपये फंस गये. इसके अलावा विधायक से जुड़ी कंपनी की ओर से अवैध खनन करने का मामला उजागर हुआ था. विधायक श्री यादव अभी खुद राज्यसभा चुनाव में हुई हॉर्स ट्रेडिंग के मामले में सीबीआइ जांच के दायरे में हैं.
विधायक ने लगाये आरोप : राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी दिलीप झा ने गोड्डा के उप विकास आयुक्त के पद पर काम करते हुए विधायक कोष से ली गयी सोलर लाइट योजना और सुरक्षा दीवार (गार्ड वाल) योजना की जांच की थी. उन्होंने गेरुआ नदी पर सुरक्षात्मक तटबंध बनाने की योजना की भी जांच की थी. इन तीनों ही मामलों में विधायक श्री यादव पर गंभीर आरोप लगे थे. इसके बाद विधायक ने गोड्डा के तत्कालीन डीडीसी पर विशेषाधिकार हनन का मामला बनाया.इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि दिलीप झा ने सोलर लाइट में लूट से जुड़ी खबर अखबारों में छपवायी है. इससे उनके विशेषाधिकार का हनन हुआ. यहां गौर करनेवाली बात यह है कि विधायक ने कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया था कि जांच रिपोर्ट में वर्णित तथ्य में कोई गड़बड़ी है.
दिलीप झा का जवाब
तत्कालीन अध्यक्ष सीपी सिंह की अध्यक्षता में बनी विशेषाधिकार समिति ने इस मामले में दिलीप झा को नोटिस जारी किया था. श्री झा ने अपने जवाब में समिति को बताया कि खबरों के प्रकाशन से उनका कोई लेना-देना नहीं है. जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के करीब दो माह बाद सोलर लाइट योजना में गड़बड़ी से संबंधित खबर प्रकाशित हुई थी. माननीय विधायक द्वारा ‘ एमएन कॉल एंड एसएल शकधर’ की पुस्तक का जो उद्धरण पेश किया गया है, वह भी लागू नहीं होता है, क्योंकि उन्होंने (दिलीप झा) न तो सदन की किसी कार्यवाही का और न ही किसी सदस्य के आचरण आदि से संबंधित कोई बयान दिया है, न ही प्रकाशित कराया है. माननीय विधायक द्वारा विशेषाधिकार हनन का मामला तथ्यहीन, भ्रामक और द्वेष पूर्ण मंशा से लाया गया है.
विधायक का कारनामा
गेरूआ नदी तटबंध निर्माण कार्य में फरजी भुगतान
गोड्डा के महागामा में गेरुआ नदी पर सुरक्षात्मक तटबंध के मरम्मत कार्य को विजेता इंफ्रास्ट्रर लिमिटेड ने संजय प्रसाद यादव से जुड़ी कंपनी महालक्ष्मी ईजीकॉम, प्राइवेट लिमिटेड को सबलेट कर दिया. उक्त कंपनी का इलाहाबाद बैंक में एकाउंट था. तटबंध निर्माण कार्य में भारी अनियमितता हुई. मार्च 2009 से 14 मई 2010 तक तटबंध का निर्माण कार्य हुआ नहीं, लेकिन इस तिथि में भुगतान लिया गया. दुमका के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एमएल पिंगुआ ने इससे संबंधित रिपोर्ट दी थी. इस दौरान कंपनी ने छह करोड़ से ज्यादा का भुगतान लिया. गोड्डा के तत्कालीन डीडीसी ने तटबंध के मरम्मत कार्य में अभियंताओं की मिलीभगत से प्राक्कलन राशि से हट कर कार्य करने और फरजी विपत्र के सहारे करोड़ों का भुगतान लेने की मामले की जांच की. जांच के बाद गड़बड़ी के कई तथ्य सामने आये. संजय प्रसाद यादव से जुड़ी कंपनी ने काम में काफी अनियमितता बरती. इंजीनियर ने भी नियमों को दरकिनार कर काम करवाये. कंपनी के देवघर स्थित इलाहाबाद बैंक के खाते में इस दौरान करोड़ों रुपये जमा कराये गये. यही नहीं बोल्डर पीचिंग के कार्य के लिए बगल के विसाहा पहाड़ से पत्थर का अवैध उत्खनन किया गया. कंपनी ने 13 करोड़ से ज्यादा का भुगतान लिया है.
विधायक ने समिति की रिपोर्ट पर उठाया सवाल
विधायक की ओर से लाये गये विशेषाधिकार हनन के मामले में अब भी समिति में सुनवाई चल रही है. दिलीप झा के जवाब के बाद पूर्व समिति ने उनके किसी भी जिले में पदस्थापन और सेवा पुस्तिका में निंदन की सजा दर्ज करने की अनुशंसा काट दी थी. पर अध्यक्ष सह तत्कालीन सदस्यों (राजेंद्र प्रसाद सिंह, साइमन मरांडी) ने काटे गये बिंदुओं के पास हस्ताक्षर नहीं किये थे. अजरुन मुंडा की सरकार गिरने के बाद शशांक शेखर भोक्ता विधानसभा अध्यक्ष बने. उनके सामने विशेषाधिकार का यह मामला फिर आया. इसमें विधायक संजय यादव ने यह कहा कि विधानसभा के कर्मचारियों ने पूर्व समिति की अनुशंसा में काट-छांट की थी. विधायक की इस शिकायत के बाद अध्यक्ष ने इस मामले में तत्कालीन अध्यक्ष की गवाही ली. तत्कालीन अध्यक्ष सीपी सिंह ने समिति को बताया कि उनकी अध्यक्षतावाली समिति ने ही इन बिंदुओं को काटा था. समिति के सदस्य राजेंद्र सिंह और साइमन मरांडी भी उस वक्त मौजूद थे.
संजय प्रसाद यादव का कारनामा
सोलर लाइट योजना में गड़बड़ी : विधायक संजय प्रसाद यादव ने वित्तीय वर्ष 2009-10 और 2010-11 में विधायक कोष से 75-75 लाख के हिसाब से 1.50 करोड़ की सोलर लाइट लगाने की अनुशंसा की थी. 412 जगहों पर सोलर लाइट लगायी जानी थी. टेंडर मैनेज कर ऊंची दर पर सोलर लाइट की खरीदारी की जा रही थी. मेसर्स आस्था क्रियेशन, सुभद्रा इनक्रेज ने 38,896 रुपये की दर से सोलर लाइट की निविदा डाली. बातचीत के बाद कंपनी से 37 हजार की दर पर सोलर लाइट खरीदारी पर सहमति बनी.
डीजीएस एंड डी द्वारा सोलर लाइट की तय दर 15,568 रुपये थी. इससे ऊंची दर पर खरीदारी और बाजार भाव से अधिक कीमत के कारण कंपनियों को कार्यादेश नहीं मिला. विधायक संजय प्रसाद यादव कंपनियों को काम देने के लिए लगातार दबाव बनाये हुए थे. बाद में सोलर लाइट लगाने का काम राज्य सरकार की कंपनी जरेडा को दिया गया. जरेडा को काम देते ही विधायक ने अपनी अनुशंसा वापस ले ली. ऊंची कीमत पर कई जन प्रतिनिधियों ने सोलर लाइट की खरीदारी की थी. इसकी जांच गोड्डा के तत्कालीन डीडीसी दिलीप झा ने की. सोलर लाइट लगाने के नाम पर सरकारी खजाने की लूट की उच्चस्तरीय जांच कराने की अनुशंसा भी की गयी थी.
विधायक कोष का निजी इस्तेमाल : जांच में पाया गया कि था विधायक ने 10 लाख की लागत से गार्ड वॉल बनाने की योजना की अनुशंसा की थी. इस योजना का उद्देश्य विधायक द्वारा बनाये जा रहे गोदाम की सुरक्षा है. विधायक द्वारा एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर कौआजोर में एक गोदाम बनाया जा रहा था. जांच अधिकारी दिलीप झा ने एसपीटी एक्ट की धारा 42 के तहत गोदामवाली जमीन विधायक से लेकर जमीन मालिक को वापस करने की अनुशंसा की थी. साथ ही निजी लाभ के लिए विधायक कोष के इस्तेमाल की सूचना स्पीकर व सदाचार समिति को देने की अनुशंसा की थी.
दिलीप झा ने जिन अन्य मामलों की जांच की
1 शिक्षा परियोजना : शिक्षा परियोजना से जुड़ी योजनाओं की जांच में हार्डवेयर की दुकान से काजू-किसमिस खरीदे जाने और अस्तित्व विहीन शिक्षा केंद्रों के नाम पर सरकारी पैसों के गबन का मामला पकड़ में आया था.
2 इरबा को-ऑपरेटिव सोसाइटी : सोसाइटी में हुई वित्तीय गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट के बाद सरकार ने अदालत में शपथ पत्र दायर कर सीबीआइ जांच कराने पर सहमति दी.
3 नेशनल वेजिटेबल इनिशिएटिव : जांच में वेजफेड द्वारा पैसा मिलने से पहले ही खर्च करने की रिपोर्ट तैयार करने का मामला पकड़ में आया. रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने वेजफेड के एमडी सहित अन्य अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करायी है.
4 धनबाद में कृषि ऋण माफी योजना : जांच अभी जारी है
वर्तमान विशेषाधिकार समिति
अध्यक्ष : विधानसभा अध्यक्ष शशांक
शेखर भोक्ता
सदस्य : संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र सिंह, नेता प्रति पक्ष अजरुन मुंडा, सरफराज अहमद, समरेश सिंह, विशेष आमंत्रित सदस्य में विनोद कुमार सिंह, सुदेश कुमार महतो और
सौरभ नारायण सिंह.