रांची: झारखंड के कई वीआइपी के स्कॉर्ट में शामिल पुलिस वैन में सायरन का इस्तेमाल हो रहा है, जबकि मोटर वेहिकल (एमवी) एक्ट में सायरन बजाने का अधिकार स्कॉर्ट पार्टी को नहीं है. एक्ट में विशेष परिस्थिति में ही पुलिस वाहन, अग्निशमन वाहन और एंबुलेंस को सायरन बजाने का अधिकार है. सायरन का प्रयोग घटनास्थल पर शीघ्र पहुंचने, अग्निशमन वाहन को घटनास्थल पर शीघ्र पहुंचने या फिर एंबुलेंस से गंभीर रोगी को ले जाने के दौरान ही करने का प्रावधान है.
स्व महेंद्र सिंह ने विस में उठाया था मामला
माले विधायक स्व महेंद्र सिंह ने नेताओं और अफसरों द्वारा सायरन वाली गाड़ी में घुमने का मामला पहली बार झारखंड विधानसभा में उठाया था. स्व सिंह ने वर्ष 2001 में विधानसभा सत्र के दौरान मामला उठाते हुए कहा था कि तत्कालीन डीजीपी टीपी सिन्हा सायरन वाली गाड़ी लेकर चलते हैं. डीजीपी सायरन वाली गाड़ी में घुमने की पात्रता नहीं रखते हैं. स्व सिंह ने कहा था कि यह पद का दुरुपयोग है. इससे राज्य में गलत परंपरा शुरू होगी. स्व सिंह द्वारा मामला उठाये जाने पर तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के नियमन के बाद डीजीपी की गाड़ी से सायरन हटाया गया था.
मप्र में मंत्री पर लगा था जुर्माना
गत 10 अक्तूबर को मध्य प्रदेश के वन मंत्री सरताज सिंह पर सायरना बजा कर चलने के कारण पुलिस ने जुर्माना लगाया था. वह देवास जिला में सायरन का इस्तेमाल कर रहे थे और भोपाल से इंदौर जा रहे थे. कोतवाली पुलिस ने रूटीन जांच के दौरान उनकी गाड़ी रोकी थी. ट्रैफिक रुल का उल्लंघन करने के लिए 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
इधर झारखंड में ये वीआइपी चलते हैं सायरन बजा कर
राज्यपाल
मुख्यमंत्री
तीनों पूर्व मुख्यमंत्री
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय
मन्नान मल्लिक को छोड़ सभी मंत्री
डीजीपी राजीव कुमार