रांची: सरकार के गंठबंधन दलों की राहें जुदा-जुदा हैं. राजद और झामुमो के मंत्रियों का मन-मिजाज सरकार में लग रहा है. जितना हो रहा है, काम कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस के मंत्री अपने कारनामों से सुर्खियों में हैं. किसी को बड़े बंगले चाहिए, तो कोई मनपसंद अफसर नहीं मिलने से नाराज हैं. सचिव से तनातनी है. कामकाज में मन नहीं लग रहा है. मंत्रिमंडल में पूरी शालीनता से राजद के ही मंत्री काम कर रहे हैं.
अन्नपूर्णा देवी राज्य में महिला नीति को अंतिम रूप देने में लगी हैं. सुरेश पासवान भी राज्य में पर्यटन विकास पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं. कांग्रेस के मंत्री राजेंद्र सिंह को छोड़ दें, तो दूसरे सरकार के अंदर काम करने के बजाय उसे उलझाने में लगे हैं. मंत्री ददई दुबे, गीता श्री उरांव, योगेंद्र साव, मन्नान मल्लिक ने अब तक नीतिगत फैसले नहीं लिये हैं. सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं.
योगेंद्र साव
मंत्री बनने के बाद विवादास्पद बयान दिया. सोनिया और राहुल गांधी सहित दूसरे आला नेताओं के बारे में टिप्पणी की कि मंत्री बनने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ा.
मंत्री ने बयान दिया कि सोनिया गांधी जिसे चाहें, मंत्री बना सकती हैं.
पूर्व मुख्य सचिव का घर उन्हें आवंटित किया गया है. इस घर में जाने के लिए गांधीगीरी कर रहे हैं.
ददई दुबे
ग्रामीण विकास विभाग में मुख्यमंत्री सेतु, एनआरइपी और विशेष प्रमंडल को शामिल करने के लिए दबाव बना रहे हैं.
मनपसंद सचिव के लिए सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है.
सरकार के खिलाफ टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं.
मुख्यमंत्री पर टिप्पणी करते हैं कि अफसरों पर लगाम नहीं लगा सके.
मन्नान मल्लिक
कैबिनेट बंटवारे को लेकर शुरू में बिफरे.
सीएम के खिलाफ टिप्पणी की. इसके बाद आलाकमान ने रुख कड़ा किया.
हाल में शिबू सोरेन पर ही टिप्पणी कर दी कि वह ऊंघते हुए सपने देखते रहते हैं.
गीताश्री उरांव
स्थानीयता को लेकर विवादों में रहीं. स्थानीय नीति को लेकर बयान देकर सरकार का संकट बढ़ाया.
पारा शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने के मामले में प्रस्ताव विभाग में ही था, कैबिनेट में बिफर रही थीं.