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होनेवाले मुख्यमंत्री जी! बिन मांगी एक सलाह
– हरिवंश – सौभाग्य नहीं मिला, किसी मुख्यमंत्री को बधाई देने का. इसलिए संकोच था. पर पहली बार लगा कि उगते सूरज की वंदना सब करते हैं, तो अस्त होते सूर्य को शुभकामना देनी ही चाहिए. इसलिए सूचना-जनसंपर्क विभाग की दूरभाष निर्देशिका निकाली. अर्जुन मुंडा जी और इंदर सिंह नामधारी जी के नंबर ढूंढ़े. फोन […]
– हरिवंश –
सौभाग्य नहीं मिला, किसी मुख्यमंत्री को बधाई देने का. इसलिए संकोच था. पर पहली बार लगा कि उगते सूरज की वंदना सब करते हैं, तो अस्त होते सूर्य को शुभकामना देनी ही चाहिए. इसलिए सूचना-जनसंपर्क विभाग की दूरभाष निर्देशिका निकाली. अर्जुन मुंडा जी और इंदर सिंह नामधारी जी के नंबर ढूंढ़े. फोन लगाया, पर लगातार व्यस्त होने से बात नहीं हो सकी.
बड़े और प्रभावी लोगों ने अपना मोबाइल देने का पात्र नहीं समझा, यह भी एहसास हुआ. फिर भी लगा कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री और निवर्तमान स्पीकर को कटु आलोचना के बावजूद अखबारों की दुनिया में हस्तक्षेप न करने के कारण, एक नागरिक और अखबारनवीश के रूप में शुभकामनाएं देनी ही चाहिए, सत्ताच्युत होते समय. यह भारतीय शिष्टता है. अंतत: मित्र बैजनाथ मिश्र जी के सहयोग से यह संभव हो सका.
फिर लगा कि राज्य के होनेवाले मुख्यमंत्री के साथ भेदभाव न हो, इसलिए उन्हें सार्वजनिक बधाई. दो कारणों से. युवा मुख्यमंत्री होने के कारण और देश के तीसरे निर्दल (ओड़िशा व मेघालय में निर्दल मुख्यमंत्री हो चुके हैं) मुख्यमंत्री होने के कारण भी. फिर पेशेगत आत्मबंधन उभरा. किसी नये मुख्यमंत्री, नयी सरकार या नये व्यक्ति को न्यूनतम दो माह का समय मिलना ही चाहिए, किसी टिप्पणी, विश्लेषण, मूल्यांकन या समीक्षा के लिए.
हां, खबरें अलग होती हैं. जैसे एनडीए के घटक या निर्दल लोग, वहां एक-दूसरे के खिलाफ खुद सार्वजनिक प्रलाप करते थे, अगर यूपीए में ऐसा होता है, तो वे स्वत: खबरें बनेंगी. दो-तीन माह तक अखबार को टीका-टिप्पणी का अवसर नहीं, जाने-माने पत्रकारों ने यही सीख दी.
फिर भी लगा कि बिन मांगी एक सलाह देनी चाहिए या सावधान करना चाहिए, ताकि आप और राजग से यूपीए में गये आपके तीन साथी कार्यकाल पूरा करने का जो दावा कर रहे हैं, वह सच हो. इतना ही नहीं, आपके एक पूर्व सहयोगी, अब नये मंत्रिमंडल के संभावित सहयोगी का दावा है कि 15 वर्षों तक आपका राज चलेगा, तो उनकी भी मनोकामना पूरी हो. इसलिए बिन मांगे परामर्श. इसलिए भी कि अभी आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली है.
हालांकि यह सावधान कर देना उचित होगा कि कांग्रेस की बैसाखी पर आज तक केंद्र से लेकर राज्यों में किसी सरकार ने कार्यकाल पूरा नहीं किया.
बाबूलाल मरांडी को सत्ता से हटने के बाद भ्रष्टाचार के कारण नींद नहीं आती. शायद अर्जुन मुंडा जी को भी अब ऐसा लगे. पर आपको गद्दी संभालने से पहले ही भ्रष्टाचार की गंभीर चिंता है, यह अखबारों से जाना. यूपीए के नेता चयन के बाद से ही आप लगातार भ्रष्टाचार के बारे में बोल रहे हैं. अखबारों में बार-बार आपके दृढ़ बयान आ रहे हैं.
आपने यह कहा है कि राजग सरकार के भ्रष्टाचार की जांच होगी. यह सब लगातार पढ़ कर लगा कि पहली बार किसी होनेवाले मुख्यमंत्री को बधाई देनी चाहिए. वह भी सार्वजनिक. इस साहस का स्वागत, क्योंकि जांच की प्रक्रिया अगर सचमुच शुरू होती है, तो सार्वजनिक जीवन का स्तर सुधरेगा. आपकी सरकार को भी भय रहेगा कि भविष्य में आनेवाला, इस जांच अस्त्र का इस्तेमाल आपकी सरकार पर भी करेगा. आप दलों की इस प्रतिद्वंद्विता और जांच में ही जनता का भला है. यह घोषणा, कर्म में चरितार्थ करें, यही मनोकामना है.
पर एक आवश्यक सार्वजनिक सलाह. बिन मांगी. आप जिन लोगों से ऑक्सीजन लेकर (समर्थन) शीर्ष पर पहुं चे हैं, वहां भी भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े शार्क, व््हेल और मगरमच्छ हैं. गंभीर आरोपों से घिरे. देश में भ्रष्टाचार की संस्कृति का एक प्राचीन उद्गम स्रोत है. 50 वर्षों पुराना. आज वह उद्गम स्रोत भीमकाय किला है. वह कांग्रेसी किला भी आपकी सरकार को समर्थन की संजीवनी दे रहा है. ध्यान रखियेगा और सावधान रहियेगा कि यह किला आपको कहां तक भ्रष्टाचार की संस्कृति के खिलाफ लड़ाई की इजाजत देगा?
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, आज भारत की सबसे बड़ी चुनौती है. यह संयोग ही था, पर आज ही अखबारों में खबर आयी है.
विश्व बैंक की रपट. भ्रष्ट देशों में भारत 47वें स्थान पर है. विश्व बैंक ने आगाह किया है कि भारत ने भ्रष्टाचार पर अंकुश न रखा, तो अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है. कल प्रभात खबर में, आज अन्य अखबारों में भ्रष्टाचार की जांच की आपकी घोषणा देख कर नागरिक कर्तव्य स्मरण हुआ. आप इतनी बड़ी लड़ाई में उतरनेवाले हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई आज राष्ट्रहित का सर्वोच्च मामला है. इसमें आपकी मदद पावन फर्ज है. इसलिए आपको जांच कराने में, ठोस सुझाव देकर यह मदद.
शपथ ग्रहण के ठीक बाद पहली कैबिनेट का पहला मुद्दा हो, भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की घोषणा. यह घोषणा अमूर्त और वायावी न हो, इसलिए ठोस कदमों की घोषणा हो. आपकी सरकार पिछले छह वर्षों में उठे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को एकत्र कराये. हाइकोर्ट के एक सर्विंग जज की अध्यक्षता में देश के जाने-माने तीन लोगों की एक कमेटी बनाये. वे एक-एक आरोप की तह में जायें.
प्राइमाफेसी जांच करायें. कमेटी को जो मामले गंभीर नजर आते हैं, फिर उन पर जांच शुरू हो. आरोपों को देखते हुए , जांच एजेंसी की घोषणा हो. ट्रांसफर इंडस्ट्री में हुई
अनियमितताओं की जांच सीबीआइ को ही रेफर करें. इस काम में प्रभात खबर काफी मददगार हो सकता है. पिछले छह वर्षों के अखबार में छपे गंभीर आरोपों को एक जगह कर यह काम आरंभ करा सकते हैं. हर 15 नवंबर को प्रभात खबर के स्थापना दिवस पर जो अंक निकलते हैं, उनमें भ्रष्टाचार पर केस स्टडी है. देश में अपने ढंग का पहला और अनूठा काम. झारखंड के एक जिले में एक योजना पर कितना कमीशन बंटता है, कौन लेता है, सब है. सचिवालय से ब्लॉक स्तर तक हर चीज के लिए बंधे रेट, सबको मालूम है. पर सरकार को नहीं.
आप भी छह वर्ष झारखंड के मंत्री रहे हैं. कौन मंत्री, कहां क्या कर रहा है, यह आपको भी पता हो सकता है. फिर भी एक सुराग या टिप्स. बाबूलाल मरांडी के मंत्रिमंडल के एक मंत्री थे.
आजकल उनकी अंतरात्मा भी जग गयी है. जब मंत्री थे, तो मंत्री के रूप में उन्हें नियमित एक स्रोत से आय होती थी. पैसा लानेवाले को उन्होंने फरमान दिया. ‘बड़े नोट और नये नोट’ लाया करो. आप जैसे समझदार के लिए इशारा काफी. पता करिए राज्य के किस निगम से साल में करोड़ों रुपये मंत्री से एमडी तक बंटते हैं. जब बिहार था, तब यह पैसा पटना जाता था. फिर भय, भूख और भ्रष्टाचार मिटाने के राज में झारखंड में बंटने लगा. यह सच, सब जानते हैं, सिर्फ सरकार नहीं जानती. इस तरह के कुछ और संगीन मामलों में आपकी मदद.
(1) आपकी पूर्व सरकार में गरीबों के लिए आया करोड़ों का नमक बंट गया, पर गरीबों तक नहीं पहुंचा. पता करिए कि नमक घोटाले की जांच रिपोर्ट पर कौन बैठा है?
(2) कोदाईबांक बांध घोटाले के आरोप में बरखास्त लोगों के पैरवीकार कौन हैं?
(3) प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी लगभग 239 सड़कों को केंद्र सरकार की जांच एजेंसी ने अपनी मानिटरिग में स्तरीय नहीं पाया. आप जांच कर दोषी के खिलाफ कदम उठा सकते हैं.
(4) मोबाइल दारोगा ट्रांसफर-डीटीओ सेवा वापसी मामले क्या हैं? क्यों 13 वर्षों से एक ही व्यक्ति विभाग में जमा है? पर सरकारी नियम कहता है कि तीन वर्ष से अधिक कोई नहीं रह सकता. आपको पता होगा कि इन पदों पर करोड़ों के दावं लगे हैं. यह मामला सीबीआइ को देकर जांच करा दें, आप नये झारखंड की नींव डाल देंगे.
(5) किस विभाग में ट्रांसफर उद्योग में 27 या 40 लाख देने की चर्चा उभरी. ‘ऐसी अफवाहों’ पर भी सीबीआइ से जांच करायें. जनता को स्तब्ध करानेवाले तथ्य मिलेंगे.
(6) आप अपने ‘विजिलेंस’ को स्वायत्त कर दें. पूरे अधिकार के साथ. निष्ठावान व्यक्ति को वहां बैठा दें, फिर सभी पेंडिंग मामलों की जांच का आदेश दे दें. सिर्फ इस एक निर्णय से झारखंड की आबोहवा बदल जायेगी.
(7) लोकायुक्त को सबल बना दें. उन्हें कर्नाटक लोकायुक्त की तरह अधिकार सौंपें. आइएएस अफसरों को भी पकड़ने की छूट जैसे अधिकार. यह आपकी सरकार कर सकती है.
ये कुछ व्यावहारिक और ठोस सुझाव हैं. इन पर चल कर आप और आपकी सरकार देखे. निश्चित एक नयी शुरुआत होगी. आपको यह स्मरण कराना भी उपयुक्त होगा कि सरकारें उम्र से नहीं आंकी जाती. दुनिया में 100-125 वर्षों तक जीनेवाले लोगों की तादाद अब बढ़ गयी है, पर जो कम समय में भी अपनी छाप छोड़ दे, वह स्मरण रहता है.
आपकी सरकार पर भी यही लागू होता है. लंबे समय तक चलने के कारण आप याद नहीं किये जायेंगे, बल्कि आप क्या काम करते हैं, वही लोकस्मृति में रहेगा.
एक अंतिम बात भी! आपने डॉ राम मनोहर लोहिया को पढ़ा होगा. वह कहते थे कि असली सत्ता के मालिक तो दो नंबर के राजा होते हैं. एक नंबर के राजनेता, राजनीतिज्ञ हैं. सरकार में आते-जाते रहते हैं. पर नौकरशाह स्थायी स्वामी और राजा हैं. वे परमानेंट हैं. अब बात बदल गयी है. बेचारे ईमानदार नौकरशाह हमेशा सावधान और संशय में रहते हैं.
अब असली दो नंबर के राजा हैं, दलाल, लॉबिस्ट, ठेकेदार, दरबारी, चारण और खुशामद करनेवाले. सत्ता में कोई रहे, फर्क नहीं पड़ता, पर यह दलाल वर्ग ही आज दो नंबर का असली राजा है. सत्ता किसी दल की हो, ये हर एक के यहां परमानेंट हैं. राजनीतिज्ञों के पास सत्ता बाद में पहुं चती है, ये पहले पहुं च जाते हैं. डूबते जहाज को पहले ही छोड़ कर नये पर सवार हो जाते हैं.
अभी आपने शपथ नहीं ली है, पर आसपास देखियेगा कि ये सत्ता संभालने के लिए कैसे मंडरा रहे हैं. अगर आप और आपकी सरकार, इन्हें दूर रखने की कोशिश करे, तो यह प्रयास भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जैसा ही होगा. आप संघर्ष में विजयी हों, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ यह बिन मांगी सलाह.
दिनांक 17-09-06
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