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बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम!
– हरिवंश – पहली बार मुख्यमंत्री मधु कोड़ा जी ने कल मुंह खोला. कांग्रेस संकट पर बोले. कहा ‘कांग्रेस सच को झूठ साबित करने का प्रयास न करे’. यह भी जोड़ा कि ‘सरकार चलानी है, तो इज्जत से चलायें.’ यह बयान पढ़ कर लगा कि या तो मुख्यमंत्री कोड़ा नादान हैं या सहज इंसान या […]
– हरिवंश –
पहली बार मुख्यमंत्री मधु कोड़ा जी ने कल मुंह खोला. कांग्रेस संकट पर बोले. कहा ‘कांग्रेस सच को झूठ साबित करने का प्रयास न करे’. यह भी जोड़ा कि ‘सरकार चलानी है, तो इज्जत से चलायें.’
यह बयान पढ़ कर लगा कि या तो मुख्यमंत्री कोड़ा नादान हैं या सहज इंसान या घाघ राजनीतिज्ञ. इस पूरी सरकार और इसके मुखिया को बताना चाहिए कि आप खुद अपनी इज्जत का ध्यान रखते हैं? एक पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था, ‘अपनी इज्जत, अपने हाथ.’ क्या यह सरकार अपनी प्रतिष्ठा का ध्यान रखती है? मुख्यमंत्री को यह अहसास है कि इस पद की संवैधानिक गरिमा, महत्व और सम्मान क्या है? जो मंत्री हैं, वे अपने पद की प्रतिष्ठा समझते हैं? उस संवैधानिक पद का महत्व जानते हैं, जिन पदों पर परिस्थितियों ने इन लोगों को बैठा दिया है? एक इंसान होने के नाते, हर व्यक्ति की अपनी आत्मप्रतिष्ठा है.
आत्मसम्मान (सेल्फ रेसपेक्ट) है. हजारों वर्ष पुरानी मान्यता है, जो आत्मसम्मान की रक्षा नहीं कर सकता, वह राज्य, समाज या देश की मर्यादा कैसे बचायेगा? झारखंड सरकार में शामिल लोग, न आत्मसम्मान के लिए कदम उठा रहे हैं, न जिस संवैधानिक पद पर बैठे हैं, उसकी मर्यादा को गौर कर रहे हैं. ये पदों से चिपके इंसान हैं. पद और पद से मिलनेवाले लाभों के हाथ अपना आत्मसम्मान गिरवी रखनेवाले. इस तरह झारखंडी जनता की रहनुमाई करनेवाली यह संवैधानिक संस्था (राज्य सरकार) ‘बड़े बेआबरू होकर…सत्ता गलियारे से धकियाये जाने की प्रतीक्षा में है.
लोकतंत्र, गणित और आंकड़ों का खेल है. कांग्रेस अपने स्टैंड पर साफ है. अजय माकन, जब से कांग्रेस प्रभारी बने, उन्होंने कांग्रेस की शर्त्तें साफ कर दी. दो माह का समय दिया. सरकार के विभिन्न विभागों की रिपोर्ट कांग्रेस ने मांगी. सरकार में सहयोगी दल होने के कारण.
रिपोर्ट देखने के बाद राज्य सरकार, कांग्रेस की नजर में ‘विफल’ रही. कांग्रेस की शब्दावली में कहें, तो रिपोर्ट में सरकार फेल हो गयी. अब सरकार की क्या पीड़ा है? सरकार चाहती है कि परीक्षक कांग्रेस, फेल को भी पास या अव्वल घोषित कर दे. जैसे झारखंड में घोर भ्रष्टों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं होती, उसी तरह माकन फेल सरकार को चलाने में मदद करें.
माकन इसके लिए तैयार नहीं हैं. इससे सरकार के लोग कांग्रेस से खफा हो गये हैं. जब कांग्रेस ने उन निर्दलीयों को सत्ता सौंपने में कारगर भूमिका निभायी, जिनमें से कुछेक को गंभीर भ्रष्टाचार के कारण जेलों में होना चाहिए, तब कांग्रेस बहुत अच्छी थी. कांग्रेस एक राजनीतिक दल है. किन्हीं खास परिस्थितियों में वह समर्थन दे भी सकती है, ले भी सकती है. यह उसका या किसी राजनीतिक दल का स्वतंत्र निर्णय है और कांग्रेस समर्थन देकर सरकारों को पहले भी अपदस्थ करती रही है.
झारखंड के मामले में फर्क यह है कि झारखंड में हो रहे भ्रष्टाचार, लूट और अनियमितताओं के दुर्गंध से अब दिल्ली दूषित हो रही है. दिल्ली में यूपीए या कांग्रेस या तो इस दुर्गंध में जीना सीखे और खुद आत्मदाह के लिए तैयार रहे या झारखंड सरकार को गिरा कर अपना दामन धोने की कोशिश करे.
झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री और मंत्री ने ‘इज्जत’ शब्द का इस्तेमाल किया है. कांग्रेस ने अपने संकेत साफ कर दिये हैं. वह मुख्यमंत्री या इस सरकार के किसी मंत्री को सिमरिया उपचुनाव में नहीं घुसने का संकेत दे चुकी है.
इस तरह कांग्रेस की निगाह में सरकार की क्या इज्जत है, वह डंका पीट-पीट कर महीनों से बता रही है? पर क्या सरकार चलानेवाले यह आवाज सुन रहे हैं? कांग्रेस ने यह भी कहा है कि इस सरकार के कुकर्मों के खिलाफ वह सिमरिया में लड़ रही है. इन कांग्रेसी बयानों से सरकार में बैठे लोगों को क्या यह समझ में नहीं आया कि कांग्रेस का समर्थन न रहने से वे अल्पमत में आ गये हैं? अगर निजी जीवन में इस सरकार के लोगों को ‘आत्मसम्मान’ या इज्जत की चिंता होती, तो वे गद्दी छोड़ चुके होते.
संवैधानिक मर्यादा का तकाजा है कि कोई समर्थक घटक दल, समर्थन वापस करने का सार्वजनिक संकेत दे, तो सरकार का मुखिया स्वत: इस्तीफा दे दे. यह संवैधानिक, नैतिक और स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा है. पर झारखंड की सरकारें तो अनैतिकता और अलोकतांत्रिक परंपराओं का इतिहास लिखने के लिए ही जन्मी हैं.
यह सामान्य आदमी समझ रहा है कि कांग्रेस, इस सरकार की सार्वजनिक फजीहत करा कर शेर की सवारी कर चुकी है. अगर कांग्रेस इस मामले में अब जरा भी कमजोर दिखायी दी, तो झारखंड से वह साफ हो जायेगी. इसलिए वह अपने अस्तित्व के लिए इस शेर (सरकार) की बलि लेगी ही.
और इस बलि में कांग्रेस को अपना भविष्य दिखायी देता है. फर्ज करिए, राज्य सरकार को गिरवा कर, कांग्रेस भ्रष्ट निर्दल मंत्रियों के कारनामों की जांच की पहल भर कर दे, तो क्या राजनीतिक दृश्य होगा? लोकसभा चुनावों में कांग्रेस, झारखंड में एक ताकतवर उपस्थिति के साथ चुनाव मैदान में होगी.
दिनांक : 23-01-08
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