22.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राज्यसभा चुनाव बिकेंगे या बचेंगे?

– हरिवंश – झारखंड के कुछेक भ्रष्ट विधायक (पक्ष-विपक्ष दोनों के) झारखंड को बेचेंगे या झारखंड की प्रतिष्ठा बचा लेंगे, यह आज स्पष्ट हो जायेगा? एक साफ और ईमानदार स्टैंड विनोद सिंह जैसे विधायकों का है, हम बहिष्कार करेंगे. लोहियावादी परंपरा के तहत जेडीयू के विधायकों ने पारदर्शी और प्रो पीपुल स्टैंड अपनाया, वोट दिखा […]

– हरिवंश –
झारखंड के कुछेक भ्रष्ट विधायक (पक्ष-विपक्ष दोनों के) झारखंड को बेचेंगे या झारखंड की प्रतिष्ठा बचा लेंगे, यह आज स्पष्ट हो जायेगा? एक साफ और ईमानदार स्टैंड विनोद सिंह जैसे विधायकों का है, हम बहिष्कार करेंगे. लोहियावादी परंपरा के तहत जेडीयू के विधायकों ने पारदर्शी और प्रो पीपुल स्टैंड अपनाया, वोट दिखा कर दो. बाद में एनडीए ने अपने बचाव में यह सूत्र ही अपना लिया. बिक्री मंडी में भाजपा के कुछेक विधायकों के नाम भी उछल रहे थे.
बाबूलाल मरांडी समर्थक विधायकों की भूमिका से उनके दल का असली चेहरा उजागर होगा. वैसे भी श्री मरांडी कुछेक दिनों पहले ही झारखंड के विधायकों को नसीहत दे चुके हैं कि वे मीरजाफर और जयचंद की परंपरा अपनायेंगे या झारखंड का स्वाभिमान बचायेंगे, यह उनकी भूमिका से स्पष्ट हो जायेगा. बाबूलाल जी के इस कथन को सबसे पहले सच या झूठ उनके ही दल के विधायक साबित करेंगे. यही संकट यूपीए घटक दलों के सामने है.
अगर यह शासक पक्ष एक नाम पर सहमत नहीं होता है, तो यूपीए में फूट का संदेश जायेगा ही. यह भी प्रमाणित होगा कि यूपीए के स्टैंड ने राज्यसभा चुनावों में खरीद-फरोख्त आमंत्रित किया. बढ़ावा दिया. और देश में झारखंड को बदनाम किया.
जब लोकसभा चुनाव हवा में हों, तब यह संदेश शासक गंठबंधन के लिए आत्मघाती होगा. अब यूपीए के पास भी विकल्प नहीं है. यूपीए को एक शासक समूह के रूप में अपने चुनाव एजेंट द्वारा या विभिन्न घटक दलों (कांग्रेस, झामुमो, राजद व निर्दलीय) को अपने-अपने चुनाव एजेंटों के माध्यम से जानना ही होगा कि कौन विधायक कहां वोट डाल रहा है?
इसे इन दलों को सार्वजनिक भी करना होगा कि उनके किस विधायक ने कहां और किसे मत दिया है. पूरे राज्य में जो संशय और अविश्वास का माहौल है, उसमें एक-एक विधायक को पारदर्शी बनना ही पड़ेगा. वरना चोरी छुपे काम करनेवाले विधायकों को तत्काल जो भौतिक सुख मिलेगा, उससे वे क्षणिक ढंग से पुलकित होंगे. लेकिन बिके वोट के बदले मिले लाभ से उनके राजनीतिक जीवन पर जो ग्रहण लगेगा, वह ले डूबेगा.
यह संशय और अविश्वास क्यों? सिर्फ एक वजह से. अपने अधिकृत प्रत्याशी घोषित न करने या विलंबित निर्णय के कारण. इसके लिए यूपीए घटक दल का राज्य नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व दोनों दोषी हैं. इस विलंब ने (जानबूझ कर) झारखंड को चुनाव मंडी बनाया है.
फर्ज करिए, नाथवाणी या आरके आनंद या किशोर लाल को वोट देनेवाले विधायक या दल या गुट अपना-अपना स्टैंड पहले ही क्लीयर कर चुके होते, तो यह सस्पेंस पैदा ही नहीं होता. और सस्पेंस, अनिश्चितता, संशय के माहौल में ही बाजार भाव बढ़ता है. यह इन माहिर खिलाड़ियों को मालूम है. ये रात के अंधेरे में सौदेबाजी करते हैं. दिन के उजाले में अपनी आस्था, सिद्धांत या आदर्श के आत्मविश्वास से वोट नहीं मांगते.
फर्ज करिए, नाथवाणी के समर्थक दल या विधायक ताल ठोंक कर कहते कि, हां हमने नाथवाणी को प्रत्याशी बनाया है. उनके वसूल और हमारे दल के वसूल मिलते-जुलते हैं. नाथवाणी का विकास मॉडल ही झारखंड को समृद्ध बना सकता है, फिर यह ‘हाइप क्रियेट’ ही नहीं होता. हां, उस दल पर प्रखर वैचारिक हमले होते. पर यहां तो चीजें, विचार या आस्था से नहीं, सौदेबाजी से तय हो रही हैं. इस कारण यह हालात है.
एक और गंभीर अनदेखा पहलू. सूचना है कि नाथवाणी जी जहां नौकरी करते हैं, वहां से इस्तीफा नहीं दिया है. वह दुनिया में भारतीय पहचान बनानेवाली एक अत्यंत प्रतिष्ठित कंपनी या समूह से जुड़े हैं. वह जहां जाते हैं, उस प्रतिष्ठित कंपनी का परिचय देते हैं. अगर यही नाथवाणी जी सरकारी कंपनी के मुलाजिम होते, तो उन्हें इस्तीफा देकर चुनाव लड़ना पड़ता.
पर निजी क्षेत्र में होने के कारण उन्होंने खुद अपने लिए एक नया संकट खड़ा कर लिया है. वह एक निजी विश्वस्तरीय कंपनी के मुलाजिम के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. या इस्तीफा देकर निर्दल रूप में? यह अस्पष्ट, पर गंभीर सवाल है. क्या झारखंड के विधायक इस कंपनी के प्रेसिडेंट नाथवाणी जी को वोट देंगे या निर्दल राजनीतिज्ञ या झारखंड के एंबेसडर बनने को आतुर नाथवाणी जी को? शायद यही कारण है कि कोई दल या समूह खुलेआम नाथवाणी जी के समर्थन में नहीं आ रहा.
कंपनी और राजनीतिक दल दोनों दो चीजे हैं. लोकतंत्र में राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं या निर्दल प्रत्याशी? किसी कंपनी के कार्यरत मुलाजिम को विधायक किस वैचारिक या सैद्धांतिक आधार पर वोट देंगे? और सार्वजनिक रूप से कैसे जस्टिफाई करेंगे?
दिनांक : 26-03-08

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें