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चारा घोटाले में रची गयी थी साजिश

-सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने माना-रांचीः चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 20ए/96 में विशेष न्यायाधीश पीके सिंह ने माना है कि इसमें व्यापक पैमाने पर साजिश रची गयी थी. फैसले में उन्होंने सभी बिंदुओं का उल्लेख किया है. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा है कि दस्तावेज, बयान और साक्ष्यों से […]

-सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने माना-
रांचीः चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 20ए/96 में विशेष न्यायाधीश पीके सिंह ने माना है कि इसमें व्यापक पैमाने पर साजिश रची गयी थी. फैसले में उन्होंने सभी बिंदुओं का उल्लेख किया है. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा है कि दस्तावेज, बयान और साक्ष्यों से यह पता चला है कि चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये की फरजी निकासी के लिए साजिश रची गयी थी. इसमें बीएन शर्मा, एमके श्रीवास्तव, गया प्रसाद, केएन झा, अर्जुन शर्मा, केएम प्रसाद, बीबी प्रसाद और रामराज शामिल थे. इन लोगों ने फर्जी आवंटन पत्र बनाने, फर्जी आपूर्ति और खपत दिखाने के लिए गलत दस्तावेज तैयार करने के लिए साजिश रची थी. ट्रेजरी आफिसर सिलाज तिर्की ने निकासी में मदद की. इसी तरह प्रशासनिक अधिकारी बेक जुलियस, महेश प्रसाद,के अरुमुगम, फूलचंद सिंह ने पशुपालन विभाग में हो रही गड़बड़ी की जानकारी के बावजूद जानबूझ कर कोई कार्रवाई नहीं की.

कार्यपालिका से जुड़े राजनेता लालू प्रसाद, विद्यासागर निषाद,भोला राम तूफानी, चंद्र देव प्रसाद वर्मा, जगन्नाथ मिश्र, आरके राणा और ध्रुव भगत ने जानबूझ कर इस गड़बड़ी को संरक्षण दिया. इन अभियुक्तों ने पशुपालन अधिकारियों से अपने आदर सत्कार के अलावा अन्य तरह के लाभ लिये. दस्तावेज से यह प्रमाणित होता है कि फर्जी आवंटन, फर्जी बिल, फर्जी सप्लाई आदि के सहारे सरकारी खजाने से पैसों की निकासी की गयी. यह राशि अलग अलग सप्लायरों के खाते में जमा हुई. सरकारी खजाने से निकाली गयी राशि वास्तविक आवंटन से कई गुणा ज्यादा थी. तैयार किये गये फर्जी दस्तावेज से अभियुक्तों के बीच रची गयी साजिश का पता चलता है. वर्ष 1994-95 में इस बात की जानकारी मिल चुकी थी कि सिर्फ एक ही ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये की निकासी हुई है. इस तरह की घटनाएं दूसरी ट्रेजरी में होने की सूचना मिल चुकी थी. इसके बावजूद सरकार कार्रवाई करने के मुद्दे पर चुप रही. इस मामले में लोकलेखा समिति द्वारा दूसरी एजेंसियों की जांच को रोकने के लिए लिखा गया पत्र भी आपराधिक साजिश को दर्शाता है. अभियोजन पक्ष ने दस्तावेज, साक्ष्य और बयान के आधार पर साजिश को साबित किया. इसी साजिश की वजह से सरकार के स्तर पर लूट को रोकने की कोशिश नहीं हुई. छोटी मोटी जांच और डीडीओ वाइज केस करने की कार्रवाई से मुख्यमंत्री की गलत नीयत का पता चलता है. निगरानी कांड संख्या 34/90, फर्जी ट्रांसपोर्टरों के भुगतान से संबंधी एजी की रिपोर्ट, बीएन शर्मा द्वारा 50 लाख रुपये की निकासी की सूचना, शेषमुनी राम द्वारा 1994 में बनाये गये फरजी आवंटन आदेश की सूचना के आधार पर गड़बड़ी को पहले रोका जा सकता था.

इन पर कार्रवाई करने के बदले लालू प्रसाद संबंधित अधिकारियों को मदद करते रहे. लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष द्वारा अन्य जांच एजेंसियों की जांच को रोकने के लिए लिखे गये पत्र को सामान्य रूप से लिया गया. वित्त सचिव, पशुपालन सचिव और मुख्यमंत्री के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने इन पत्रों को गुड फेथ में लिया था. इस गड़बड़ी में अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेवारी राजनीतिज्ञों पर डालने के तर्क को भी सही नहीं ठहराया जा सकता है.

वीडियो कांफ्रेसिंग से झारखंड में पहली सजा

रांचीः झारखंड में पहली बार चारा घोटाले के अभियुक्त लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सजा सुनायी गयी. सजा सुनाने के दौरान अभियुक्त लालू प्रसाद समेत अन्य आरोपी बिरसा मुंडा जेल में ही मौजूद थे. वहीं रिम्स में इलाजरत अभियुक्त जगन्नाथ मिश्र को वकील के माध्यम से सजा सुनायी गयी.

झारखंड में वीडियो कांफ्रेंसिग का ट्रायल 23 मई 2012 को हुआ था. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज अलतमस कबीर और झारखंड हाइकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया की उपस्थिति में देवघर में दुष्कर्म से जुड़े मामले की वीडियो कांफ्रेसिंग से सुनवाई हुई. रांची सिविल कोर्ट में इसी वर्ष 22 सितंबर को ई-कोर्ट का उद्घाटन किया गया. अब तक ई-कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अभियुक्तों की पेशी हो रही थी. उनका बयान रिकार्ड कराया जा रहा था. ई कोर्ट के राज्य के सभी 26 जेलों से जोड़ा गया है. कोर्ट के तीन जेलों से एक साथ जोड़ कर मामले की सुनवाई की जा सकती है. यहां पर गवाहों के बयान रिकॉर्ड किया जाता है.

लालू को कम से कम 1016 दिन जेल में रहना होगा

रांचीः सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाले में लालू प्रसाद को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनायी है. पांच साल में 1825 दिन होते हैं. अगर ऊपरी अदालत से सजा कम नहीं हुई जेल के भीतर लालू प्रसाद का आचरण ठीक रहा तो उन्हें कम से कम 1016 दिन जेल में ही रहना होगा. लालू प्रसाद को जिस मामले में सजा मिली है, इसी मामले में 30 जुलाई 1997 को उन्हें गिरफ्तार किया गया था. उस वक्त वह 134 दिन जेल में रहे थे.

इस तरह उनकी सजा अब 1691 दिनों की होगी. अगर लालू प्रसाद जेल में सामान्य कैदी की तरह रहते हैं, तो अन्य कैदियों की तरह लालू प्रसाद को हर साल 45 दिन की छूट मिलेगी. इस तरह उन्हें पांच साल में 225 दिन की छूट मिलेगी. उन्हें 1466 दिन जेल में गुजारना पड़ेगा. अगर उनका आचरण ठीक रहा तो जेल प्रशासन हर साल 30 दिन की विशेष छूट दे सकती है. इस तरह लालू प्रसाद को 1316 दिन जेल में व्यतीत करना होगा. जेल में आचरण ठीक रहने पर जेल आईजी को प्रति वर्ष अधिकतम 60 दिन की छूट देने का अधिकार है. अगर लालू प्रसाद को यह छूट भी मिल जाती है, तो पांच साल में उन्हें 300 दिनों की छूट मिलेगी. इस स्थिति में लालू प्रसाद को 1016 दिन जेल में रहना पड़ेगा.

बुखार के कारण सोये रहे डॉ मिश्र

रांचीः चारा घोटाले में दोषी करार दिये जाने के बाद से रिम्स में भरती डॉ जगन्नाथ मिश्र गुरुवार को दिन भर सोये रहे. उन्हें बुखार था. दिनभर उनके शुभचिंतकों का तांता लगा रहा.

दिन में करीब 11.30 बजे उनके बड़े बेटे नीतीश मिश्र (बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री) आये. काफी देर तक अपने पिता के पास बैठे रहे. इनके साथ छोटे बेटे मनीष मिश्र भी थे. डेढ़ घंटे रहने के बाद दोनों बेटे चले गये. इसके बाद सजा सुनाये जाने के आधे घंटे बाद नीतीश व मनीष फिर डॉ मिश्र से मिलने आये. नीतीश कॉटेज के बाहर कुछ लोगों के साथ काफी देर तक खड़े रहे. दिल्ली में चल रहे इलाज की सारी रिपोर्ट भी वे अपने साथ लेकर आये थे. वे काफी चिंतित लग रहे थे. उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील करने के बारे में भी चर्चा की.

चिकित्सक ने किया अनफिट, नहीं जा सके

सीबीआइ की विशेष अदालत ने गुरुवार को डॉ मिश्र को सजा सुना दी. डॉ मिश्र को विशेष अदालत में पेश होना था. इसके लिए जेल प्रबंधन की ओर से पत्र भी भेजा गया था, लेकिन चिकित्सक ने डॉ मिश्र को अनफिट घोषित कर दिया. इस कारण डॉ मिश्र कोर्ट नहीं गये.

…और अफरा-तफरी

दिन के दो बज रहे थे. कॉटेज नंबर 11 में सब कुछ सामान्य था. अचानक कुछ चिकित्सक भागे-भागे आये और डॉ मिश्र के कॉटेज में प्रवेश किया. थोड़ी देर बाद डॉक्टर बाहर निकले. पता चला कि रिम्स अधीक्षक को खबर मिली की डॉ मिश्र बाथरूम में गिर गये हैं. बाद में डॉ मिश्र के परिजनों ने बताया कि ऐसी बात नहीं है. वे आराम कर रहे हैं.

कार्यकर्ता नहीं, बाहर जमे थे मीडियाकर्मी

रांचीः सिविल कोर्ट परिसर में मीडियाकर्मियों का जमावड़ा बता रहा था कि वहां कुछ स्पेशल होने वाला है. चारा घोटाले में लालू प्रसाद को मिलने वाली सजा की खबर लोगों तक पहुंचाने के लिए देश भर की प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया सिविल कोर्ट में सुबह 10 बजे से ही तैनात थी. गुरुवार को अदालत में लालू प्रसाद को पेश नहीं होना था. सजा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनायी जानी थी.

इस वजह से कोर्ट परिसर में राजद नेताओं, कार्यकर्ताओं या लालू प्रसाद के चाहने वालों की भीड़ नदारद थी. वकीलों में सजा सुनने की उत्सुकता थी. निजी कारणों से कोर्ट में आने वालों के लिए भी चर्चा का विषय लालू प्रसाद को मिलने वाली सजा ही थी.

पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात किये गये थे. दिन के पहले पहर में सिविल कोर्ट परिसर में बनी सीबीआइ की विशेष अदालत में सजा पर बहस हुई. दोपहर 2.30 बजे कोर्ट के पुराने भवन में पहले तल्ले पर स्थित वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम में लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र समेत अन्य आरोपियों को सजा सुनायी गयी. मीडियाकर्मियों और आमजनों की भीड़ की वजह से सिविल कोर्ट के पहले तल्ले पर प्रवेश वजिर्त कर दिया गया था. वकीलों के अलावा अन्य किसी को ऊपरी तल पर जाने की इजाजत नहीं थी. मीडियाकर्मी नीचे जमे रहे. वकीलों के माध्यम से ही सूचनाओं का आदान-प्रदान हो रहा था. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इस दृश्य को लाइव दिखा रहे थे.

बंद कोर्ट रूम में सुनायी गयी सजा

दिन के डेढ़ बजे हैं. मीडियाकर्मियों व अधिवक्ताओं की भीड़ सिविल कोर्ट परिसर स्थित इ कोर्ट के पास होने लगी. बरामदे में दोनों तरफ सुरक्षाकर्मी तैनात थे. आम लोगों को बरामदे से होकर गुजरने की मनाही हो गयी. लगभग दो बजे सीबीआइ के स्पेशल जज पीके सिंह इ कोर्ट रूम में आये. जब वे बरामदे से गुजरे, तो छायाकारों में उनकी तसवीर लेने के लिए होड़ मच गयी. सीबीआइ व बचाव पक्ष के अधिवक्ता भी पहुंचे. उनके अंदर जाते ही कोर्ट रूम का दरवाजा बंद हो गया. कुछ मीडियाकर्मी कोर्ट रूम के बाहर बरामदे में और नीचे मैदान में खड़े होकर फैसले का इंतजार करने लगे. कोर्ट परिसर में मौजूद सभी सभी लोगों की निगाहें इ कोर्ट रूम की ओर जमी थी. लोग सजा के बिंदु पर कयास लगाने लगे. एक ने कहा- लिख ले बाबा पांच साल से कम सजा नई होतउ, दूसरा कहता है : बाजी लगा ले पांच साल से जादे के सजा होतउ. इसी बीच लगभग ढाई बजे कोर्ट रूम से एक अधिवक्ता बाहर निकले और नीचे खड़े पत्रकारों को देख हाथ से इशारा कर बताया कि लालू प्रसाद को पांच साल की सजा हुई है.

आशंका थी, पार्टी हर चुनौती के लिए तैयार

राजद नेताओं ने लालू प्रसाद को पांच वर्ष की सजा सुनाये जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. राजद नेताओं ने कहा कि हमें पहले से आशंका थी. पार्टी सभी चुनौतियों के लिए तैयार है. पार्टी एकजुट रहेगी. नये नेतृत्व का कहीं कोई सवाल नहीं है. पार्टी सभी संकट को आसानी से ङोलेगी.

पार्टी माइंड मेकअप कर चुकी थी : गिरिनाथ

रांची : राजद के प्रदेश अध्यक्ष गिरिनाथ सिंह ने कहा है कि यह होना ही था. पार्टी को पहले से इसकी आशंका थी. इस विपरीत परिस्थिति में पार्टी इंटैक्ट है. लालू सर्वमान्य नेता हैं. नये नेतृत्व का कहीं से कोई सवाल नहीं है. लालू प्रसाद के निर्देश पर ही पार्टी चलेगी. विपरीत परिस्थिति में राजद मजबूत होता रहा है. हमने हर चुनौती ङोली है. लालू और पूरी पार्टी विरोधियों की साजिश से बाहर निकलेंगे. जनता के सामने सच आ जायेगा.

साजिश करनेवाले कामयाब नहीं होंगे : अन्नपूर्णा

राजद विधायक दल की नेता और मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि हमें पहले से अंदेशा था. लालू प्रसाद के खिलाफ गहरी साजिश हुई है. लालू प्रसाद एमएलए, एमपी होने से नहीं जाने जाते हैं. लालू प्रसाद विचारधारा का नाम है. वह गरीबों के मसीहा हैं. कोई साजिश कर उन्हें फंसा नहीं सकता है. हम न्याय के लिए ऊपरी अदालत में जायेंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि न्याय मिलेगा. लालू प्रसाद बेदाग बाहर निकलेंगे. पार्टी के अंदर नेतृत्व का कोई संकट नहीं है. लालू ही हमारे नेता हैं.

बिहार में लालू के साथ लोजपा

रांचीः चारा घोटाले में लालू प्रसाद को सजा मिलने के बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में गुरुवार को उनसे मिलने लोजपा के केंद्रीय अध्यक्ष राम बिलास पासवान पहुंचे. मुलाकात कर बाहर निकलने के बाद श्री पासवान ने कहा कि न्यायालय से सजा मिलने के बाद वे नाराज दिखे. उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. जमानत के लिए वे हाइकोर्ट जायेंगे. लालू के जेल में रहने से बिहार की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा. इस पर राम विलास पासवान ने कहा कि बिहार में लालू प्रसाद के साथ लोजपा है. आगामी लोक सभा चुनाव साथ मिल कर लड़ेंगे. लालू पुराने मित्र है. इसलिए लोजपा उनका साथ कभी नहीं छोड़ेगी. राम बिलास पासवान ने कहा कि लोजपा का विरोध एनडीए से है, कांग्रेस से नहीं. इसलिए लोजपा कांग्रेस के साथ भी रहेगी. लालू के जेल में रहने से बिहार की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. इसके लिए श्री पासवान हर संभव प्रयास करेंगे. राम बिलास पासवान से साथ उनके पुत्र चिराग पासवान और लोजपा के अन्य नेता भी थे. चिराग पासवान ने कहा कि बिहार की राजनीति में लालू की काफी अहम भूमिका है. लालू प्रसाद यादव बुरे दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन लोजपा पूरी तरह उनके साथ है.

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