रांची: समाज, सरकार और मीडिया में सामंजस्य की जरूरत है. तीनों को एक दूसरे की जरूरत है. समाज से ही सरकार और मीडिया है. गिरावट हर क्षेत्र में आयी है. इससे कोई क्षेत्र अछूता नहीं है. जरूरत है समाज में व्यापक सुधार की ताकि सरकार सुधर सके और मीडिया में भी बदलाव हो सके. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर आयोजित समाज, सरकार और मीडिया कितना दूर कितना पास विषयक सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं ने ये विचार व्यक्त किये. सेमिनार का आयोजन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा किया गया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पत्रकारों के लिए जीवन बीमा योजना की घोषणा की. सीएम ने झारखंड डॉट इन वेबसाइट को भी लांच किया.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि आज के समय में ईमानदार होना कठिन है. सीधा आदमी और सीधा वृक्ष सबसे पहले कटता है. हर चीज में फायदा ढूंढ़ने से समाज की परिकल्पना कठिन होगी. समाज के बारे में सोचना छोड़ दिया गया है. सीएम ने चिंता व्यक्त की कि सरकार की योजनाएं धरातल पर क्यों नहीं दिखती. 13 वर्ष में बजट की भारी राशि राज्य में खर्च हो चुकी है, पर काम नहीं दिखता. ऐसी व्यवस्था से आम नागरिकों का सरकार से विश्वास टूटता जा रहा है.
बीमा योजना की घोषणा: सीएम ने पत्रकारों के लिए बीमा योजना की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य के मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए पांच लाख रुपये तक की बीमा योजना आरंभ की जा रही है. इसका आधा प्रीमियम पीआरडी व आधा प्रीमियम पत्रकारों को जमा करना होगा. जिन्हें मान्यता नहीं मिली है, उन पत्रकारों के लिए मुख्यमंत्री पत्रकार राहत कोष योजना आरंभ की गयी है. ट्रस्ट का भी गठन किया जायेगा. इस योजना के तहत आने वाले पत्रकार यदि दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं या शारीरिक क्षति पहुंचती है, तो पत्रकार या पत्रकार के परिजन को पांच लाख रुपये तक की सहायता दी जायेगी. सीएम ने पत्रकारों के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना करने की बात कही. सीएम ने कहा कि 15 नवंबर से इस योजना को आरंभ किया जायेगा. सीएम ने रांची में प्रेस क्लब के लिए जमीन व आर्थिक सहायता देने की बात भी कही.
इसके पूर्व रांची विवि के पूर्व कुलपति डा एए खान ने कहा कि समाज ग्रुपों में बंटा हुआ है. धर्म, जाति, संस्कृति, राजनीति के नाम पर बंटे ग्रुपों से समाज का भला नहीं होने वाला है. कोल्हान विवि के कुलपति डा सलील कुमार राय ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी सशक्त होगी, तो सरकार सही कार्य कर सकेगी. मीडिया सकारात्मक सोच रखें. सेवानिवृत्त जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने कहा कि शासन तंत्र सशक्त होना चाहिए. चुनाव में राजनीतिक दल आश्वासन देते है, वादा करते है. सरकार बनाने के बाद जब आश्वासन पूरा नहीं होता है, तो समाज व सरकार के बीच दूरी बढ़ती है.
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार अनुज कुमार सिन्हा व वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह ने भी अपने विचार रखे. इससे पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार हिमांशु शेखर चौधरी ने विषय प्रवेश कराया. मृणालिनी अखौरी व टीम ने भजन प्रस्तुत किया. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव एमआर मीणा ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर एटीआइ के महानिदेशक डॉ विनोद अग्रवाल, सीएम के प्रधान सचिव सुखदेव सिंह, पीआरडी निदेशक अवधेश कुमार पांडेय सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे.
ईमानदार हैं, तो एहसान नहीं कर रहे अफसर: मुख्य सचिव
रांची: सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने ब्यूरोक्रेसी और सिस्टम पर सवाल उठाये. कहा : समाज, सरकार और मीडिया में सबसे बड़ी कड़ी विश्वसनीयता की होती है. विश्वसनीयता बनने में समय लगता है. समाज में नकारात्मक भावना बढ़ी है. संस्था के साथ-साथ ब्यूरोक्रेसी की विश्वसनीयता में भी गिरावट आयी है. सीएस ने कहा : एक आइएएस अफसर से लोग अपेक्षा रखते हैं कि वह ईमानदार होगा और विजनवाला होगा, लेकिन इसमें गिरावट आयी है. जो ईमानदार हैं, वे एहसान नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह उनका अपना मोरल वैल्यू है. उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में भारतीय समाज में पाखंडवाली चीजें बढ़ी हैं. लोग खुद बेईमान होते हैं और दूसरे को बेईमान कहते हैं. अपनी गलती न देख दूसरों की गलती निकालते हैं. यह पाखंड पत्रकारिता, समाज और सरकार में भी दिख रहा है.
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की पॉलिटिक्स कोई आदर्श नहीं है, लेकिन वहां सिस्टम काम करता है. इस सिस्टम को ब्यूरोक्रेसी ने ही तैयार किया है. विदेशों में भी सरकारें महत्वपूर्ण नहीं होतीं, बल्कि सिस्टम महत्वपूर्ण होता है. आज भी ब्रिटिश के बनाये कानून चल रहे हैं. पर यहां सिस्टम को सुधारने के नाम पर उसे खत्म कर दिया गया. रेवन्यू के सिस्टम को सुधारने के बजाय सत्यानाश कर दिया गया है.
सीएस ने कहा ब्यूरोक्रेसी यहां असफल रही है. इसका असर सरकार पर भी पड़ा है. ब्यूरोक्रेट्स रूटीन काम में लगे हैं और सिस्टम नहीं बनने दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत में पॉलिसी पर बहस नहीं होती है. पॉलिसी इंप्लीमेंटेशन नहीं कर पाते. कारण है कि हमने सिस्टम नहीं बनाया है.
सीएस ने ब्यूरोक्रेसी पर सवाल उठाते हुए कहा : ब्यूरोक्रेसी एक सिस्टम के फ्रेम में होता है. लेकिन हमने इस फ्रेम को अपने आप ही कमजोर कर दिया है. जो काम हमें दिया गया, वो आज भी हम नहीं कर पाये. सीएस ने कहा कि बजाय इसके कि किसी पर दोषारोपण करें, काम करने लगेंगे, तो हालात जरूर बदलेंगे. यही अपेक्षा ब्यूरोक्रेसी से भी है. सीएस ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी को फ्रीडम ऑफ एक्शन मिला हुआ है और इसका इस्तेमाल कर दशा और दिशा सुधारी जा सकती है.
सरकार भगवान नहीं है: अन्नपूर्णा देवी
मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि सरकार भगवान नहीं है. इसके अंदर भी खामियां है. लोग खामियों व समाधान बतायें तो सरकार जरूर काम करेगी. उन्होंने कहा कि बेहतर समाज बनाना सबका दायित्व है. बेहतर सरकार का दायित्व समाज पर है. मीडिया केवल आलोचना ही न करें, बल्कि सुझाव भी दे. मीडिया अपनी जिम्मेवारी निभाते हुए पथ प्रदर्शक का काम करे.