रांची: 22 साल पहले की गयी गलती की सजा इंसेपेक्टर बीएल मिश्र भुगतेंगे. चक्रधरपुर थाना के पूर्व थानेदार चंद्रभूषण व बालेश्वर बैठा को भी सजा भुगतनी पड़ेगी. तीनों के वेतन से दो लाख रुपये की वसूली होगी. मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर वर्ष 2010-11 में सरकार ने दो लाख रुपया मुआवजे का भुगतान चक्रधरपुर के फौजी अंसारी नामक व्यक्ति को किया है.
क्या है मामला: वर्ष 1991 में बीएल मिश्र चाईबासा सदर थाना के प्रभारी थे. उस वक्त विधायक विजय सोय और कृष्णा मार्डी के समर्थकों में मारपीट व गोलीबारी हुई थी. मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी बीएल मिश्र के बयान पर सदर थाना में दो प्राथमिकी 47/91 व 48/91 दर्ज की गयी. पुलिस ने विजय सोय, कृष्णा मार्डी समेत कुल 65 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा. फिरोज अंसारी नामक व्यक्ति ने गिरफ्तारी के वक्त अपना नाम फौजी अंसारी बताया था. श्री मिश्र ने बाद में फौजी अंसारी के नाम को सत्यापित किये बिना ही सभी के खिलाफ चाजर्शीट दाखिल कर दी, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि फिरोज अंसारी ही फौजी अंसारी है.
जमानत पर छूटने के बाद फिरोज ने तारीख पर कोर्ट जाना बंद कर दिया. इस कारण कोर्ट ने फौजी अंसारी को सम्मन भेजा. फौजी ने चक्रधरपुर थाना की पुलिस को लिखित दिया कि घटना में वह शामिल नहीं था. पुलिस ने इस बात के सत्यापन पर ध्यान नहीं दिया. उस वक्त चक्रधरपुर थाना के प्रभारी बालेश्वर बैठा थे. बाद में कोर्ट ने फौजी अंसारी के नाम से वारंट जारी कर दिया.
उस वक्त चक्रधरपुर थाना के प्रभारी चंद्रभूषण थे. उन्होंने फौजी अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. फौजी अंसारी की पत्नी ने कोर्ट में आवेदन देकर कहा कि उसके पति घटना में शामिल नहीं थे. वर्ष 2004 में चाईबासा के तत्कालीन एसपी प्रवीण सिंह ने मामले की जांच की. जांच में यह पाया गया कि गलत व्यक्ति को जेल भेजा गया है. पुलिस की रिपोर्ट पर फौजी अंसारी दो माह 16 दिन जेल में रहने के बाद छूटे. मामले की शिकायत मानवाधिकार आयोग से भी की गयी. आयोग ने जांच के बाद आदेश दिया कि फौजी अंसारी को दो लाख रुपये मुआवजा मिले. सरकार ने वर्ष 2010-11 में मुआवजे की राशि फौजी अंसारी को दे दी. साथ ही पुलिस विभाग को आदेश दिया कि मुआवजे की राशि की वसूली दोषी पुलिस पदाधिकारी के वेतन से किया जाये.
चाईबासा के तत्कालीन एसपी अरुण सिंह ने तत्कालीन सदर थाना प्रभारी बीएल मिश्र को दोषी माना. उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की और रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को भेजी, जिस पर आइजी एचआर ने बीएल मिश्र के वेतन से प्रति माह 12 हजार रुपये काट कर मुआवजे की राशि की वसूली करने की बात कही. इंस्पेक्टर बीएल मिश्र इस कार्रवाई के खिलाफ हाइकोर्ट गये. कोर्ट में कहा कि कार्रवाई से पहले उनका पक्ष नहीं सुना गया. कोर्ट के आदेश पर चाईबासा एसपी पंकज कंबोज ने दुबारा मामले की जांच की. बीएल मिश्र से उनका पक्ष लिया और पाया कि फौजी अंसारी को जेल जाने के लिए बीएल मिश्र के अलावा चंद्रभूषण और बालेश्वर बैठा भी दोषी हैं.