रांची: महालया चार अक्तूबर को है. महालया के दिन सुबह में लोग विभिन्न नदियों व तालाबों पर जाकर अपने पितरों को तर्पण व पिंडदान करते हैं. इस दिन पितृ पक्ष का समापन होता है. पंडितों को भोजन कराने के बाद स्वयं अन्न ग्रहण करते हैं. गरीबों को दान भी किया जाता है. शुक्रवार को बंगाली समुदाय सहित अन्य लोग घरों में देवी आह्वान का पाठ सुनते हैं.
इसके बाद लोग एक दूसरे को शारदीय नवरात्रा शुरू होने के उपलक्ष्य में एक दूसरे को बधाई देते हैं व मिठाई भी खिलाते हैं. इस दिन से कई लोग अपने-अपने घरों में मां चंडी का पाठ भी शुरू करते है.
महालया के दिन से ही मां दुर्गा के आगमन की तैयारी शुरू कर दी जाती है. शाम में राजधानी के विभिन्न बंगला मंडपों में महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया जाता है. महालया से पूर्व लोग अपने घरों की साफ सफाई का काम भी पूरा कर लेते है. डा शिप्रा भट्टाचार्या ने कहा कि मैं इस दिन मां का ध्यान कर चंडी पाठ करती हूं और सभी की मंगल कामना के लिए देवी से प्रार्थना करती हूं.
शारदीय नवरात्रा पांच से : शारदीय नवरात्रा पांच अक्तूबर शनिवार से शुरू हो रहा है. इसी दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की आराधना शुरू हो जायेगी. शनिवार को सुबह 6.14 के बाद से कलश स्थापना का मुहूर्त शुरू हो जायेगा. मुहूर्त दिन के 11.37 से 12.24 बजे तक है. इस बार विशुद्ध रूप से प्रतिपदा नहीं मिलने के कारण शनिवार को ही प्रतिपदा मान्य है और इसी दिन से मां की आराधना शुरू हो जायेगी. शनिवार को शाम 5.07 बजे तक हस्ता नक्षत्र है.भक्त इस समय तक कलश की स्थापना कर मां की आराधना कर सकते है. दस अक्तूबर को षष्ठी है.
इसी दिन बेलवरण के बाद पूजा पंडालों में मां का पट खोल दिया जायेगा. 11 को महा सप्तमी, 12 को महाअष्टमी ,13 को महानवमी व 14 को विजया दशमी है. वाराणसी व बंगला पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली व गमन गज पर हो रहा है. आने का फल शुभ नहीं माना जा रहा है. वहीं जाने का फल शुभ माना जा रहा है. मिथिला पंचांग के अनुसार इस बार मां का आगमन घोड़ा व गमन महिष पर है. इसके अनुसार आगमन व गमन दोनों का फल शुभ नहीं माना जा रहा है. पंडितों का मानना है कि मां की आराधना की तिथि में कोई फेर बदल नहीं है. इस कारण भक्तों को इसका लाभ मिलेगा.