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सच हुआ बुटिक खोलने का सपना

।। राकेश सिन्हा ।। केबीसी ने बदल दी रांची की राहत तसलीम की जिंदगी, आज दूसरी महिलाओं को भी दे रही रोजगार गिरिडीह : आज से चार वर्ष पहले कई समस्याओं से जूझ रही राहत तसलीम (39) को आत्मनिर्भर बनने के रास्ते नहीं दिख रहे थे. वह ससुराल में सिलाई–कढ़ाई की ट्रेनिंग देती थी. कभी […]

।। राकेश सिन्हा ।।

केबीसी ने बदल दी रांची की राहत तसलीम की जिंदगी, आज दूसरी महिलाओं को भी दे रही रोजगार

गिरिडीह : आज से चार वर्ष पहले कई समस्याओं से जूझ रही राहत तसलीम (39) को आत्मनिर्भर बनने के रास्ते नहीं दिख रहे थे. वह ससुराल में सिलाईकढ़ाई की ट्रेनिंग देती थी. कभी सोचा नहीं था कि उसके दिन भी बहुरेंगे और बुटिक खोलने का सपना भी पूरा होगा.

लेकिन, एक अवसर ऐसा मिला कि राहत की दुनिया ही बदल गयी. केबीसी में करोड़पति बनने के बाद राहत की जिंदगी बदल गयी. रांची के हिंदपीढ़ी की रहनेवाली राहत का विवाह 20 वर्ष पूर्व गिरिडीह के गद्दी मुहल्ला के इम्तियाज अहमद से हुआ था. बचपन से डॉक्टर बनने की चाहत रखनेवाली राहत शुरू से ही पढ़ाई में अच्छी थी.

आइएससी की पढ़ाई के बाद मेडिकल की परीक्षा में बैठना चाहती थी, पर परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने पिता के बीमार रहने के कारण पढ़ाई को बीच में ही छोड़ना पड़ा.

बीच शादी का रिश्ता आया और घर के हालात को देखते हुए राहत ने इसे स्वीकार कर लिया. वह कहती है कि शादी के बाद शुरुआती समय में पति समेत ससुरालवाले भी नहीं चाहते थे कि मैं जॉब करूं. घर पर ही रह कर स्नातक की पढ़ाई की. बाद में धीरेधीरे ससुरालवालों का सोच बदलने लगा. पर, जब तक ससुरालवालों का नौकरी के तरफ मन बदला, तब तक काफी देर हो चुकी थी.

नौकरियों के लिए अधिकतम उम्रसीमा लगभग समाप्त हो चुकी थी. अंतत: ससुराल में ही सिलाई सेंटर खोल कर आसपास की लड़कियों को सिलाई और कढ़ाई की ट्रेनिंग देने लगी. उस दौरान पति एमएमटीसी में कोचिन में नौकरी करते थे.

इस दौरान वह सिलाई सेंटर से कमाई कर अपने बच्चों को पढ़ा रही थी और ससुराल का खर्च भी उठा रही थी.

संघर्षपूर्ण दिनचर्या रहने के कारण राहत टीवी में कम ही दिलचस्पी रखती थी. इसी बीच द्वितीय चरण का केबीसी शुरू हुआ और अचानक उसके मन में आया कि क्यों एक बार किस्मत आजमा ली जाये. बस क्या था, केबीसी का सवाल देखा और एसएमएस पर जवाब भेज दिया. एक ही एसएमएस ने राहत की सफलता के द्वार को खोल दिया. इसके बाद कई सवालों का जवाब देते हुए राहत केबीसी के हॉट सीट तक पहुंच गयी.

10 नवंबर 2010 का दिन जिसे राहत अपनी जिंदगी से निकाल नहीं पाती. इसी दिन एक करोड़ के लिए उससे पूछे गये सवाल किसी महिला को पहली बार राष्ट्रपति निर्वाचित करनेवाला पहला अफ्रीकी देश कौन था? का जवाब दिया और करोड़पति बन गयी. इसी के साथ राहत ने भी कई रिकॉर्ड बना लिये.

एक ओर जहां केबीसी में पहली महिला करोड़पति बनने का गौरव हासिल किया, वहीं दूसरी ओर केबीसी में झारखंड की पहली करोड़पति बनने का भी रिकॉर्ड दर्ज कराया. राहत कहती है कि केबीसी ने उनके सपने को पूरा कर दिया. वह बुटिक खोलना चाहती थी. आज गिरिडीह के शिव मुहल्ला में स्थित आरएस कॉम्लेक्स में राहत कलेक्शन के नाम से बुटिक की दुकान चला रही है.

कहती है कि वह अब महिलाओं को स्वावलंबी बनाना चाहती है. इसलिए उसने सिलाई सेंटर खोल कर महिलाओं को रोजगार उन्मुखी प्रशिक्षण देने का मन बनाया है. राहत कहती हैं कि जागरूकता की कमी के कारण ही लड़कियां पीछे हैं. आज लड़कियां सिर्फ सब कुछ कर सकती हैं, बल्कि बेहतर भी कर सकती हैं.

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