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ढोल-मांदर की धुन पर नाचा झारखंड

-अखड़ा में करम राजा स्थापित, सुनायी करमा-धरमा की कहानी, देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम- रांचीः राजधानी में रविवार को प्रकृति पर्व करमा धूमधाम व श्रद्धापूर्वक मनाया गया. इस मौके पर अखड़ा को फूल-मालाओं से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. पाहन ने करमा-धरमा की कहानी सुनायी. करमटोली स्व शंकर खलखो चौक, करमटोली में छोटानागपुर ब्लू […]

-अखड़ा में करम राजा स्थापित, सुनायी करमा-धरमा की कहानी, देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम-

रांचीः राजधानी में रविवार को प्रकृति पर्व करमा धूमधाम व श्रद्धापूर्वक मनाया गया. इस मौके पर अखड़ा को फूल-मालाओं से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. पाहन ने करमा-धरमा की कहानी सुनायी.

करमटोली

स्व शंकर खलखो चौक, करमटोली में छोटानागपुर ब्लू क्लब के बैनर तले करम पूजा महोत्सव रविवार को धूमधाम से मनाया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी संस्कृति और व्यवस्था पूरी दुनिया में अनूठी है. हम प्रकृति के करीब रहनेवाले लोग हैं. कार्यक्रम देर रात तक चलेगा, पर बेफ्रिक हो कर इसमें शामिल रहें, क्योंकि सरकार ने सोमवार को अवकाश घोषित किया है. इस बार वह मुख्यमंत्री के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. कल भाई – साथी के रूप में भी शामिल होंगे. इससे पूर्व रात आठ बजे करम गोंसाई का आगमन पूजा स्थल पर हुआ. पहान भोला हेमरोम व सहयोगियों ने इसे स्थापित किया. अजय खलखो व प्रो राजेश कुजूर ने करम की कथा सुनायी. पूजा की समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण हुआ और पारंपरिक नृत्य का दौर शुरू हुआ, जो देर रात तक जारी रहा. लोगों ने रातभर जम कर नृत्य किया.

कार्यक्रम में डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय, डॉ रविंद्र भगत, प्रो दुखा भगत, अंतु तिर्की, प्रेमशाही मुंडा, पावेल कुमार, संतोष कुमार वर्मा उपस्थित थे. आयोजन में विनोद खलखो, अमित लकड़ा, प्रकाश किंडो, अमित खलखो, सूरज खलखो, अभय भुटकुंवर, चंदन खलखो, आलोक लकड़ा, आजाद खलखो, अभिजीत खलखो, करण खलखो व अन्य ने सक्रिय भागीदारी निभायी.

हरमू

अखड़ा में करम गाड़ले रे भाई.जैसे गीतों से सरना समिति हरमू का अखड़ा गूंज रहा था. अखड़ा का मुख्य मंडप गेंदा व रजनीगंधा जैसे फूलों से सजा था. बीच में सफेद व लाल पट्टियों वाला सरना झंडा लहरा रहा था. चारों ओर आकर्षक विद्युत सज्जा की गयी थी. अखरा के पास स्थित पेड़ों पर भी लगी लाइट आकर्षित कर रही थी. शाम साढ़े छह बजे करम डाल को अखरा में लाया गया एवं करम राजा को स्थापित किया गया. जवा फूल तथा अन्य पूजन सामग्रियों को भी लाया गया. थोड़ी देर बाद गांव से इकट्ठा किये गये तेल से करम डाल के पास दीप प्रज्जवलित किया गया. डोमन पाहन ने पूजा करायी व करमा-धरमा की कहानी सुनायी. देर रात सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. पूजा को सफल बनाने में अनिल तिग्गा, बिरसा मिंज, रवि तिग्गा, दशरथ गाड़ी, मोनू कच्छप, प्रभु खलखो सहित अन्य का योगदान रहा.

वीमेंस कॉलेज

आदिवासी छात्रवास के तत्वावधान में वीमेंस कॉलेज साइंस ब्लॉक में करमा धूमधाम से मना. इस मौके पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि करमा भाईचारे और प्रकृति से लगाव को दर्शाता है. श्री सोरेन ने पूजा में भी भाग लिया. पूजा पाहन सुनील उरांव, निरंजन लकड़ा तथा देवीचरण उरांव ने करायी. पूजा के बाद मुख्यमंत्री ने मांदर भी बजाया. पूजा के दौरान कथा डॉ नारायण भगत ने सुनायी. विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षामंत्री गीताश्री उरांव भी उपस्थित थीं.

चडरी

चडरी सरना समिति के तत्वावधान में भी धूमधाम से करमा पर्व का आयोजन हुआ. पूजा गुड्ड पाहन ने करायी. सुशील हेब्रोम ने कथा सुनायी. पूजा में राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी भी उपस्थित थे. चडरी स्थित प्रेमनगर में भी करमा पर्व श्रद्धा और उल्लास से मना.

रामकृष्ण मिशन

रामकृष्ण मिशन आश्रम में करमा महोत्सव पर मुख्य अतिथि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ गिरधारी राम गोंझू उपस्थित थे. उन्होंने करमा को प्रकृति एवं झारखंड की संस्कृति से जुड़ा सबसे बड़ा पर्व बताया. मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए. इस अवसर पर स्वामी अमृत लोकानंद, एमएस चौहान, श्याम लाल महतो सहित अन्य उपस्थित थे.

कोकर

अखिल भारतीय पीठ परिषद, आनंद वाहिनी एवं राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के कोकर बाजार स्थित शिव-हनुमान मंदिर में करमा एकादशी मनायी गयी. महापुराण वर्णित गजेंद्र मोक्ष का पाठ किया गया. इंजीनियर एवं वैद्य चंद्रभूषण पाठक ने गजेंद्र मोक्ष पाठ के महत्व की जानकारी दी. इस मौके पर पंडित श्रवणन कुमार पांडेय, देवनंदन सिंह, अमोद कुमार, समोध कुमार, अमृत कुमार, मनोरमा कु मारी , जानकी पाठक सहित कई लोग मौजूद थे.

कर्म को धर्म के साथ जोड़ें

जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में मना करम पर्व

रांचीः जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में करम पर्व श्रद्धा और उल्लासपूर्वक मनाया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि राज्यपाल डॉ सैयद अहमद ने कहा कि कर्म को धर्म के साथ जोड़ना होगा, तभी सच्चे अर्थो में जन्नत की प्राप्ति हो सकती है. करम प्रकृति के साथ जुड़ा पर्व है. आज औद्योगिकीकरण और निजी स्वार्थ से वनों की कटाई हो रही है. ऐसे में करम सभी को अच्छे कर्म और भलाई का संदेश देता है. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने घोषणा की कि सरहुल और करम में एक-एक दिन का अवकाश रहेगा. इस प्रस्ताव को मान लिया गया है. आपदा प्रबंधन मंत्री मन्नान मल्लिक व सांसद सुबोधकांत सहाय ने कहा कि यह त्योहार राष्ट्रीय एकता और भाईचारे का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि झारखंड के विकास का मॉडल आदिवासी नेतृत्व के जरिये बने. कुलपति डॉ एलएन भगत ने भी विचार रखे. विभागाध्यक्ष केसी टुडू, प्रो बीपी केसरी, दिवाकर मिंज, प्रो अमिता मुंडा आदि उपस्थित थे. मौके पर जनजातीय नृत्य प्रस्तुत किये गये.

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