रांची: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि 2018 तक सभी गांवों में ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क स्थापित कर लिया जायेगा. इसके लिए अगले दो-तीन वर्षो में काफी काम करने होंगे. केंद्र ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) और गैर पीएमजीएसवाइ सड़कों को विकसित करने का कार्यक्रम तय किया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य सरकारों की भी जिम्मेवारी बढ़ी है. राज्य सरकारों को चाहिए कि वह काम करने का बेहतर माहौल बनाएं, संवेदक कंपनियों को सुरक्षा प्रदान करे, संवेदकों के साथ हुए समझौते को सख्ती से लागू करे. श्री रमेश इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक्सीलरेटिंग डेवलपमेंट ऑफ रूरल एंड अरबन रोड्स, हाइवेज इन झारखंड विषयक कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों के साथ सरकार को भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके लिए केंद्र से पूरी मदद की जायेगी. उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश और दूसरे राज्यों के संवेदकों की बजाय स्थानीय कांट्रेक्टरों को बढ़ावा देने की जरूरत है. केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाइ में अब पैकेज की लागत 50 लाख तक कर दी है, ताकि झारखंड के लोगों की अधिक से अधिक भागीदारी हो. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी लोग सरकार को दोष देते हैं. पर उन कंपनियों, संवेदकों के बारे में कुछ नहीं कहते, जो सरकार से अग्रिम पैसा लेकर भाग जाते हैं. झारखंड के एनएच-75 सड़क निर्माण मामले में भी कुछ यही हुआ है. इस सड़क को बना रही कंपनी ने मोबिलाइजेशन एडवांस की रकम लेकर उसे पुणो में रीयल इस्टेट के क्षेत्र में इनवेस्ट कर दिया. संवेदक काम तो ले रहे हैं, पर वे अचानक गायब हो जा रहे हैं. यह बड़ी समस्या है.
ग्राम्य अभियंत्रण संगठन के प्रधान सचिव संतोष सतपथी ने कहा कि जब वे आइएएस बने थे, उस समय सड़क निर्माण के लिए जो मैन्यूअल कनीय अभियंताओं ने तैयार किया था और जो अभी सलाहकार कंपनियां तैयार कर रही हैं. दोनों में कोई खास अंतर नहीं है. जरूरत है इसे सही तरीके से लागू करने की. कार्यक्रम को जुस्को के प्रबंध निदेशक आशीष माथुर ने भी संबोधित किया. आइसीसी के निदेशक कमल साही ने सभी का स्वागत किया. शालीन राव ने धन्यवाद दिया.