।। लाल पाड़ साड़ी प्रकरण पर फादर एलेक्स ने कहा।।
रांचीः लाल पाड़ साड़ी प्रकरण पर आरसी चर्च ने अपना पक्ष रखा है. मंगलवार को एसडीसी सभागार में एक्सआइएसएस के निदेशक फादर एलेक्स एक्का ने कहा है कि चर्च किसी को आकर्षित कर अपने धर्म में लाने के एजेंडा पर नहीं चल रहा है. वैसे, मात्र मूर्ति देख कर कोई धर्म नहीं बदल लेता. भारत के बंगाली, मराठी, गुजराती, तमिल, मलयाली या मणिपुरी ईसाई भी माता मरियम का अपनी सांस्कृतिक वेशभूषा में श्रृंगार करते हैं.
यदि झारखंड के ईसाई आदिवासी लाल पाड़ की साड़ी द्वारा माता मरियम की भक्ति और सम्मान करना चाहते हैं, तो यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार है. कोई भी माता मरियम की भक्ति और मर्यादा का ध्यान रखते हुए उनकी प्रतिमा को दूसरे रंग के पाड़ की साड़ी से भी सुसज्जित कर सकता है. हालिया विवाद के मद्देनजर चर्च ने करमा और सरहुल नहीं मनाने का निर्णय लिया है.
..तो कल मांदर न बजाने की मांग उठेगी : एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कहा कि यदि किसी के कहने पर प्रतिमा में बदलाव लाते हैं, तो कल मांदर नहीं बजाने, कुड़ुख नहीं बोलने जैसी बातें भी आ सकती हैं. मरियानिष्ट धर्मसमाज के रीजनल सुपीरियर ब्रदर अगस्तुस सुरीन ने कहा कि वर्ष 1979 में सिंगपुर के ग्रामीणों ने ही वहां चर्च से स्कूल खोलने की गुजारिश की थी. उनकी पहल पर जमीन मुहैया करायी गयी. वर्तमान में सिंगपुर के मिशन स्कूल में 1300 बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें मात्र दो सौ ईसाई, एक हजार सरना व शेष अन्य बच्चे हैं. वर्तमान में वहां प्रभात तारा मध्य व उच्च विद्यालय, शामिनाड स्वास्थ्य केंद्र, व शामिनाड ट्रेनिंग सेंटर की बुनियादी संरचनाएं विकसित हैं. सर्वागीण विकास के लिए सुविधा केंद्र खुले हैं.
विघटनकारी ताकतों को दरकिनार करें : फादर एक्का ने कहा कि कुछ लोग सिंगपुर का विकास देखना नहीं चाहते. सिंगपुर के पुराने लोगों ने समाज की प्रगति चाही थी. उन्होंने कहा :विघटनकारी व वैमनस्य पैदा करने वाली ताकतों से न केवल बच कर रहें, बल्कि उन्हें निरस्त कर ऐसे समाज के निर्माण में सहयोग दें, जहां सौहाद्र्र, शांति, भाईचारा, सहिष्णुता, पारस्परिक प्रेम, सम्मान तथा सामाजिक एकता व्याप्त हो. ताकि झारखंड का समग्र विकास और नाम होता रहे. आदिवासियों के लिए जल, जंगल, जमीन और अस्मिता की रक्षा जैसे कई जरूरी मसले हैं.
कैथोलिक महिला संघ की सभानेत्री सिसिलिया लकड़ा व सिंगपुर निवासी कैथोलिक सभा के सदस्य सुरेन मिंज ने कहा कि इस प्रकरण से सरना व ईसाई आदिवासियों के बीच दूरी बढ़ी है. विकर जेनरल फादर इग्नेस तोपनो ने भी इस मौके पर अपने विचार रखे.