रांची: हरितालिका तीज व चौठ चंद्र रविवार को है. सुहागिनें अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं. आचार्य जय नारायण पांडे ने बताया कि पंडित न मिलने की स्थिति में यह पूजा स्वयं भी की जा सकती है. स्वयं पूजा कर रही हैं तो इन मंत्रों के साथ भगवान शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करे. सबसे पहले सभी पूजन सामग्री को व्यवस्थित कर लें और भगवान का ध्यान करें. संकल्प कर पूजा का आरंभ करें.
आवाहन
आगच्छ देव देवेश! मर्त्यलोक हितेच्छया। पूजयामि विद्यानेन प्रसन्न सम्मुखो भव।। आहूयामि बोल कर अपने आराध्य देव का स्मरण करें. उनको आसन, स्नान, अघ्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, पुष्प, माला, गंध, नैवेद्य, पान व अन्य पूजन सामग्री अर्पित कर प्रदक्षिणा करें.
प्रणाम कर मंत्रोच्चर करें
नागेंद्र हाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय, नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै नकाराय नम: शिवाय.
इसके बाद तीज की कथा सुन लें और भगवान की आरती करें. आप चाहें, तो लोकगीतों के माध्यम से भगवान का रात भर ध्यान कर सकती हैं.अगले दिन प्रात: पूजा अर्चना कर संभव हो तो ब्राह्नाणों को दान व भोजन करा कर पारण कर लें. अखंड सौभाग्य प्रदान करनेवाले सुहागिनों का व्रत तीज की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.
सौभाग्य का व्रत है तीज भगवान शंकर एक पत्नी व्रत के अद्वितीय, अनुपम, अद्भुत,भव्य एवं देदीप्यमान आदर्श है. आशुतोष, औघड़दानी भगवान शंकर की प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने कठिन तप किया. हस्ता नक्षत्र से युक्त भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन वह अपनी सहेलियों द्वारा अपहरण की गयी थी. है. अत: इसका नाम हरितालिका या तीज हुआ. अपनी सहेलियों सहित उन्होंने कठोर व्रत किया. पार्वती ने बालुकामयी प्रतिमा बना कर पूजन की विविध सामग्रियों यथा चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि नाना उपचारों एवं सौभाग्य द्रवों (वस्त्र, आभूषण से) से पूजन किया था और अपने सौभाग्य की वृद्धि थी. अत: यह व्रत विविध कामनाओं की पूर्ति, सौभाग्य की वृद्धि एवं संतति प्राप्त के लिए उपादेय है.कई जगहों पर कुमारी लड़कियां भी भगवान शिव की तरह पति पाने के लिए भी यह व्रत करती है.
पूजन सामग्री : अक्षत, रोड़ी,चंदन, अबीर-गुलाल,सिंदूर, अभ्रक व हल्दी चूर्ण, मौली, यज्ञोपवीत, फूल, फूल की माला, इत्र,पान, सुपारी, द्रव्य, श्रृंगार सामग्री, बालू, पंचामृत, ऋतुफल, लौंग, इलायची, मिठाई, घर में बनी पिड़ुकियां सहित अन्य प्रसाद, आम पल्लयव, कपूर, धूप, दीप, माचिस, कलश व अन्य.
मिथिला का लोक व्रत चौठ चंद्र आज
रांची. मिथिला का लोक व्रत चौठ चंद्र रविवार आठ सितंबर को है. इस दिन शाम में चंद्रमा की विशेष पूजा अर्चना कर उन्हें अघ्र्य दिया जायेगा. व्रती दिन भर उपवास कर शाम में भगवान की विशेष पूजा कर आंगन,घरों की छतों सहित अन्य स्थानों पर विशेष अल्पना सजाकर भगवान को फूल, फल,खीर,पूड़ी सहित अन्य सामग्री से अघ्र्य देती हैं. मिथिला पंचांग के अनुसार रविवार को शाम 4.38 बजे तक तृतीया है. इसके बाद चतुर्थी लग जा रही है. इस पर्व में चतुर्थी को ही शाम में ही भगवान को अघ्र्य दिया जाता है.पहले दिन शाम में चौठ मिल रहा है.इस कारण रविवार को ही यह पर्व मनाया जायेगा. सोमवार को गणोश चतुर्थी महोत्सव मनाया जायेगा.