रांची: रिम्स में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति नहीं होने से नाराज पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुरेंद्र सिंह ने मंगलवार को जम कर हंगामा किया. वह निदेशक डॉ तुलसी कार्यालय में घुसे और अभद्र व्यवहार किया. निदेशक ने जब उनसे पूछा कि बगैर अनुमति आप कार्यालय में क्यों घुसे, तब उन्होंने पहले पैर से मार कर शीशे का दरवाजा तोड़ दिया, उसके बाद अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर उनके साथ मारपीट करने लगे. वह चिल्ला कर कह रहे थे: किस आधार पर प्रोफेसर के पद पर मेरी नियुक्ति नहीं हुई. मारपीट की सूचना मिलते ही सुरक्षा गार्ड वहां दौड़ते हुए पहुंचे और बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया. मामले को लेकर रिम्स निदेशक ने बरियातू थाने में लिखित शिकायत की है.
विभागाध्यक्षों की बैठक में भी घुसे डॉ सुरेंद्र: निदेशक के साथ मारपीट के बाद प्रबंधन ने मंगलवार को निदेशक कार्यालय में विभागाध्यक्षों के साथ आपात बैठक बुलायी. बैठक में मामले को सुलझाने पर विचार-विमर्श हो रहा था, तभी अचानक डॉ सुरेंद्र सिंह कार्यालय में घुसे और चिल्लाने लगे. वह अपनी बातों को रख रहे थे. बाद में किसी तरह उन्हें वहां से हटाया गया.
फाइलें इधर-उधर फेंक दी
रिम्स निदेशक का कार्यालय कुछ देर के लिए रणक्षेत्र में तब्दील हो चुका था. दरवाजे का शीशा टूट कर बिखरा पड़ा था, कुर्सियां गिरी हुई थीं. फाइलें इधर-उधर फेंकी हुई थी. देखने से लग ही नहीं लग रहा था कि यह राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के निदेशक का कार्यालय है. निदेशक कुर्सी बैठ अपनी पीड़ा बयां कर रहे थे.
पैसा नहीं दिया, तो नहीं हुआ सलेक्शन
डॉ सुरेंद्र सिह ने निदेशक पर आरोप लगाया है कि कि प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए उन्हें पैसा देने का इशारा किया गया था. पैसे नहीं देने के कारण ही उनकी नियुक्ति नहीं हो पायी. डॉ सिंह ने कहा कि वह इसकी जानकारी लेने निदेशक के कार्यालय में गये थे. बातचीत के बीच ही निदेशक ने उनके साथ हाथापाई की. उनके पास एमडी की दो डिग्री है. उनका प्रतिशत 51.6 प्रतिशत है, लेकिन कम अंक वालों का चयन कर लिया गया है.
प्रक्रिया से ही होती है नियुक्ति
चिकित्सकों की नियुक्ति एक प्रक्रिया के तहत होती है. सलेक्शन टीम होती है, जिसमें सबका अपना-अपना मंतव्य होता है. मेरे चाहने से किसी की नियुक्ति नहीं हो सकती है.
डॉ तुलसी महतो, निदेशक रिम्स