रांची: शारदीय नवरात्रा पांच अक्तूबर से शुरू हो रहा है. इसी दिन स्नान दान की अमावस्या है. पितृपक्ष का समापन भी महालया के दिन चार अक्तूबर, शुक्रवार को होगा. इस बार विशुद्ध रूप से प्रतिपदा नहीं मिलने के कारण शनिवार को ही प्रतिपदा मान्य होगा और इसी दिन से मां की आराधना शुरू हो जायेगी.
प्रतिपदा के बाद से किसी भी तिथि का क्षय अथवा वृद्धि नहीं है. छह को द्वितीया,सात को तृतीया,आठ को चतुर्थी, नौ को पंचमी,दस को षष्ठी, 11 को महा सप्तमी, 12 को महाअष्टमी ,13 को महानवमी व 14 को विजया दशमी है.
वाराणसी व बांग्ला पंचांग के अनुसार मां का आगमन डोली व गमन गज पर हो रहा है. आने का फल शुभ नहीं माना जा रहा है. वहीं जाने का फल शुभ माना जा रहा है. मिथिला पंचांग के अनुसार इस बार मां का आगमन घोड़ा व गमन महिष पर है. आगमन व गमन दोनों का फल शुभ नहीं माना जा रहा है. हालांकि पंडितों का मानना है कि मां की आराधना की तिथि में कोई फेर बदल नहीं है. इस कारण भक्तों को इसका लाभ मिलेगा.वहीं चार अक्तूबर को महालया है. 18 अक्तूबर को कोजागरी लक्खी पूजा है और दो नवंबर को काली पूजा है. तीन नवंबर को दीपावली है.