रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि राज्य में महिलाएं न तो सुरक्षित हैं और न ही उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस पहल की गयी है. आम जनता, विशेषकर महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. यह अलार्मिग स्थिति है. ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य में सरकार विफल है. सरकार है ही नहीं. जस्टिस एनएन तिवारी व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में छेड़खानी को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने महिला सुरक्षा को लेकर चिंता जतायी. राज्य सरकार को फटकार लगायी. कोर्ट में दो वर्षो से चल रहा मामला
खंडपीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में कहा : महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित मामला पिछले दो वर्षो से कोर्ट में चल रहा है. इस दौरान कई बार आदेश पारित किये गये. पर सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. महिलाओं के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं. स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो मजबूर होकर अदालत को कहना पड़ सकता है कि आम लोग अपनी सुरक्षा स्वयं करें. अगर जनता जाग गयी, तो उसे रोकना मुश्किल होगा.
पब्लिक नोटिस जारी करने का निर्देश
खंडपीठ ने राज्य सरकार व रांची नगर निगम को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है. पूछा कि छेड़खानी रोकने और सुरक्षा के लिए क्या कार्रवाई की गयी है. खंडपीठ ने रांची नगर निगम को शहर के छात्रवासों के संबंध में विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने सरकार को पब्लिक नोटिस जारी करने को कहा. शपथ पत्र के साथ पब्लिक नोटिस की प्रति संलगA कर विस्तृत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी.
एमीकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया
एमीकस क्यूरी वरीय अधिवक्ता दिलीप जेरथ ने खंडपीठ को बताया कि महिला हेल्पलाइन नंबर का लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने सभी थानों में हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराने और छेड़खानी रोकने के लिए व्यवस्था को सशक्त बनाने का आग्रह किया. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता रंगन मुखोपाध्याय ने पक्ष रखा.
2011 में लिया था संज्ञान
हाइकोर्ट ने सितंबर 2011 में प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. उपायुक्त व एसएसपी को निर्देश दिया था कि वे हर हाल में छेड़खानी रोकें, ठोस कदम उठाये जायें. सेल का गठन करें. शैक्षणिक संस्थानों व स्कूल-कॉलेज के प्राचार्यो को छेड़खानी रोकने के लिए पहल करने का भी निर्देश दिया था.