नयी दिल्ली:झारखंड, ओड़िशा और राजस्थान को विशेष राज्य का दरजा नहीं मिलेगा. ये तीनों राज्य विशेष राज्य का दरजा प्राप्त करने के लिए मौजूदा मानदंडों को पूरा नहीं करते. लेकिन बिहार के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है. योजना राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने गुरुवार को सरदार सुखदेव सिंह ढींढसा के सवालों के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि झारखंड, ओड़िशा और राजस्थान को विशेष राज्य का दरजा दिये जाने के अनुरोधों को मौजूदा मानदंडों के संदर्भ में जांचा गया. इस संबंध में विचार- विमर्श करने के बाद पाया गया कि ये तीनों राज्य विशेष दरजा प्राप्त करने हेतु पात्र नहीं हैं. श्री शुक्ला ने कहा कि जनवरी, 2013 में झारखंड को और मई, 2013 में ओड़िशा और राजस्थान की सरकारों को सूचित किया जा चुका है कि उन्हें विशेष राज्य का दरजा नहीं मिल सकता. उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दरजा देने के राज्य के अनुरोध पर सितंबर, 2011 में एक अंतर मंत्रलयीय समिति का गठन किया गया था. समिति ने 30 मार्च, 2012 को अपनी रिपोर्ट दी. बिहार का अनुरोध विचाराधीन है.
.. ये फायदे मिलते
विशेष राज्य की शर्ते पूरी करता है झारखंड
केंद्र सरकार पुनर्विचार करे : हेमंत सोरेन
केंद्र सरकार का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है. झारखंड को विशेष राज्य के दरजे से वंचित नहीं रखा जा सकता है. झारखंड सभी पात्रता को पूरा करता है. यह राजनीति से प्रेरित निर्णय लगता है. कांग्रेस चुनावी दृष्टिकोण से काम कर रही है. विशेष राज्य के लिए हमारी लंबी लड़ाई रही है. इसे कई फोरम पर उठाया गया है. केंद्र हमारी बातें और तथ्यों की अनदेखी नहीं कर सकता है. राज्य सरकार इस पर अविलंब पहल करे. राज्य सरकार इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाये.
झारखंड के साथ नाइंसाफी
सुदेश कुमार महतो,पूर्व उपमुख्यमंत्री
विशेष राज्य की लड़ाई में देरी हुई है. इसके लिए पूर्ववर्ती सरकार दोषी है. पिछली सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. झारखंड में प्रति व्यक्ति आय की बात की जाती है और इस आधार पर हमारी बातें नहीं सुनी जा रही है. यहां आधी आबादी गरीबी रेखा से नीचे है. लोग विस्थापन और पलायन का दंश ङोल रहे हैं. झाविमो इस मुद्दे को लेकर लगातार संघर्ष कर रहा है. संसद से सड़क तक झारखंड के साथ नाइंसाफी को मुद्दा बनायेंगे.