रांची: बारिश कम होने से राज्य में सुखाड़ जैसी स्थित (अर्ली ड्राउट सीजन) पैदा हो गयी है. सरकार ने वैकल्पिक खेती के लिए किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराने का फैसला किया है. इसके लिए 14 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराया गया है. किसानों को मक्का, मूंग, अरहर आदि के बीच उपलब्ध कराये जायेंगे. सरकार ने हर जिले को पेयजल, दवा और अन्न आदि उपलब्ध कराने के लिए दो-दो करोड़ रुपये देने का फैसला लिया है. सोमवार को प्रोजेक्ट भवन में सुखाड़ पर हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा की.
खेती योग्य बारिश नहीं
मुख्यमंत्री ने बताया : राज्य में खेती योग्य बारिश नहीं हुई है. अभी तक सुखाड़ जैसी स्थिति दिखाई दे रही है. इसे लेकर सभी विभागों से आंकड़े मंगाये गये. सेटेलाइट मैपिंग से खेती और बुआई की स्थिति देखी गयी है. स्थिति चिंताजनक है. एहतियात के तौर पर कृषि विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है.
कई निर्देश दिये गये
मुख्यमंत्री ने कहा : सरकार फसल बीमा की योजना को जुलाई से बढ़ा कर सितंबर तक करने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह करेगी. सभी जिलों के उपायुक्तों को दो-दो करोड़ रुपये का कॉरपस फंड दिया गया है. इस राशि से डीसी लोगों राहत देंगे. किसानों को हर संभव मदद किया जायेगा. पलायन न हो, इसे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गाय है. कृषि पदाधिकारियों को जिला न छोड़ने का निर्देश दिया गया है. प्रखंड कृषि पदाधिकारी को लगातार किसानों के संपर्क में रहने का निर्देश दिया गया है. इसमें राज्य के सभी जिलों को शामिल किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा : पेयजल विभाग को भी निर्देश दिया गया है कि आगे पेयजल की कमी न हो, इसकी तैयारी अभी से ही आरंभ कर दें. मनरेगा का काम जून में समाप्त हो जाता है. पर हालात देखते हुए इसे आरंभ करने का निर्देश दिया गया है, ताकि पलायन न हो और लोगों को रोजगार भी मिले.
अक्तूबर के बाद ही सुखाड़ की घोषणा हो सकती है
मुख्यमंत्री ने कहा : अभी पूर्ण आकलन अक्तूबर के बाद ही हो सकता है. यदि स्थिति खराब रही, तो राज्य को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया जायेगा. सरकार अभी सुखाड़ से निबटने की तैयारी कर रही है. सरकार बैंकों से भी आग्रह करेगी कि फिलहाल किसानों से ऋण की वसूली न की जाये.