रांची: रांची में बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के आसपास की ऊंची इमारतें टूट सकती हैं. इसके अलावा अरगोड़ा से कटहल मोड़ के रास्ते में मौजूद ऊंची इमारतें और उन पर लगे मोबाइल टावर को भी खतरा है. पुंदाग में स्थापित बिजली के 33 हजार वोल्ट का टावर भी हटाया जा सकता है. एयरपोर्ट प्राधिकरण ने इन्हें विमान के लिए खतरनाक बताया है.
बैठक में उठा था मामला
केंद्रीय नागर विमान सचिव केएन श्रीवास्तव व एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन वीपी अग्रवाल ने पांच अगस्त को मुख्य सचिव आरएस शर्मा व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इसमें ही इन इमारतों और मोबाइल व बिजली के टावरों को विमान की लैंडिंग के लिए खतरनाक बताया गया था. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार से सहायता की मांग की थी. बैठक में ही राज्य सरकार ने रांची एयरपोर्ट प्रबंधन से नगर निगम को को-ऑर्डिनेट्स मैप (निर्देशांक नक्शा) व निर्माण की सूची उपलब्ध करने को कहा था. एयरपोर्ट प्रबंधन जल्द ही सर्वे कर निगम को उन इमारतों की सूची उपलब्ध करायेगा, जिनसे विमान को खतरा है.
1000 फीट रन-वे का नहीं हो रहा इस्तेमाल : बिरसा मुंडा एयरपोर्ट प्रबंधन के एक अधिकारी के अनुसार, एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई 9000 फीट है. इसमें लगभग 1000 फीट बेकार है. बिरसा चौक की ओर से रन-वे संख्या 13 पर विमान 1000 फीट आगे लैंड करते हैं. कारण है, आसपास व अरगोड़ा से कटहल मोड़ के रास्ते में बनी ऊंची इमारतें और पुंदाग बस्ती में स्थापित बिजली का टावर. पुंदाग से ही विमान को लैंडिंग करने के लिए लो हाइट पर आना पड़ता है. पर इमारतें और टावर लैंडिंग के समय विमानों के घुमाव में आड़े आते हैं. इसी कारण विमान रन-वे पर 1000 फीट आगे लैंड करता है. रांची एयरपोर्ट प्रबंधन ने इसे लेकर पूर्व में ही राज्य सरकार को पत्र लिखा था.