झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन ने कहा : गांव के लोग झारखंडी हैं, पर वहां भी बिहारियों का दबदबा है. पहले भी इनका दबदबा था. अब भाइचारे के नाते वे यहां बस गये हैं, हम उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकते. उन्हें भगाया नहीं जा सकता. आदिवासियों को अपने विकास के बारे में सोचना होगा.
कल्याणकारी योजनाओं के लिए वे प्रखंड कार्यालयों जायें. न्याय के लिए थाना जायें. अगर न्याय नहीं मिले, तो थाने का घेराव करें. उन्होंने कहा : राज्य में काम करनेवाले ठेकेदार, जो सरकारी पैसा खा रहे हैं, उन पर लगाम लगायी जाये. झारखंड का कोयला बाहर जा रहा है, पर यहां के गांवों को कुछ नहीं मिल रहा है. राज्य के आदिवासी दारू, हड़िया पी रहे हैं.
पर उतना ही पीयें, जितना जरूरी है. उन्होंने कहा : कई अवसरों पर भगवान को दोना में हड़िया देते हैं और खुद पूरा हड़िया डकार लेते हैं, ऐसा नहीं चलेगा. पढ़े-लिखे आदिवासियों को भी शराब का सेवन बंद करना होगा. कार्यक्रम में सभी का स्वागत कल्याण सचिव राजीव अरुण एक्का ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कल्याण मंत्री साइमन मरांडी ने किया.
बेकसूर आदिवासियों को जेल से निकालें
रांची: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि झारखंड में वन अधिकार अधिनियम 2006 के लागू होने से ही आदिवासियों का विकास हो सकेगा. सात वर्षो में झारखंड में वन भूमि से संबंधित 15 हजार जनजातियों को ही जमीन का पट्टा दिया गया है, जो काफी कम है.
वहीं, ओड़िशा में तीन लाख और छत्तीसगढ़ में दो लाख आदिवासी परिवारों को पट्टा दिया गया है. केंद्रीय मंत्री शुक्रवार को आदिवासी दिवस पर मोरहाबादी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस कानून को सख्ती से लागू करने की सलाह दी. कहा : वन कानून 1927 के तहत झारखंड की जेलों में कई बेकसूर आदिवासी बंद हैं. मुख्यमंत्री इसकी समीक्षा कर बेकसूरों को जेलों से बाहर निकालें.
उन्होंने कहा : कांग्रेस के समर्थन से राज्य में नया राजनीतिक समीकरण बना है. यहां की जनता को अब घूस, ट्रांसफर-पोस्टिंग, स्वार्थ और विदेशों में नेताओं द्वारा बैंक एकाउंट खोले जाने की राजनीति से निजात मिल पायेगी.
मुख्यमंत्री ने की कई घोषणाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा : सरकार की पहली प्राथमिकता जनजातियों का सर्वागीण विकास है. अब ग्रामीण और सुदूरवर्ती वन क्षेत्रों में विकास की योजनाएं धरातल पर उतारी जायेंगी. राज्य के 12 हजार जनजातीय गांवों में सड़क, नाली, बिजली की सुविधाएं बहाल की जायेंगी. अनुसूचित जाति, जनजाति के मेधावी बच्चों के लिए सरकार उच्चतर शिक्षा में सहयोग करेगी. जरूरत पड़ी तो इन्हें लैपटॉप भी दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जनजातीय आबादी क्लस्टर बना कर काम करे, सरकार उन्हें मदद करेगी. मुख्यमंत्री ने सभी जनजातीय नौजवानों, बुजुर्गो को स्वावलंबी बनाने की घोषणा की.
आदिवासियों के विकास के बगैर राज्य का विकास संभव नहीं है. विकास योजनाओं का लाभ आज भी जनजातियों तक नहीं पहुंच पा रहा है.
– सुबोधकांत सहाय, सांसद
कल्याण विभाग की संचालित योजनाओं से संबंधित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया