मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि पुलिस वाले वसूली में व्यस्त रहते हैं. जमीन का भी कारोबार करते हैं. हम यहां कुछ ऐसे ही मामले रख रहें हैं, जिससे पता चलता है कि यहां कानून और विधि व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है. मुख्यमंत्री इस मामले को लेकर ऐसे ही चिंतित नहीं हैं.
रांची: पुलिस के कई अधिकारी जमीन के कारोबार में शामिल हैं. एक वरिष्ठ आइपीएस अफसर एक युवक के जरिये जमीन के कारोबार में शमिल हैं. कुछ वक्त पहले इस युवक को ट्रांसफर-पोस्टिंग में वसूली के काम में लगाया गया था, लेकिन जब सफलता नहीं मिली, तो फिर से उसे जमीन के कारोबार में जोड़ दिया गया है. आइपीएस अफसर कई बार युवक की कार में भी घूमते देखे गये हैं. युवक का थानेदारों के बीच अच्छी पैठ है. शहर के कई थानेदार भी जमीन कारोबारियों से मिले हुए हैं. जमीन कारोबारियों के पक्ष में थानेदार कई बार तो भूमि को विवादित बता कर धारा 144 लगा देते हैं. सदर थाना के एक पूर्व थानेदार के निर्देश पर एएसआइ ने तो एक ही जमीन के मामले में पैसे लेकर तीन बार अलग-अलग दो लोगों के पक्ष में रिपोर्ट दे दी थी. कुछ सिपाहियों के नाम भी सार्वजनिक हुए हैं. पुलिस के जवान नीरज सिंह को जमीन कारोबार में शामिल होने के आरोप में बरखास्त भी किया जा चुका है. वहीं नीरज के सहयोगी सिपाही नीरज कुमार और मनोज के खिलाफ जांच चल रही है.
इन सिपाहियों के ताल्लुकात पूर्व में रांची में पदस्थापित रहे एक आइपीएस अफसर से भी रहे हैं. कुछ साल पहले पुलिस अफसरों व जमीन कारोबारियों के बीच के संबंधों की जांच भी करायी गयी थी. सीआइडी ने जांच की थी. रिपोर्ट भी तैयार की गयी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. जमीन कारोबारियों से संबंध रखनेवाले अफसरों से वसूली कर फाइल ही दबा दिया गया.
बस और ऑटो वालों से वसूली
पुलिस की ओर से वसूली की बात करें, तो केस करने से लेकर अनुसंधान तक में इनकी वसूली होती है. झगड़ों की शिकायत लेकर थाना पहुंचने वालों से पुलिस कुछ लेने-देने की बात करने लगते हैं. जब कार्रवाई की बात आती है, तो आरोपियों से भी पैसे की वसूली करने से नहीं चूकते हैं. नौकरी के लिए वेरिफिकेशन या पासपोर्ट के लिए जांच पर रेट बंधा हुआ है. पुलिस शहर में बस और ऑटो चालकों से भी रुपये की वसूली करती है.
ईंट-बालू ट्रकों से वसूली
बालू व ईंट लेकर शहर में आनेवाले सभी मिनी ट्रकों से पुलिस रुपये की वसूली करती है. हर माह रकम नहीं देने पर ट्रक को रोक पुलिस कार्रवाई की चेतावनी देती है. पैसे देनेवाले ट्रक चालक आराम से धंधा करते हैं, लेकिन विरोध करनेवालों पर कार्रवाई हो जाती है. बालू ढोनेवाले ट्रकों से हर रूट पर पड़ने वाले थानों के पदाधिकारी वसूली करते हैं.