जमशेदपुर: जिले के उच्च विद्यालयों (सरकारी) में नौवीं व 10वीं कक्षा के विद्यार्थी भगवान भरोसे ही पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के साथ-साथ माह-दर-माह विद्यालयों में रिक्त पदों की संख्या बढ़ती जा रही है. फिलहाल जिले में शिक्षकों के स्वीकृत पद 1282 हैं जिनके विरुद्ध मात्र 262 शिक्षक ही पदस्थापित हैं. मतलब 1020 शिक्षकों के पद खाली हैं. आलम यह है कि 30 हजार विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए जिले में सिर्फ 262 शिक्षक हैं. इससे विद्यालयों में पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. विद्यार्थी बिना पूरी तैयारी के मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होने को विवश होते हैं. इससे मैट्रिक परीक्षा
में सरकारी उच्च विद्यालयों का रिजल्ट प्रभावित होता है. इन विद्यालयों में भी मेधावी छात्रों की संख्या कम नहीं है, बावजूद अधिकांश टॉपर अल्पसंख्यक या संबद्ध विद्यालयों से निकलते हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो जैक से संबद्ध अल्पसंख्यक स्कूलों में मैट्रिक रिजल्ट का प्रतिशत जहां 88 फीसदी से भी ज्यादा है, वहीं सरकारी स्कूलों में यह मात्र 64 फीसदी है.
उत्क्रमित विद्यालयों में एक भी हाइस्कूल शिक्षक नहीं
हर साल जिले में मध्य विद्यालयों को उत्क्रमित कर उच्च विद्यालय का दर्जा दिया जा रहा है. वहां नौवीं व 10 वीं कक्षा के विद्यार्थियों का नामांकन भी हुआ, लेकिन शिक्षक नियुक्त नहीं किये गये. इस तरह उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं. मध्य विद्यालय के शिक्षक ही उच्च विद्यालय के छात्र-छात्रओं को भी पढ़ाते हैं. ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता क्या होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
साल भर से नियुक्ति प्रक्रिया लंबित
राज्य में उत्क्रमित विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए झारखंड अधिविद्य परिषद ने अगस्त 2012 में नियुक्त परीक्षा का आयोजन किया था. तब बायोलॉजी की परीक्षा रद्द कर दी गयी थी. हालांकि 2012 से पूर्व भी परीक्षा की घोषणा करते हुए आवेदन आमंत्रित किये गये थे, लेकिन परीक्षा नहीं हुई. इसलिए उस समय आवेदन करनेवाले न्यायालय की शरण में चले गये. इस पर न्यायालय ने उन उम्मीदवारों की भी परीक्षा लेते हुए सभी का परीक्षाफल एक साथ प्रकाशित करने का फैसला सुनाया. इसके मद्देनजर परिषद ने उन उम्मीदवारों से शपथ पत्र के साथ आवेदन आमंत्रित किया है. अब उनकी परीक्षा के साथ ही बायोलॉजी की भी परीक्षा होगी. एक साथ सभी परीक्षा परिणामों की घोषणा की जायेगी.