स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ का भयावह परिणाम होता है. उत्तराखंड की घटना इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है. भयावह आपदा के बावजूद नदियों के किनारे कब्जा और निर्माण की घटनाओं में कमी नहीं आयी है. झारखंड में भी नदियों पर कब्जा करने वालों की कमी नहीं है. हरमू नदी किनारे निर्माण कार्यो के कारण कई जगह तो इसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया है. नदी सिमट कर नाले में परिवर्तित हो गयी है. नदी के किनारे सैकड़ों अपार्टमेंट बन गये हैं. नित नये निर्माण हो रहे हैं. जगह-जगह नदी के बहाव क्षेत्र को घेर कर बाउंड्री वाल का भी निर्माण कर दिया गया है. सब कुछ जानते हुए जिला प्रशासन व नगर निगम के अधिकारी खामोश हैं.
रांची: हरमू नदी की अनुमानित लंबाई 12 किलोमीटर है. भट्ठा मोहल्ला हरमू से लेकर अरविंदोनगर तक यह शहरी क्षेत्र में बहती है. इसके प्रवाह क्षेत्र में कई स्थानों पर अतिक्रमण किया गया है. विद्यानगर, श्रीनगर के पास के इलाके में नदी से सटकर निर्माण किये गये हैं. विद्यानगर पुल के पास नदी के किनारे पर स्कूल भी है. खटाल भी बन गये हैं. पुल के दूसरी ओर नदी से सटा हुआ एक छोटा मंदिर भी है.
बरसात में इन इलाकों में पानी भर जाता है. बारिश की वजह से विद्यानगर व श्रीनगर के इलाके में दो वर्ष पूर्व कई घरों को नुकसान भी पहुंचा था. नेजामनगर, खेत मोहल्ला में नदी के प्रवाह क्षेत्र में एक आंगनबाड़ी केंद्र और पावरोटी फैक्ट्री भी चलती है. हिंदपीढ़ी के निचले इलाके (जहां नदी का प्रवाह क्षेत्र है) में भी बरसात के दौरान पानी घरों में घुस जाता है. कडरू में जानकी स्टील मोड़ के पास पन्ना एनक्लेव अपार्टमेंट को नाले से सटाकर बनाया गया है. अपार्टमेंट की वजह से पानी निकलने का रास्ता संकरा हो गया है. भारी बारिश में यहां कभी भी हादसा हो सकता है. इसके अलावा कडरू में ही सुनहरी गली के निचले इलाके में निर्माण कार्य किया जा रहा है. यह इलाका भी नदी का प्रवाह क्षेत्र है.