रांची: प्रतिपक्ष के नेता अर्जुन मुंडा ने सदन में विश्वासमत के दौरान कांग्रेस को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि राज्य का दोहन करने के लिए कांग्रेस ने सरकार का गठन किया है. कांग्रेस ड्रैकुला साबित हुई है. राज्य को अपने चंगुल में लिया है. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने राज्य को दावं पर लगा दिया है. इस राज्य का भविष्य अंधकारमय कर दिया है. कुछ लोगों ने बहती गंगा में हाथ धोने के लिए सरकार के गठन में सहयोग किया है.
उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा का दायित्व कमजोर होने पर दुष्कर्म जैसी घटनाएं होती हैं. 13 वर्षो में राज्य ने अपनी प्रतिष्ठा खोयी है. जनता के बीच साख कम हुई है. येन-केन प्रकारेण सरकार बनायी जा रही है. राज्य की तीन करोड़ जनता आहत है. पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि इस षड्यंत्र में राजभवन भी शामिल हुआ है. छह महीने राष्ट्रपति शासन चला.
विधानसभा भंग नहीं की गयी. संसद में गृहमंत्री और वित्तमंत्री ने बयान दिया कि जल्द ही चुनाव होंगे. लेकिन चुनाव नहीं कराये गये. कांग्रेस ने राज्य का भविष्य चौपट कर दिया है. विश्वासमत के बाद पत्रकारों से बात करते हुए श्री मुंडा ने कहा कि सदन में सरकार ने विश्वास हासिल कर लिया, लेकिन जनता की अदालत में इनको विश्वास नहीं मिलने वाला है. जेल और बेल के बल पर सरकार बची है. लोकतंत्र का माखौल उड़ाया गया है.
व्यक्तिगत हितों के लिए बनी सरकार : विनोद सिंह
माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि झारखंड में व्यक्तिगत हितों के लिए सरकार बनती है. सरकार का अपना कोई मुद्दा नहीं है. यहां पर सिर्फ सरकार गिराने और बनाने का खेल जारी है. इन्हें राज्य और जनता के हितों का कोई ख्याल नहीं है. दागी विधायकों के मामले में सिर्फ सदन में चिंता जतायी जाती है. पार्टी अगर खुद दागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी, तो न्यायपालिका को विधायिका की कार्य प्रणाली में हस्तक्षेप नहीं करना पड़ेगा. पिछले 13 साल में झारखंड में क्षेत्रीय दल सत्ता का हिस्सेदार रही हैं, लेकिन इन्होंने राज्य की चिंता नहीं की.
सदस्यता रद्द करने पर भी हो विचार : राजा पीटर
जदयू विधायक दल के नेता गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर ने कहा कि राज्य में बार बार सरकार बन रही है. विश्वास मत को लेकर पार्टी की ओर से व्हिप जारी किया जा रहा है. इसका उल्लघंन करने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है. राज्य में एक बार निर्वाचित प्रतिनिधि तीन बार सरकार बनाते हैं. कई दल ऐसे हैं, जो बार बार गठबंधन बदलते हैं. ऐसे में दलों की सदस्यता समाप्त करने पर भी विचार करना चाहिए.