रांची: 34 वें नेशनल गेम्स के दौरान खेल सामग्री खरीदारी में हुई करीब 28.38 करोड़ की गड़बड़ी मामले में इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के एक पूर्व पदाधिकारी ललित के भनोट से बुधवार को निगरानी ब्यूरो कार्यालय में करीब चार घंटे तक पूछताछ की गयी. उनसे 12 बजे से लेकर चार बजे तक निगरानी एएसपी और मामले के अनुसंधानक आनंद जोसेफ तिग्गा ने पूछताछ की.
पूछताछ के दौरान ललित भनोट ने बताया कि नेशनल गेम्स के लिए खेल सामग्री की खरीदारी में उनका कोई योगदान नहीं था. सामान की खरीदारी के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया था, उस कमेटी की मीटिंग भी नहीं होती थी, इसलिए खरीद किस दर पर हुई इसके संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. ललित भनोट ने पूछताछ में यह बताया कि खेल सामग्री की खरीद के लिए एएसबी प्रसाद ने एक लिस्ट भेजी थी, जिसके संबंध में उन्हें जानकारी है.
जब निगरानी एएसपी ने ललित भनोट से पूछा कि इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के किसी पदाधिकारी ने आधिकारिक तौर पर सामान खरीदने की अनुशंसा की थी. जवाब में भनोट ने कहा कि किसी ने आधिकारिक तौर पर कोई पत्र नहीं दिया था.
भनोट ने कहा कि इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के किसी पदाधिकारी ने अगर निजी तौर पर कोई अनुशंसा की होगी, इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इसके अलावा पूछताछ के दौरान ललित भनोट ने एएसपी को यह भी बताया कि नेशनल गेम के लिए खेल के जो सामान खरीदे जाते थे. उसके लिए ओलिंपिक एसोसिएशन के बड़े अधिकारी ही निर्णय लेते थे. निगरानी के अधिकारियों के अनुसार ललित भनोट कॉमनवेल्थ गेम घोटाले में अभियुक्त है. मामले में अभी न्यायालय में ट्रायल चल रहा है.
ललित के भनोट से पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिग भी तैयार की गयी है. इसे निगरानी के अधिकारी बाद में साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल करेंगे. ललित भनोट से पूछताछ के बाद निगरानी एएसपी ने एएसबी प्रसाद से संपर्क किया तो एएसबी प्रसाद ने अस्वस्थ होने की बात कही. उन्हें 10 दिसंबर को हैदराबाद इलाज करवाने जाना है. एएसबी प्रसाद ने कहा कि वह हैदराबाद से लौटने के बाद निगरानी ब्यूरो कार्यालय पहुंचेंगे.
कलमाडी ने लिया था ललित भनोट का नाम
उल्लेखनीय है कि इससे पहले इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुरेश कलमाडी से पूछताछ की जा चुकी है. उन्होंने निगरानी के अधिकारियों को बताया था कि समानों की खरीद के लिए एक अलग कमेटी गठित की गयी थी. इस कमेटी के अध्यक्ष डॉ ललित के भनोट थे. कमेटी के अधिकारी ही यह तय करते थे कि किस दर पर खेल सामग्री की खरीद की जानी है.