रांची: पीएलएफआइ के उग्रवादियों को हथियार सप्लाइ करनेवाले आशिष नेपाली और नीरज नेपाली से मिलने के लिए पीएलएफआइ के उग्रवादी डोरंडा चौक पर जुटते थे. इस बात का खुलासा इनसास और एक-47 की गोलियों के साथ गिरफ्तार पीएलएफआइ के उग्रवादी मनोज कुमार गोप और योगेंद्र राम के स्वीकारोक्ति बयान से हुआ है.
दोनों उग्रवादियों को सोमवार को जेल भेजने से पहले उनकी स्वीकारोक्ति बयान चुटिया थानेदार विजय कुमार ने तैयार की है. मनोज और योगेंद्र राम ने स्वीकार किया है कि कुछ वर्ष पहले वे पीएलएफआइ के उग्रवादी चरकू मुंडा के संपर्क में आये. चरकू के जरिये दोनों की पहचान पीएलएफआइ के जोनल कमांडर अजरुन राम से हुई. जिसके बाद दोनों अर्जुन राम के दस्ते को जूता, शर्ट और अन्य सामान की आपूर्ति करने लगे.
करीब छह माह पूर्व मनोज और योगेंद्र की जान पहचान डोरंडा जैप-वन परिसर में रहनेवाले आशिष नेपाली के साथ हुई. आशिष नेपाली के साथ नीरज नेपाली भी रहता था. पहचान होने के बाद आशिष ने बताया कि वह उग्रवादियों को हथियार की सप्लाई करता है. इसके बाद मनोज और योगेंद्र आशिष नेपाल से गोलियां खरीदने लगे. दोनों ने यह भी स्वीकार किया है कि आशिष पूर्व में तीन बार गोलियां की सप्लाइ कर चुका है. एक बार उसने पांच हजार गोलियों की सप्लाई की थी. मनोज और योगेंद्र ने स्वीकारोक्ति बयान में यह भी बताया है कि जब भी पीएलएफआइ के उग्रवादियों को गोलियों की जरूरत होती है. तब वे आशिष के मोबाइल पर संपर्क कर उससे मिलने के लिए डोरंडा चौक के आस- पास जुटते थे. जिसके बाद आशिष से गोलियां खरीद कर उसे जोनल कमांडर अजरुन राम तक पहुंचाया जाता था.
उल्लेखनीय है कि गत रविवार को पुलिस की टीम ने स्टेशन रोड स्थित पटेल चौक के पास से मनोज कुमार गोप और और छोटू उर्फ योगेंद्र पासवान को गिरफ्तार किया था. जिनके पास से पुलिस ने एक-47 की 93 गोलियां और इनसास की 90 गोलियां बरामद की थीं. गिरफ्तार दोनों उग्रवादी मूल रूप से गुमला जिला के रहनेवाले हैं. लेकिन वर्तमान में दोनों चुटिया थाना क्षेत्र में किराये के मकान में रहते थे. जिनकी निशानदेही पर आशिष और नीरज की तलाश में छापेमारी हो चुकी है. लेकिन दोनों फरार मिले.
बरामद की गयी गोलियों की जांच शुरू
मनोज और योगेंद्र के पास से बरामद गोलियों की जांच चुटिया पुलिस ने शुरू कर दी है. चुटिया पुलिस का कहना है कि गोलियों को देखने से स्पष्ट है कि वे लोकल निर्मित नहीं है. पुलिस को शक है कि आशिष या नीरज का संपर्क सेना के किसी जवान या अर्धसैनिक बल के जवान से तो नहीं है. जिनके जरिये आशिष को गोलियां मिलती हैं. और इन गोलियों को वह पीएलएफआइ के उग्रवादियों को बेचता था. आशिष की तलाश में छापेमारी जारी है.