रांची: झारखंड के प्रस्तावित वाटर ग्रिड परियोजना पर अब प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से नजर रखी जा रही है. पीएमओ की ओर से यह पूछा गया है कि पिछले वर्ष वाटर ग्रिड योजना के डीपीआर (विस्तृत प्रगति प्रतिवेदन) बनाने के लिए निकाली गयी निविदा का क्या हुआ. इसमें क्या प्रगति है.
केंद्र सरकार ने स्वच्छ गंगा अभियान के तहत भी चलाये जा रहे कार्यक्रमों का ब्योरा मांगा है. इसमें कहा गया है कि स्वच्छता अभियान के तहत राज्य सरकार ने व्यक्तिगत शौचालय से लेकर गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए क्या-क्या पहल किये हैं. मार्च 2015 तक की कार्य योजना तथा रूपरेखा भी केंद्र सरकार से मांगी गयी है.
कई कंपनियों ने दिखाई थी दिलचस्पी : वाटर ग्रिड योजना के तहत अमेरिकी कंपनी सीडीएम स्मिथ, एजीस, टीसीएस, मेकॉन ने डीपीआर बनाने में दिलचस्पी दिखलायी थी. सरकार की ओर से अंतिम निर्णय नहीं लिये जाने से योजना धरी की धरी रह गयी.
2013 में शुरू की गयी थी वाटर ग्रिड की परिकल्पना
राज्य सरकार ने वर्ष 2013 के मध्य में वाटर ग्रिड परियोजना की परिकल्पना की थी. इसके तहत गंगा वाटर ग्रिड और सोन वाटर ग्रिड बनाने का फैसला लिया गया था. गंगा वाटर ग्रिड से संताल परगना के साहेबगंज, दुमका, गोड्डा, देवघर, गिरिडीह, कोडरमा, जामताड़ा और पाकुड़ की आबादी को पीने का पानी मुहैया कराना था. वहीं सोन ग्रिड से पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, रामगढ़ जिले तक पीने का पानी पहुंचाने की योजना बनायी गयी थी. पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से वाटर ग्रिड बनाने को लेकर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट भी आमंत्रित की गयी. पर अब तक कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी.