लाइन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा भूमि हस्तांतरण को लेकर है. भूमि हस्तांतरण व फॉरेस्ट क्लीयरेंस आदि की समस्याओं को देखते हुए सरकार ने इसकी नियमित मॉनिटरिंग का निर्देश दिया है. इसके लिए चतरा और लातेहार जिलों में डीसी की अध्यक्षता में अलग-अलग कमेटी बनायी गयी है. कमेटी में एसपी, डीएफओ, फॉरेस्ट कॉरपोरेशन के जीएम व रेलवे के प्रतिनिधि सदस्य होंगे. प्रत्येक सप्ताह समीक्षा करने का निर्देश दिया गया है.
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रेल लाइन के निर्माण की हर सप्ताह होगी समीक्षा
रांची: कोल फ्रेट के लिए बन रही टोरी-शिवपुर-कठोतिया रेल लाइन निर्माण की हर सप्ताह समीक्षा होगी. 92.10 किमी लंबी इस लाइन का निर्माण 31.12.2016 तक पूरा करना है. लाइन के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा भूमि हस्तांतरण को लेकर है. भूमि हस्तांतरण व फॉरेस्ट क्लीयरेंस आदि की समस्याओं को देखते हुए सरकार ने इसकी नियमित […]
रांची: कोल फ्रेट के लिए बन रही टोरी-शिवपुर-कठोतिया रेल लाइन निर्माण की हर सप्ताह समीक्षा होगी. 92.10 किमी लंबी इस लाइन का निर्माण 31.12.2016 तक पूरा करना है.
लंबित भूमि हस्तांतरण का मामला
इस लाइन की स्वीकृति वर्ष 2000 में ही दी गयी थी. 17 किमी की लंबाई में पेड़ कटाई का काम लंबित है. 447.4 एकड़ रैयती भूमि में 206 एकड़ ही हस्तांतरित की गयी है. 241.1 एकड़ रैयती, 142.7 एकड़ जंगल झाड़ी व 194 एकड़ गैर मजरुवा जमीन का मामला लंबित है. रेलवे से जिला प्रशासन ने गैर मजरुवा जमीन के लिए कॉमर्शियल रेट की मांग की गयी है. जिस पर रेलवे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि रेलवे सरकारी संस्थान है. रेलवे बाजार दर के हिसाब से भुगतान करना चाहता है. राजस्व विभाग के पास यह मामला लंबित है.
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