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नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी का रांची से है पुराना नाता

रांची: मैं खुशनसीब हूं कि कैलाश सत्यार्थी के साथ कुछ पल बिताने का अवसर मिला. 6 नवंबर 2006 को रांची के कचहरी स्थित टाउन हॉल में ‘बचपन बचाओ’ कार्यक्रम का आयोजन था. इस कार्यक्रम में प्रभात खबर मीडिया पार्टनर था. उस कार्यक्रम में मुङो बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होने का मौका मिला. उसमें कैलाश सत्यार्थी […]

रांची: मैं खुशनसीब हूं कि कैलाश सत्यार्थी के साथ कुछ पल बिताने का अवसर मिला. 6 नवंबर 2006 को रांची के कचहरी स्थित टाउन हॉल में ‘बचपन बचाओ’ कार्यक्रम का आयोजन था. इस कार्यक्रम में प्रभात खबर मीडिया पार्टनर था. उस कार्यक्रम में मुङो बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल होने का मौका मिला. उसमें कैलाश सत्यार्थी मुख्य अतिथि थे.

उनसे पहली बार मिलने का मौका मिला था, लेकिन मिला तो ऐसा लगा कि वो मुङो वर्षो से जानते हों. इतने चर्चित होने के बावजूद वे विनम्र व शालीन स्वभाव के थे. श्री सत्यार्थी को ाोबेल पुरस्कार मिला. यह मेरे लिये सौभाग्य की बात है. मुङो गर्व होता है कि जिस कार्यक्रम में वे रहे उसका मैं भी हिस्सा रहा.

बच्चों के प्रति प्रैक्टिकल एप्रोच रखनेवाले व्यक्ति है

डॉ अजय बताते हैं कि श्री सत्यार्थी बच्चों के प्रति प्रैक्टिकल एप्रोच रखने वाले व्यक्ति हैं. बच्चों को उनका हक दिलाने के लिए अभियान चलाते रहे हैं. रांची में आयोजित उस कार्यक्रम के बाद उन्होंने संस्थाओं के प्रतिनिधियों से कहा कि केवल बच्चों के प्रति दयावान होने से कुछ नहीं होगा. बच्चों को उनका अधिकार मिले. वह भी सम्मान के साथ. इसके लिए प्रयास करें. तभी इस आंदोलन की सार्थकता सिद्ध होगी.

नौकरी छोड़ बचपन बचाओ आंदोलन शुरू किया

श्री सत्यार्थी पेशे से इंजीनियर हैं. इंजीनियर की नौकरी छोड़ कर वर्ष 1980 में उन्होंने बचपन बचाओ आंदोलन की शुरुआत की. इसके बाद से वह लगातार इस आंदोलन के साथ पूरी तन्मयता से जुड़े हैं.

बच्चों के अधिकार से लड़ने की मिली प्रेरणा

रांची. बच्चों के अधिकार के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा हमें कैलाश सत्यार्थी से मिली. रांची के एक कार्यक्रम में उनसे मिलने का मौका मिला. यह मेरे लिए अद्भुत क्षण है. उन्होंने एक रथ को रवाना किया था, जिसका कार्य पूरे राज्य में बाल मजदूरी से निजात दिलाने के लिए लोगों को जागरूक करना था. वह हमेशा रथ अभियान द्वारा किये जा रहे कार्य की जानकारी लेते रहते थे. वह बच्चों को लेकर बहुत संवेदनशील हैं.

मुख्यमंत्री ने कैलाश सत्यार्थी को बधाई दी

रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भारत के कैलाश सत्यार्थी को शांति नोबेल पुरस्कार दिये जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन के जरिए बच्चों का शोषण रोका है और उनकी जिदंगी संवारी है. ऐसे ही लोगों के कारण बाल मजदूरी का डटकर मुकाबला किया जा रहा है. उनके हौसले की सराहना करते हुए सीएम ने उन्हें हार्दिक बधाई दी.

खुशनसीब हूं कि मुङो उनसे मिलने का मौका मिला: मुंडा

जब मुङो पता चला कि कैलाश सत्यार्थी जी को नोबेल पुरस्कार मिला है, तो मुङो बहुत खुशी हुई. मुङो भी बच्चों के लिए काम करने का मौका मिला है. इसी सिलसिले में मुङो उनसे मिलने का मौका मिला था. पिछले साल दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उनसे मुलाकात हुई थी. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष रूपलक्ष्मी मुंडा ने प्रभात खबर से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मुलाकात के दौरान उन्होंने विश्व के अलग अलग हिस्सों में बच्चों की स्थिति की चर्चा की थी. वे अफ्रीका में बच्चों की खराब स्थिति से व्यथित थे. उसकी तुलना वे झारखंड में बच्चों की स्थिति से भी करते थे. अपने रांची प्रवास के दौरान उन्होंने यहां के हालात पर भी चर्चा की थी. उन्होंने मुझसे कहा था कि आदिवासी क्षेत्र में बच्चों की समस्याओं के समाधान के लिए बेहतर तरीके से काम करें. बच्चों को उनके अधिकारों से किसी भी हालत में वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

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