रांची: झारखंड में ट्रैफिकिंग व पलायन को रोकने की पहल कर रही है सखी सहेली क्लब ने सात सितंबर को अपनी तीसरी वर्षगांठ मनायी. मौके पर ट्रैफिकिंग के खिलाफ आवाज उठानेवाली पांच सदस्यों को आशा संस्था ने सम्मानित किया. यहां उपस्थित आइजी प्रोविजन अनुराग गुप्ता ने बेटियों को मोमेंटो देकर सम्मानित किया.
समारोह में उपस्थित ग्रामीण विकास सचिव अरुण ने इन बेटियों की पहल की प्रशंसा की. उन्होंने कहा: इन बेटियों को लाइवली हुड कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा. सम्मानित होने वाली ये वैसी बेटियां हैं, जो सखी सहेली क्लब के माध्यम से नामकुम प्रखंड, रांची एवं खूंटी के सुदूरवर्ती गांव में ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं. वहीं सुरक्षित पलायन के लिए गांव के लोगों को जागरूक कर रही हैं. इन्होंने ट्रैफिकिंग की शिकार कई लड़कियों को खोज निकाला है. वहीं दलालों पर नकेल कसने का काम कर रही हैं. समारोह में युवतियों ने क्लब के उत्थान के लिए कई अहम निर्णय भी लिया.
25 नवंबर को एकजुट होंगी किशोरियां : महिला हिंसा प्रतिरोधी दिवस के अवसर पर 25 नवंबर को रांची स्थित अलबर्ट एक्का चौक पर 500 युवतियां ट्रैफिकिंग के खिलाफ एकजुट होंगी.
ट्रैफिकिंग की शिकार बेटियों ने अपना दर्द बयां किया
1 मेरी उम्र 22 साल है. चार साल पहले एक दलाल के चंगुल में आकर मैं दिल्ली चली गयी थी. वहां प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये मुङो काम पर भेजा गया. मेरा वेतन चार हजार रुपये में तय हुआ. मुङो दिल्ली पहुंचाने के लिए दलाल को 35000 रुपये कमीशन मिला. आज चार वर्ष बाद भी मुङो उस प्लेसमेंट या कंपनी ने कोई पैसा नहीं किया. दलाल भी भाग गया. तीन बजे रात तक मुझसे काम करवाया जाता था. किसी तरह वहां से भाग निकली और घर पहुंची.
2 हम दो बहन एक साथ दिल्ली गये. एक प्लेसमेंट कंपनी का दलाल हमें ले गया. वहां दोनों को एक कमरे में हम दोनों को बुला कर लोगों को दिखाया जाता था. वहां और भी लड़कियां थीं. दोनों बहनों को अलग-अलग घरों में भेजा गया. चार साल तक करने के बाद भी पैसे नहीं मिले. किसी तरह झारखंड में काम कर रही आशा संस्था के सहयोग से यहां वापस आयी हूं. हमारी तरह कई लड़कियां हैं, जो आज भी दलालों के चंगुल में हैं. उन्हें वहां से सुरक्षित लाने की जरूरत है.