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तारा शाहदेव प्रकरण:महज पांच सालों में रंजीत सिंह उर्फ रकीबुल बन गया करोड़पति

5 साल में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन की जिंदगी में कई ऐसे लोग आये, जिन्होंने उसकी दशा-दिशा बदल दी. वर्ष 2008 में बरियातू थाने की पुलिस ने मारपीट के मामले में रंजीत को जेल भेजा था. जेल में कुछ लोगों से संपर्क के बाद उसका सब कुछ बदल गया. उसने बरियातू यूनिवर्सिटी कॉलोनी […]

5 साल में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन की जिंदगी में कई ऐसे लोग आये, जिन्होंने उसकी दशा-दिशा बदल दी. वर्ष 2008 में बरियातू थाने की पुलिस ने मारपीट के मामले में रंजीत को जेल भेजा था.

जेल में कुछ लोगों से संपर्क के बाद उसका सब कुछ बदल गया. उसने बरियातू यूनिवर्सिटी कॉलोनी स्थित अपने घर को छोड़ दिया. अपनी मां कौशल रानी को लेकर कहां गया, इसकी जानकारी किसी को नहीं दी. रंजीत को बचपन से जाननेवालों में डीएसपी सुरजीत कुमार ही वह व्यक्ति है, जिससे उसने लगातार संपर्क बनाये रखा. वर्ष 2010 में वह मंत्री हाजी हुसैन अंसारी के पास पहुंचा था. तारा प्रकरण में जब रंजीत का नाम सुर्खियों में आया, तब उसकी हैसियत देख कर उसे जाननेवाले हैरत में पड़ गये.

वर्ष 2008

नाम – रंजीत कोहली उर्फ बब्बा

जहां रहता था : यूनिवर्सिटी कॉलोनी के आवास संख्या-4/5. यह दो कमरे का मकान है.

मां : घरों में झाड़-पोछा का काम करती थी. गरीबी में दिन गुजार रही थी. बीड़ी पीती थी.

काम : पहले शादी में कैमरे का लाइट पकड़ने का काम करता था. फिर एक कुट्टी दुकान में काम किया. बरियातू स्टॉफ क्वार्टर स्थित एक किराना दुकान में प्रति माह 300 रु का काम करता था. बाद में एक ढाबे में भी काम किया.

क्या था पास में : पास में 10-20 रुपये भी नहीं रहते थे

वर्ष 2014

नाम – रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन

जहां रहता था : रांची के आलिशान अपार्टमेंट में शामिल ब्लेयर अपार्टमेंट में भाड़े पर फ्लैट लेकर. अशोक नगर और अशोक विहार में भाड़े का एक-एक मकान. होटल अकॉर्ड में एक कमरा बुक रहता था.

मां : ब्लेयर अपार्टमेंट में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ रहती है. कीमती साड़ी व गहने पहनती है.

काम : मंत्री, जज, बड़े अफसरों के साथ उठना बैठना. बड़े होटल में पार्टी देना. पानी की तरह पैसा बहाना. लड़कियों को घुमाना. लड़कियों का इस्तेमाल कर रसूखवाले लोगों के लिए काम मैनेज करना.

दिखावे का काम : कौशल बायोटेक इंडिया प्रा लि नामक कंपनी का मालिक. कंपनी पौधे खरीदती थी. कौशल विकास संस्थान नामक एनजीओ चलाना. एनजीओ का काम पौधे लगाना था.

क्या है पास में : लाखों रुपये हर माह खर्च करता है. प्लेन से दिल्ली-कोलकाता जाता है. ब्लेयर अपार्टमेंट में भाड़े पर फ्लैट, अशोक नगर व अशोक विहार में भाड़े पर एक-एक घर. तीनों का किराया हर माह 70 हजार देता है. आठ गाड़ियां है.

इन सवालों के जवाब नहीं हैं किसी के पास

सिर्फ पांच साल में इतने पैसे कहां से आये रंजीत के पास

जज ,पुलिस और वन विभाग के अफसरों से गहरे संबंध का सच क्या है

रंजीत और रकीबुल के नाम से दोहरी पहचान क्यों बना रखी थी

लड़कियों से उसकी दोस्ती का राज क्या है

तारा पर धर्मातरण का दबाव डालने के पीछे क्या मकसद था

मेजबान ढाबा में एकाउंटेंट था रंजीत

रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन उर्फ बब्बा बूटी मोड़ स्थित मेजबान ढाबा में एकाउंटेंट का काम भी करता था. कुछ वर्षो के लिए गायब होने और रहस्यमयी तरीके से अमीर होकर लौटने के पहले तक वह यहीं काम करता था. मेजबान ढाबा बरियातू रोड के सुरेश सिंह नाम के एक व्यक्ति का था, जो कुछ वर्ष पहले बंद हो चुका है.

ढाबा में रंजीत उर्फ रकीबुल के साथ काम करनेवाले सोनू (बदला हुआ नाम) बताते हैं : मैं यूनिवर्सिटी कॉलोनी के पास रहने के कारण उसे बचपन से जानता था. होटल में भी हम साथ काम करते थे. उस समय वह दिमाग का बहुत तेज था, ऐसा कभी मालूम नहीं हुआ. हम सब उसे बब्बा के नाम से जानते थे. कई बार बिल बढ़ा कर देने की वजह से वह ग्राहकों से डांट भी सुनता था.

काम करने के दौरान ही हाउसिंग कॉलोनी में पप्पू नाम के लड़के से किसी मुद्दे पर उसकी मार-पीट हुई थी. बाद में पप्पू ने उस पर एसटी-एससी एक्ट के तहत एफआइआर करा दी थी. इस वजह से वह जेल भी गया. जेल से निकलने के बाद उसने अपनी मां के साथ बरियातू छोड़ दिया. यह बातें 2002- 03 की हैं. फिर 2007- 08 में दोबारा दिखा.

सोनू बताता है : वह बड़ी गाड़ी में आया था. मुझें ईष्र्या हो गयी. वह बहुत अमीर हो गया था. मुझें लगा उसने मुझें पहचाना ही नहीं. इसके बाद बरियातू हाउसिंग कॉलोनी में उसका आना-जाना लगा रहता था. वह खूब दिखावा करता था. कभी भिखारी को पांच सौ रुपये देता था, तो कभी दस रुपये की चीज खरीद कर एक हजार रुपये पकड़ा देता था. एक दिन बब्बा ने खुद मुझें टोका. मैंने तुरंत पूछ दिया कि बब्बा तुम इतने अमीर कैसे हो गये? उसने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया और वहां से तुरंत चला गया. मैंने दूसरों से मालूम करना चाहा कि आखिर वह काम क्या करता है. पर किसी को कुछ नहीं पता था. बब्बा सभी लोगों को समय-समय पर बड़े-बड़े होटलों में बुला कर खिलाता-पिलाता रहता था. उसने मुझें भी बुलाया था. मैं भी गया था. मेरे सामने उसने खूब दिखावा किया. बड़े-बड़े लोगों के नाम लेकर फोन लगाता. उनसे पांच-दस लाख रुपये लेने-देने की बात करता. इस दौरान वह सभी लोगों को सरकार कह कर ही संबोधित करता. स्पीकर ऑन कर हमें बातें भी सुनाता. उसने मुझसे कहा कि यार तुम जिंदगी में कुछ कर नहीं सके. तुम ठेकेदारी करो. बोलो तो आठ-10 करोड़ का काम किसी को बोल कर दिलवा देता हूं.

सोनू ने कहा : मुझें उसकी बात खराब लगी. नंबर होने के बावजूद उसने न कभी मुझें फोन किया, ना मैंने उसको. इसके बाद बब्बा मुझें शूटिंग रेंज में मिला. उस समय शूटिंग रेंज सभी लोगों के लिए खुला था. मैं अपने दोस्त के साथ वहां जाता था. शूटिंग रेंज में मैंने पहली बार बब्बा को एक लड़की के साथ देखा. उसके साथ फ्रेंच कट दाढ़ी वाला एक और आदमी था. अब मुझें मालूम है कि वह मुश्ताक अहमद थे. बब्बा उनके साथ मेरे सामने से गुजर गया. मुझें पहचाना तक नहीं.

उसी दिन शूटिंग रेंज के बाहर मुझें बब्बा फिर मिल गया. बब्बा ने खुद ही मुझें टोका और कहा कि सफेद कपड़ों वाली लड़की जो मेरे साथ ही, वह तुम्हारी भाभी है. मुझें बहुत आश्चर्य हुआ. मैंने पता किया तो वह लड़की तारा शाहदेव थी. यह उससे मेरी अंतिम मुलाकात थी. उसके बाद मैं उससे फिर कभी नहीं मिला. उसने मुझें शादी में भी नहीं बुलाया था.

पूर्व राज्यपाल के करीबियों से भी रंजीत के थे अच्छे संबंध
राज्य के एक पूर्व राज्यपाल के करीबियों से भी रंजीत के अच्छे संबंध थे. इस संबंध का इस्तेमाल वह बड़े अफसरों का तबादला कराने और एडमिशन कराने के लिए करता था. सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल के एक करीबी से संबंध बनाने में एक जिला जज ने रंजीत कोहली की मदद की थी. इसके बाद वह राजभवन में आने-जाने लगा था. एक सूत्र ने दावा किया कि उस राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान रंजीत कोहली ने सबसे अधिक कमाई की थी.

वन विकास निगम में खूब चलती थी रंजीत कोहली की
रांची: वन विकास निगम में रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल की खूब चलती थी. वह निगम के हीनू स्थित कार्यालयों में नियमित रूप से आता-जाता था. वन विभाग के कई पूर्व अधिकारियों के साथ उसके अच्छे संबंध थे. निगम के कर्मियों ने बताया कि वह बड़ी-बड़ी गाड़ियों से कार्यालय आता था. अधिकारियों के साथ घंटों बैठ कर बातें करता था. कर्मियों का कहना है कि रंजीत कोहली पिछले पांच-छह सालों से नियमित रूप से निगम आता था. जिन अधिकारियों से उसके संबंध रहे हैं, उसमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

कई अधिकारी अभी भी विभिन्न पदों पर काम कर रहे हैं.
भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के अलावा छोटे स्तर के कर्मचारी भी कोहली के संपर्क में रहते थे. निगम के एक कर्मी ने बताया कि एक पूर्व अधिकारी तो उससे बात करते समय अपने चेंबर से सभी कर्मियों को बाहर तक कर देता था. उस अधिकारी के महिलाओं से संबंध होने को लेकर चर्चा भी विभाग में गरम रहती है. इसमें तीन ऐसे अधिकारी हैं, जिनका नाम कीटनाशक घोटाले में भी आया था.

कभी-कभी बिना गाड़ी के भी आता था
कोहली कभी-कभी वन विकास निगम के कार्यालय में बिना गाड़ी के भी आता था. कुछ देर बैठने के बाद अधिकारियों से घर छोड़ने को कहता था. अधिकारी का ड्राइवर उसे लेकर पीली बत्ती वाली गाड़ी से जाता था. रंजीत कुछ अधिकारियों के फॉरेस्ट कॉलोनी स्थित आवास पर भी नियमित रूप से जाता था.

रेडिशन ब्लू में होती थी बैठक
वन विभाग के अधिकारियों से साथ कोहली की बैठक रेडिशन ब्लू में होती थी. वह रात में रेडिशन ब्लू जाता था. देर रात तक अधिकारियों के साथ रहता था. इस दौरान अधिकारी सरकारी गाड़ी का ही इस्तेमाल करते थे. कर्मचारियों का कहना है कि पिछले कुछ माह से वह कार्यालय में नहीं आ रहा था.

लड़कियों का आना जाना लगा रहता था
रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन के अशोक नगर और अशोक विहार के मकान (दोनों कॉलोनियों में उसने किराये पर घर ले रखा था) के पास रहने वाले लोग उसके बारे में जान कर हैरान हैं. दोनों ही जगहों पर पड़ोसी कोहली उर्फ रकीबुल के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं. आसपास के लोगों ने कभी इन घरों में संदिग्ध गतिविधियां नहीं देखी. हालांकि लोगों ने दोनों ही ठिकानों पर लड़कियों को अक्सर आते-जाते हुए जरूर देखा था. लड़कियां गाड़ियों से ही ठिकानों पर आती थी. कभी कोहली उर्फ रकीबुल के साथ, तो कभी अकेले ही. किसी दूसरे व्यक्ति को लड़कियों के साथ घर के अंदर आते-जाते हुए किसी की नजर नहीं पड़ी.

मंत्री का पत्र लेकर आया था : एके सिंह
ब्लेयर अपार्टमेंट में रहनेवाले रिटायर्ड पीसीसीएफ एके सिंह ने बताया कि वह रंजीत कोहली से कभी नहीं मिले. जब वह पद पर थे, तब रंजीत कोहली मंत्री जी का पत्र लेकर उनके पास आया था, जिसमें काम देने की अनुशंसा की गयी थी. लेकिन उस वक्त कोई योजना थी नहीं, इसलिए रंजीत कोहली को मना कर दिया था.

लाल-पीली बत्तीवाले आते थे : गार्ड
अपार्टमेंट के गार्ड ने बताया कि वह पिछले दो माह से यहां काम कर रहा है. रंजीत कोहली के बारे में वह ज्यादा नहीं जानता. हां, उसके घर लाल-पीली बत्ती लगे वाहनों पर सवार लोग आते थे. देर रात तक उसके घर के एक कमरे की लाइट जलती रहती थी.

लड़कियां अक्सर गाड़ी से आती थी : सुनंदा
अशोक नगर रोड (जहां उसने किराये पर एक घर ले रखा था) में रहनेवाली सुनंदा जायसवाल बताती हैं : जिस घर को पुलिस ने सील किया है, उसमें ज्यादातर समय ताला लगा रहता था. कभी-कभी कुछ लोग आते थे. लड़कियां भी आती थी. संदिग्ध जैसा कुछ नहीं था. लड़कियां भड़काऊ कपड़े नहीं पहनती थी. वह गाड़ियों में ही आती थी और गाड़ियों से ही निकल जाती थी. रात का तो पता नहीं, लेकिन लड़कियों को मैंने कई बार दिन में वहां गाड़ियों से उतरते देखा है. वहां कभी कोई लाल बत्ती तो नहीं देखी. हां, कई बार कुछ पुलिस वालों को टहलते देखा था, लेकिन यह अशोक नगर में आम है. इसलिए कुछ खास नहीं लगा.

किसी से कोई बात नहीं करता था : शरत
अशोक विहार में कोहली उर्फ रकीबुल द्वारा किराये पर लिये गये घर के तीन घर बाद रहनेवाले शरत रंजन कहते हैं : उस मकान में ऐसा कुछ नहीं होता था, जो संदिग्ध था. घर ज्यादा समय बंद ही रहता था. कभी-कभी कुछ लोग रहते थे. लोग गाड़ियों से ही आते थे. कॉलोनी के लोगों से उस घर में रहनेवाले किसी ने कभी बात नहीं की. कभी-कभी लड़की आती थी, लेकिन ग्रुप में लड़कियां कभी नहीं आयी. अशोक नगर में ही रहनेवाले हितेश वर्मा बताते हैं : हमें तो मामले की कोई जानकारी ही नहीं थी. पेपर में मामले आने के बाद मालूम पड़ा. आस-पास के दूसरे लोगों से पूछा, तो उन्होंने भी आश्चर्य जताया.

फ्लाइट से अफसरों और युवतियों को लेकर जाता था दिल्ली व कोलकाता
निशानेबाज तारा शाहदेव के साथ मारपीट करने और धर्म परिवर्तन के लिए उस पर दबाव देने वाला रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल का अक्सर कोलकाता और दिल्ली आना जाना लगा रहता था. वह हमेशा फ्लाइट से आता-जाता था. उसके साथ उसके दोस्त, जिसमें डीएसपी और कुछ युवतियां रहती थीं. वह कोलकाता और दिल्ली के फाइव स्टार होटल में रहता था. वह सभी के जाने से लेकर उनके ठहरने और मौज मस्ती का खर्च भी उठाता था.

कोलकाता और दिल्ली कई बार जाने की बात उसने पूछताछ में भी स्वीकार की है. पुलिस अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि वह कब-कब किस फ्लाइट से बाहर गया. उसके साथ बाहर जानेवाले कौन- कौन लोग थे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जब भी रंजीत के पास एक साथ ढेर सारे रुपये आते थे, वह इसे खर्च करने के लिए अक्सर बाहर जाता था.

19 अगस्त 2014 रात 1.30 बजे हुआ था हाई वोल्टेज ड्रामा
तारा को रंजीत उर्फ रकीबुल के फ्लैट से निकालने के दौरान हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ था. तारा के परिजन पुलिस लेकर 19 अगस्त की रात करीब 9.30 बजे पहुंचे थे. तारा को लेकर वे रात 1.30 बजे निकले. यानी चार घंटे तक रात में उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था. तारा को छुड़ाने गयी पुलिस को धौंस भी दिखायी गयी. मंत्री से मोबाइल पर बात कराने से लेकर कई तरह की पैरवी दिखायी जाने लगी थी. रंजीत की मां की गालियां भी सबको सुननी पड़ी.

19 की रात का जिक्र करते हुए तारा के परिजन बताते हैं : जैसे ही वे लोग पुलिस के साथ वहां पहुंचे, रंजीत के शुभ चिंतकों को इसकी जानकारी मिल गयी. इसके बाद रोहित व एक-दो अफसर भी वहां पहुंच गये. कभी वह तारा को नहीं ले जाने के लिए समझाते-बुझाते, तो कभी दबाव डालते. यह ड्रामा काफी देरी तक चलता रहा. वे अड़े रहे कि तारा जायेगी कि नहीं, इसका फैसला रंजीत के आने के बाद ही होगा. जब तारा के परिजनों ने कहा : आप तारा की गारंटी लिख कर दें, तो हम छोड़ कर जाते हैं. रंजीत के आने के बाद आयेंगे. पर कोई लिखित गारंटी देने को तैयार नहीं हुआ. तब जाकर परिजन पुलिस के साथ तारा को लेकर वहां से निकले.

कई तरह के लोग आते थे रंजीत के घर
रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन के घर में काम करनेवाली नौकरानी हरिमति का कहना है कि रंजीत या उसकी मां ने कभी भी उसे परेशान नहीं किया. हालांकि वह सिर्फ तीन माह तक ही ब्लेयर अपार्टमेंट स्थित रंजीत के फ्लैट पर रही, जिसके पैसे उसे दे दिये गये. वह 15 मई 2014 से रंजीत के यहां काम कर रही थी. हरिमति, ब्लेयर अपार्टमेंट के फ्लैट में तारा शाहदेव के साथ हुई मारपीट और धर्म बदलने के लिए दवाब बनाने की घटना की एकमात्र गवाह है.

उसने बताया कि रंजीत उससे अक्सर चाय-पानी के लिए पूछा करता था. हरिमति के मुताबिक रंजीत के घर कई तरह के लोग आया करते थे, जिनकी पहचान करना उसके लिए मुश्किल है. जिस दिन तारा शाहदेव के साथ मारपीट हुई थी, उस दिन हरिमति फ्लैट पर नहीं थी. उसने बताया कि रक्षा बंधन के दिन वह सिल्ली स्थित अपने गांव आ गयी थी. इसके बाद वह 14 अगस्त को वापस लौटी. तब उसे पता चला कि रंजीत ने तारा के साथ मारपीट की है. उसने तारा के शरीर पर जख्म के निशान भी देखे थे. तारा को उससे बात करने की मनाही थी. हरिमति के पिता ने बताया कि उसके रिश्ते की बहन रंजीत के यहां चार-पांच साल तक काम कर चुकी है. उसी ने काम छोड़ने से पहले हरिमति को रंजीत के घर काम पर लगवाया था. उसकी शादी में भी रंजीत ने आर्थिक मदद की थी. उन्होंने बताया कि दिल्ली से वापस लाने के बाद हरिमति को सिल्ली पुलिस रांची ले गयी थी. जहां पर पुलिस ने उससे लंबी पूछताछ की. जिसके बाद से वह और घबरायी हुई है.

मुखिया की शादी में भी सिल्ली आया था रंजीत : रंजीत कोहली अक्सर सिल्ली में आता-जाता रहता था. सिल्ली प्रखंड की एक पंचायत के मुखिया की शादी में भी वह शामिल हुआ था. बताया जाता है कि सिल्ली में वह प्लांटेशन का काम करता था. प्लांटेशन का काम उसे वन विभाग से आवंटित किया गया था. इस कारण वह लगातार सिल्ली आया-जाया करता था.

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