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जनजातीय भाषा के शिक्षकों का होगा पद सृजन

रांची: राज्य के 230 प्लस टू उच्च विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों का पद सृजत किया जायेगा. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के आदेश के बाद विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है. राज्य में इंटरमीडिएट स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. पर राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालय […]

रांची: राज्य के 230 प्लस टू उच्च विद्यालयों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों का पद सृजत किया जायेगा. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव के आदेश के बाद विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है. राज्य में इंटरमीडिएट स्तर पर जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है. पर राज्य के प्लस टू उच्च विद्यालय में इन विषयों के एक भी शिक्षक नहीं हैं.

राज्य में कुल 230 प्लस टू उच्च विद्यालय हैं. इनमें से 171 प्लस टू उच्च विद्यालय राज्य गठन के बाद उच्च विद्यालय से प्लस टू उच्च विद्यालय में उत्क्रमित कर दिये गये. जबकि 69 विद्यालय एकीकृत बिहार के समय के हैं. प्लस टू उच्च विद्यालय में वर्तमान में 11 विषयों के पद सृजित हैं. जिसमें गणित, भौतिकी, जीवविज्ञान, हिंदी, अंगरेजी, इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, एकाउंट, संस्कृत शामिल हैं.

झारखंड इंटर कॉलेज शिक्षक संघ के महासचिव डॉ सुनील कुमार सिन्हा ने इंटर कॉलेजों में जल्द जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद सृजन की मांग की है.

इंटर कॉलेजों में नहीं हैं पद : राज्य के इंटर कॉलेजों में भी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद नहीं हैं. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने वर्ष 2009 में जैक बोर्ड से प्रस्ताव पारित कर इसे मानव संसाधन विकास विभाग को भेजा था. वर्ष 2009 से प्रस्ताव शिक्षा विभाग स्तर पर लंबित है. इंटर कॉलेज शिक्षक संघ कॉलेजों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षकों के पद सृजन की प्रक्रिया पूरी करने की मांग कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव नेप्रक्रिया जल्द पूरी करने की बात कही है.

इन विषयों की होती पढ़ाई : राज्य में इंटर स्तर पर खड़िया, खोरठा, कुरमाली, नागपुरी, पंच परगनिया, हो, मुंडरी, संताली व उरांव भाषा की पढ़ाई होती है. जैक द्वारा इसकी परीक्षा भी ली जाती है. परीक्षा 100 अंकों की होती है. ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश कॉलेजों में विद्यार्थी जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा की परीक्षा में शामिल होते हैं.

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