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रिम्स में हंगामा करनेवाले चिह्न्ति, राज्य सरकार हुई सख्त जूनियर डॉक्टरों के घर जायेगा वारंट

रांची: पत्रकारों के साथ मारपीट व पुलिस अधिकारियों व पदाधिकारियों के साथ बदसलूकी करने वाले जूनियर डॉक्टरों का गिरफ्तारी वारंट उनके स्थायी आवास पर भेजा जायेगा. उनकी गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस उनके घर जायेगी. उनके माता पिता को बुलाकर उनके कारनामों के संबंध में बताया जायेगा. यह बातें सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने कही. […]

रांची: पत्रकारों के साथ मारपीट व पुलिस अधिकारियों व पदाधिकारियों के साथ बदसलूकी करने वाले जूनियर डॉक्टरों का गिरफ्तारी वारंट उनके स्थायी आवास पर भेजा जायेगा. उनकी गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस उनके घर जायेगी.

उनके माता पिता को बुलाकर उनके कारनामों के संबंध में बताया जायेगा. यह बातें सिटी एसपी अनूप बिरथरे ने कही. उन्होंने कहा कि 25 अगस्त को रिम्स में हुई मारपीट व बदसलूकी के बाद दर्ज प्राथमिकी को पुलिस ने गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा कि मामला थाना में जाने के बाद नौकरी के वक्त वेरीफिकेशन के समय उन्हें काली सूची में डाल दिया जायेगा. उसके बाद उनका कैरियर दांव पर लग जायेगा. तब उन्हें मारपीट करने के बाद दर्ज प्राथमिकी की गंभीरता समझ में आयेगी.

रिम्स में अक्सर हंगामा करनेवाले तथा संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचानेवाले वहां के कुछ विद्यार्थियों को चिह्न्ति किया गया है. कहा गया है कि ऐसे विद्यार्थी दूसरों को भी बार-बार हड़ताल करने के लिए उकसाते हैं. गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व रिम्स में हुई हड़ताल के बाद दायर जनहित याचिका की सुनवाई के क्रम में हाइकोर्ट ने कहा था कि हड़ताल करनेवाले चिकित्सकों (जूनियर व सीनियर दोनों) पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. रिम्स में फिर गत तीन दिनों से हड़ताल चल रही है. इस मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग के एक वरीय अधिकारी ने कहा है कि संबंधित विद्यार्थियों के खिलाफ यदि कोई रिपोर्ट मिलती है, तो उन पर कार्रवाई होगी. उन्हें संस्थान से निष्कासित भी किया जा सकता है. अधिकारी ने कहा कि सरकार के पास कार्रवाई का कोई आधार होने पर ही ऐसा किया जायेगा. यदि पुलिस रिपोर्ट में भी इन विद्यार्थियों पर मरीज व उनके परिजनों के साथ अक्सर मारपीट करने तथा संस्थान का माहौल बिगाड़ने संबंधी तथ्य की पुष्टि होती है या फिर संस्थान प्रबंधन की ओर से ऐसी कोई रिपोर्ट आती है, तो संबंधित विद्यार्थियों पर कार्रवाई होगी.

बाहरी चिकित्सकों ने संभाली कमान

रिम्स की अव्यवस्थित चिकित्सा सेवा को बाहर से आये नौ चिकित्सकों ने संभालना शुरू कर दिया है. राज्य के विभिन्न अस्पतालों से आये चिकित्सकों ने गुरुवार को रिम्स में योगदान दिया. योगदान देने वालों में पांच पुरुष एवं चार महिला चिकित्सक हैं. शुक्रवार तक 40 चिकित्सकों के रिम्स में योगदान देने की उम्मीद है. सीनियर चिकित्सकों ने भी ओपीडी में अपनी सेवाएं दी, जिससे चिकित्सीय परामर्श लेने आये विभिन्न जिलों के मरीजों ने राहत की सांस ली. अब इमरजेंसी में मरीजों की भरती होने लगी है. हालांकि कुछ रोगी अस्पताल से छुट्टी कराये बिना ही घर लौटने लगे हैं. अस्पताल के ओपीडी में इमरजेंसी में सामान्य दिनों की अपेक्षा कम भीड़ हो रही है.

सदर अस्पताल की ओपीडी में भीड़

रिम्स की अव्यवस्थित चिकित्सीय सेवा से सदर अस्पताल का लोड बढ़ गया है. अस्पताल के वार्ड में बेड भर गया है. वहीं ओपीडी में मरीजों की भीड़ सुबह से लग जा रही है. गुरुवार को सबसे ज्यादा भीड़ देखी गयी. मरीजों की कतार पंजीयन काउंटर तक लग गयी थी. सामान्य दिन की अपेक्षा दो सौ से अधिक मरीजों को ओपीडी में चिकित्सीय परामर्श मिला.

100 मरीजों ने छोड़ा अस्पताल

रिम्स में हुई मारपीट के बाद भरती मरीज अभी भी दहशत में है. अस्पताल में भरती मरीज भय से वार्ड छोड़ कर जा रहे है. जानकारी के अनुसार गुरुवार को करीब 100 मरीजों ने अस्पताल छोड़ दिया. कई वार्ड खाली हैं. रिम्स में सिर्फ सात सौ मरीजों का ही इलाज चल रहा है.

गर्भवती महिलाओं को लौटाया

रिम्स में गुरुवार को भी मरीजों को लौटाने का सिलसिला जारी रहा. स्त्री विभाग के लेबर रूम से तीन गर्भवती को लौटा दिया गया. इन महिलाओं के परिजनों से कहा गया कि सेवा बंद है. गुहार लगाने के बाद भी इन्हें लौटा दिया गया. वहीं कुछ मरीजों को इमरजेंसी से भी लौटने की सूचना है.

आधा दर्जन की हुई मौत

रिम्स में जूनियर चिकित्सकों के हड़ताल के कारण चरमरायी चिकित्सा व्यवस्था से मरीजों के मौत की संख्या बढ़ रही है. गुरुवार को रिम्स में आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत हो गयी. बुधवार को भी सात मरीजों की मौत हुई थी.

रिम्स ने बनायी जांच कमेटी

रिम्स प्रबंधन ने सोमवार एवं मंगलवार को मारपीट की घटना की जांच के लिए कमेटी बना दी है. डीन डॉ एसएन चौधरी, सजर्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एनके झा एवं मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ एके महतो को कमेटी में रखा गया है. टीम यथाशीघ्र मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट रिम्स प्रबंधन को सौंप देगी.

बाहर के चिकित्सकों ने योगदान दिया है, जिससे चिकित्सा सेवा में सुधार हुआ है. हमने जूनियर चिकित्सकों से जन हित में काम पर लौटने का आग्रह किया है. मामले की जांच के लिए कमेटी बना दी

गयी है. डॉ एसके चौधरी, निदेशक रिम्स

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