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सच्चई व विश्वसनीयता का पर्याय

किशोर कुमार वर्मा प्रभात खबर मात्र अखबार नहीं, वरनएक आंदोलन का नाम है. सच्चई का दूसरा नाम प्रभात खबर है. इस अखबार ने 30 साल की यात्र के दौरान कई इतिहास बनाये हैं. कई आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया है. झारखंड अलग राज्य के निर्माण में इसने जो भूमिका अदा की है. वह किसी से […]

किशोर कुमार वर्मा

प्रभात खबर मात्र अखबार नहीं, वरनएक आंदोलन का नाम है. सच्चई का दूसरा नाम प्रभात खबर है. इस अखबार ने 30 साल की यात्र के दौरान कई इतिहास बनाये हैं. कई आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाया है. झारखंड अलग राज्य के निर्माण में इसने जो भूमिका अदा की है. वह किसी से छिपी हुई नहीं है. अलग राज्य निर्माण के बाद इस राज्य में भ्रष्टाचार के जो कीर्तिमान बनाये जा रहे थे, उन्हें रोकने का काम प्रभात खबर ने किया और इसी की देन है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा तक पहुंचे.

कुछ नेताओं के अकूत संपत्ति अजिर्त करने एवं उन्हें जनता के सामने बेनकाब करने के मामले में भी प्रभात खबर ने भूमिका निभायी. एकीकृत बिहार में पशुपालन घोटाला का मामला भी प्रभात खबर ने ही उजागर किया. सही मायने में प्रभात खबर पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है. कई लोगों के हक एवं अधिकार प्रभात खबर के बदौलत हासिल हुए हैं. इस अखबार में अंधविश्वास, चमचागीरी एवं झूठी खबरें प्रकाशित नहीं होती हैं. बेबाक लेखनी के लिए यह अखबार जाना जाता है और इसके पत्रकार पत्रकारिता के आचार संहिता का पालन करते हैं. यही एक अखबार है जो सार्वजनिक रुप से अखबार में अपने पत्रकारों के लिए आचार संहिता का प्रकाशन करता है. प्रभात खबर आज पूरे भारत में परिचय का मोहताज नहीं है.

समय-समय पर व्याख्यानमालाओं का आयोजन, आशा भोंसले नाइट जैसे कार्यक्रमों का आयोजन कर प्रभात खबर ने हर वर्ग के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनायी है. प्रभात खबर प्रत्येक घर मे एक अखबार की हैसियत से नहीं, बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में शामिल हो गया है. त्योहारों के बाद जब अखबार नहीं आता है तब महसूस होता है कि प्रभात खबर नहीं पढ़ने से कितनी बेचैनी होती है.हर वर्ग का पसंदीदा अखबार प्रभात खबर निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़े और पत्रकारिता की गरिमा को जो नयी दिशा दे रहा है, उसे बरकरार रखे. आज हर क्षेत्र में गिरावट आयी है, लेकिन प्रभात खबर परिवार में कहीं गिरावट नहीं आयी है. लोहरदगा जैसे छोटे जिले में प्रभात खबर ने जो काम किया है वह उदाहरण है. जिले के विकास में भी प्रभात खबर ने अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज करायी है. मुझ जैसे ग्रामीण क्षेत्र का नवयुवक जिसने तब बलदेव साहू महाविद्यालय से स्नातक उत्तीर्ण किया था और कॉलेज के छात्र संघ का अध्यक्ष भी था. मेरे हर आंदोलन की गूंज आगे बिहार की राजधानी पटना तक प्रभात खबर के माध्यम से गुंजायमान होती रही.

वर्ष 1985 में मैं लोहरदगा नगरपालिका का सबसे कम उम्र का वार्ड आयुक्त बना था. साथ ही नगरपालिका का वर्ष 1988 में एक सौंवी सालगिरह हो या वर्ष 1987-88 में जिला शिक्षित बेरोजगार संघ के तत्वावधान में धरना-प्रदर्शन और लगातार आंदोलन में प्रभात खबर ने काफी सराहनीय योगदान दिया था, तभी तो तत्कालीन बिहार सरकार के मंत्री द्वय स्व इंद्रनाथ भगत, स्व भुखला भगत एवं रांची के सांसद स्व शिवप्रसाद साहू को भी अपनी इज्जत बचाने के लिए आंदोलन को समर्थन देने के लिए विवश होना पड़ा था.

तभी तो 88 शिक्षकों को जो अप्रशिक्षित थे, पहली बार विज्ञान, उर्दू एवं संस्कृत में बहाली हो पायी थी. आज वे सभी शिक्षकों के परिवार के साथ-साथ मुझे भी नेतृत्व शक्ति प्रदान कराने वाला आंदोलन प्रभात खबर के बिना संभव नहीं होता. आज उन बेरोजगारों को रोजगार दिलाने वाला प्रभात खबर सभी परिवारों का अंग बन गया है.कहा जाता है कि भगवान मिल जाता है, परंतु सरकारी नौकरी नहीं मिलती है. इसलिए प्रभात खबर को एक अदृश्य शक्ति के रूप में सभी पूजते हैं. उनके परिवार को यह अखबार बच्चों की पत्रिका बाल प्रभात, फैमिली, सृजन, पीढ़ी-दर-पीढ़ी की वजह से खास तौर पर पसंद आता है. इस अखबार को स्कूली बच्चों से लेकर युवा, प्रौढ़, महिलाएं सभी पढ़ना चाहते हैं.

आज झारखंड अलग प्रांत बन पाया तो उसका श्रेय प्रभात खबर को भी जाता है. आंदोलन को धारदार बना कर एवं नेतृत्व यदि भटकता था तो प्रभात खबर उसे सही दिशा प्रदान कर आंदोलन को बिकने से बचा कर जागरूक एवं सार्थक चौथे स्तंभ का दायित्व निभाया है. इसने झारखंड की धरती में कई बड़े-बड़े नेतृत्व को पैदा किया है. मैं आज राजकीय कृत मध्य विद्यालय लोहरदगा का प्रभारी प्रधानाध्यापक हूं.भारत स्काउट, गाइड इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी की क्लब, साइंस फोर सोसाइटी खेलकूद, योगा एवं गायत्री परिवार से संबंद्ध होकर रचनात्मक सामाजिक कार्य कर सका. जिसके कारण मुङो मात्र 15 वर्ष की ही सेवा उपरांत राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्राप्त हो सका. मैं इसका श्रेय भी प्रभात खबर को ही देता हूं, जिसने मेरे जागरूकता अभियान, विद्यालय के विकास कराने एवं अन्य कार्यों को प्रमुखता से समाज के समक्ष प्रस्तुत किया और सरकार को आईना दिखाने का भी कार्य किया.

वर्ष 1991 ई ने मेरे जीवन के घटनाक्रम को आंधी के समान झकझोर दिया और मेरे दिल में राजनीति का परित्याग कर एक शिक्षक बनने की तमन्ना जाग्रत हुई तो इसका श्रेय प्रभात खबर के प्रधान संपादक हरिवंश जी को है जिनके सान्निध्य में मैं रांची विश्वविद्यालय में बैचलर ऑफ जर्नलिज्म की पढ़ाई करते हुए शिष्य बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. प्रभात खबर में प्रायोगिक कक्षा के दौरान उनका मार्ग निर्देशन एवं कर्मठ कार्य शैली से मैं काफी अभिभूत हुआ हूं. उन्होंने समाज सेवा के लिए शिक्षक बन कर राष्ट्र निर्माता बनने के लिए प्रेरित किया. मैं हरिवंश जी को नमन करता हूं कि उनके शांतिपूर्ण व्यक्तित्व से मुझे काफी कुछ सीखने का मौका मिला है. उम्मीद है प्रभात खबर सफलता के सोपान चढ़ता जायेगा और भविष्य में गोल्डन जुबिली, प्लेटिनम जुबली भी सफलता पूर्वक मनायेगा. 30वीं वर्षगांठ की सफलता की स्वर्णिम शुभकामनाओं के साथ.

(लेखक लोहरदगा में राष्ट्रपति पुरस्कार शिक्षक हैं.)

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