24 घंटे में 50 मिमी हुई वर्षा, जनजीवन प्रभावित
रांची : बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव के क्षेत्र का असर पूरे झारखंड पर पड़ा है. पूरे राज्य में घने बादल छाये हुए हैं. 24 घंटे में राजधानी रांची में 50 मिमी बारिश रिकार्ड की गयी है, जबकि सिर्फ कांके में 40 मिमी वर्षा हुई.
मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो-तीन दिनों तक आकाश में घने बादल छाये रहेंगे और अच्छी वर्षा होगी. रांची में शनिवार को अपराह्न् तीन बजे से शाम पांच बजे तक 20 मिमी से अधिक बारिश हुई. हालांकि रात भर छिटपुट वर्षा होती रही. इससे शहर के लालपुर, कचहरी रोड सहित निचले इलाके में जल जमाव हो गया है.
लालपुर इलाके में सड़क पर ही कचरा फैल गया है, जिससे राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मौसम वैज्ञानिक डॉ ए वदूद के अनुसार बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिम में निम्न दबाववाला क्षेत्र बना हुआ है. इसका व्यापक असर वर्तमान में राजस्थान, मध्यप्रदेश व झारखंड पर पड़ा है.
दो-तीन दिनों के बाद यह दबाव कम होने की उम्मीद है, जिससे लगातार हो रही बारिश से थोड़ी राहत मिल सकती है. लेकिन बंगाल की खाड़ी में दूसरा सिस्टम भी तेजी से बन रहा है. इसलिए एक-दो दिनों के अंतराल के बाद पुन: भारी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग द्वारा अगस्त व सितंबर माह में अच्छी बारिश होने के संकेत दिये हैं.
झारखंड में अब तक 535 मिमी बारिश
डॉ वदूद ने बताया कि जून से अब तक झारखंड में सामान्य रूप से 600 मिमी वर्षा होनी चाहिए थी, जबकि अब तक 535 मिमी बारिश हुई है. इसके बावजूद राज्य में फसलों का आच्छादन संतोषप्रद नहीं रहा. इसका मुख्य कारण जून माह में 50 प्रतिशत कम बारिश होना है.
जिससे खेतों में जोताई, बुआई नहीं हो सकी. जुलाई माह में बारिश अच्छी तो हुई, लेकिन इसका वितरण अच्छा नहीं रहा. जिस वजह से बोआई तो प्रभावित हुई ही, साथ ही मूसलधार बारिश नहीं होने की वजह से रोपनी भी पूरी तरह प्रभावित हो गयी. अगस्त में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है. इसे देखते हुए किसान विलंब से ही सही, लेकिन युद्ध स्तर पर रोपाई का कार्य कर रहे हैं.
ऊपरी जमीन में फसलों की सीधी बुआई भी कर रहे हैं. अब तक धान का आच्छादन लगभग 55 प्रतिशत भूमि पर हो चुका है. यानी 17 लाख 67 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध नौ लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि में धान का आच्छादन हो चुका है. इसी प्रकार मक्का में लगभग तीन लाख हेक्टेयर भूमि के लक्ष्य के विरुद्ध दो लाख 43 हजार हेक्टेयर भूमि में आच्छादन हो चुका है, जो लगभग 82 प्रतिशत होता है.
दलहनी फसलों के लिए चार लाख 98 हजार हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य रखा गया था. अभी तक दो लाख 69 हजार हेक्टेयर भूमि में आच्छादन हो सका है, जो कि लगभग 54 प्रतिशत है.